Child sexual assault: मस्जिद में 5 साल की मासूम से दरिंदगी करने वाले मौलवी को उम्रकैद
Child sexual assault: राजस्थान के अलवर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। 5 साल की मासूम बच्ची के साथ मस्जिद में रेप करने वाले मौलवी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा — “यह अपराध सिर्फ कानून नहीं, इंसानियत के खिलाफ है। इसमें किसी तरह की दया नहीं दिखाई जा सकती।”
5-year-old girl rape case
यह घटना अलवर जिले के राजगढ़ थाना क्षेत्र की है। विशिष्ट लोक अभियोजक पंकज यादव ने बताया कि 22 सितंबर 2024 को आरोपी मौलवी असजद ने बच्ची को “चीज़ देने” के बहाने मस्जिद में बुलाया और वहां उसके साथ दरिंदगी की। जब बच्ची की मां उसे ढूंढते हुए वहां पहुँची, तो आरोपी मौलवी मौके से फरार हो गया।
परिवार ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच में यह साबित हुआ कि अपराध सच में हुआ था और आरोपी मौलवी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद थे। पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर अदालत में पेश की।
कोर्ट में पेश हुए पक्के सबूत
अभियोजन पक्ष ने अदालत में 16 गवाहों और 18 दस्तावेजी साक्ष्यों को पेश किया। इनमें डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट, FSL साक्ष्य, और गवाहों के बयान शामिल थे।
सभी सबूतों पर विचार करने के बाद, अदालत ने मौलवी असजद को दोषी करार दिया। जज ने सजा सुनाते हुए कहा —“5 साल की अबोध बालिका के साथ की गई यह दरिंदगी न केवल जघन्य अपराध है, बल्कि यह समाज की आत्मा को झकझोरने वाली घटना है। ऐसे अपराधों में कोई नरमी नहीं बरती जा सकती।”
कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कठोर कारावास (life imprisonment) और अर्थदंड (fine) की सजा दी। साथ ही, अदालत ने पीड़िता को मुआवजा दिलाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए।
समाज के लिए सबक
यह मामला सिर्फ एक बच्ची की कहानी नहीं है — यह पूरे समाज के लिए आईना है। जहाँ धर्म के नाम पर भरोसा तोड़कर कुछ लोग इंसानियत को शर्मसार कर रहे हैं।
मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारे — ये सब इंसानियत, सुरक्षा और विश्वास के प्रतीक हैं। लेकिन जब कोई मौलवी, जो धर्म सिखाने वाला माना जाता है, वही पाप का सौदागर बन जाए, तो यह पूरा समाज हिल जाता है।
“चुप्पी भी गुनाह है”
देशभर में हर दिन मासूमों के साथ यौन अपराधों की घटनाएँ सामने आती हैं। कई बार पीड़ित परिवार बदनामी या डर की वजह से शिकायत नहीं करते। लेकिन यही चुप्पी अपराधियों के हौसले बढ़ा देती है। ऐसे मामलों में समाज को आगे आकर पीड़ित का साथ देना चाहिए, ताकि कोई भी अपराधी यह न समझे कि वह बच सकता है।
अगर आपके आसपास ऐसा कोई मामला हो, तो तुरंत पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) पर संपर्क करें। यह सिर्फ कानून का नहीं, मानवता का कर्तव्य है।
निष्कर्ष
अलवर कोर्ट का यह फैसला उन सभी के लिए एक कड़ा संदेश है जो मासूमों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करते हैं। अब वक्त आ गया है कि समाज ऐसे अपराधों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) की नीति अपनाए। क्योंकि, जब तक हर बच्ची सुरक्षित नहीं, तब तक कोई समाज सभ्य नहीं कहलाया जा सकता।
यह भी पढ़े

