Aarambh News

कर्नाटक को कर वितरण में अन्याय: Chief Minister Siddaramaiah की आवाज

Chief Minister Siddaramaiah

Chief Minister Siddaramaiah

FacebookTelegramWhatsAppXGmailShare

कर्नाटक के Chief Minister Siddaramaiah ने शुक्रवार को कर वितरण में हो रहे अन्याय पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कर्नाटक जैसे प्रगतिशील राज्य से बड़ी मात्रा में कर वसूली की जाती है, लेकिन इसके बदले में राज्य को केंद्र सरकार से बेहद कम धनराशि प्राप्त होती है। उनके इस बयान ने न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश में कर व्यवस्था और इसके वितरण पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है।

Chief Minister Siddaramaiah का बयान

मुख्यमंत्री ने कहा, “कर्नाटक हर साल ₹4,00,000 करोड़ से अधिक का कर योगदान करता है, लेकिन हमें इसके बदले केवल ₹55,000 करोड़ से ₹60,000 करोड़ की राशि मिलती है। यह कर योगदान के केवल 14-15% के बराबर है। क्या यह न्यायसंगत है?” उन्होंने सवाल किया कि कर्नाटक जैसे राज्य, जो देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं, को क्यों उनके योगदान के अनुरूप हिस्सा नहीं मिलता।

कर्नाटक का योगदान

कर्नाटक भारत के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक है। यह आईटी उद्योग का गढ़ है और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इन सभी क्षेत्रों से केंद्र सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के रूप में बड़ा योगदान मिलता है।

वितरण प्रणाली में असमानता

केंद्र और राज्यों के बीच कर वितरण का ढांचा संविधान के तहत तय किया गया है। इसके अनुसार, राज्यों को केंद्रीय करों का हिस्सा एक फार्मूले के आधार पर मिलता है, जिसे वित्त आयोग निर्धारित करता है। हालांकि, सिद्धारमैया ने इस प्रणाली की खामियों को उजागर किया।

मुख्यमंत्री की मांग

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मांग की है कि:

  1. वितरण का पुनर्मूल्यांकन: कर वितरण के लिए नया और न्यायसंगत फार्मूला बनाया जाए, जिसमें योगदान करने वाले राज्यों को अधिक लाभ मिले।
  2. राज्य के अधिकार: राज्यों को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता दी जाए ताकि वे अपनी जरूरतों के अनुसार विकास कर सकें।
  3. विशेष सहायता: प्रगतिशील राज्यों को उनकी बड़ी आर्थिक गतिविधियों और अधोसंरचना के लिए विशेष सहायता दी जाए।

विपक्ष का मत

मुख्यमंत्री के बयान पर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि कांग्रेस सरकार इस मुद्दे को भटकाने के लिए उठा रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों के साथ समानता से व्यवहार किया जा रहा है और सिद्धारमैया का आरोप बेबुनियाद है।

हालांकि, जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) जैसे क्षेत्रीय दलों ने मुख्यमंत्री का समर्थन किया और कहा कि कर्नाटक जैसे राज्यों के साथ वित्तीय असमानता को खत्म करना आवश्यक है।

राज्य की योजनाओं पर प्रभाव

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र से कम धनराशि मिलने के कारण राज्य की कई योजनाएं प्रभावित होती हैं।

देशव्यापी प्रभाव

सिद्धारमैया द्वारा उठाया गया यह मुद्दा केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है। कई अन्य प्रगतिशील राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, और तमिलनाडु ने भी समय-समय पर ऐसी ही शिकायतें की हैं।

सिद्धारमैया की पहल और आगे की राह

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस विषय पर केंद्र सरकार से बातचीत करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वे वित्त आयोग के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाएंगे और इसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के लिए लाएंगे।

इसके अलावा, उन्होंने कर्नाटक के लोगों से भी आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के नागरिकों को यह समझना होगा कि उनके करों का बड़ा हिस्सा केंद्र को जाता है, लेकिन उन्हें इसके बदले में कम सुविधाएं मिलती हैं।

Shahrukh Khan Birthday: बॉलीवुड के बादशाह का जन्मदिन और उनका सुनहरा सफर

Exit mobile version