सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में Chronic Kidney Disease मौतों का एक बड़ा कारण बन रही है।
Chronic Kidney Disease (CKD) आज भारत के लिए एक गंभीर पब्लिक हेल्थ चैलेंज बनती जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि इस बीमारी के मामलों में भारत पूरी दुनिया में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले नंबर पर चीन है। हेल्थ जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित एक ग्लोबल स्टडी के अनुसार, साल 2023 में भारत में करीब 13.8 करोड़ लोग क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे। हार्ट डिजीज के बाद यह देश की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी बन चुकी है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में Chronic Kidney Disease मौतों का एक बड़ा कारण बन रही है। 2023 में यह बीमारी वैश्विक स्तर पर मौतों का नौवां सबसे बड़ा कारण रही, जिसमें करीब 15 लाख लोगों की जान गई। सबसे चिंताजनक बात यह है कि क्रॉनिक किडनी डिजीज अचानक नहीं होती और न ही यह किसी वायरस या बैक्टीरिया से फैलती है। यह लंबे समय तक खराब मेटाबॉलिक हेल्थ और अस्वस्थ जीवनशैली का नतीजा होती है, यानी इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
क्या है Chronic Kidney Disease?
क्रॉनिक किडनी डिजीज में “क्रॉनिक” का मतलब है कि किडनी की खराबी धीरे-धीरे और लंबे समय में बढ़ती है। इस स्थिति में किडनी खून को साफ करने और शरीर से वेस्ट व टॉक्सिन बाहर निकालने का काम ठीक से नहीं कर पाती। शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं, जैसे थकान, पैरों में सूजन, भूख कम लगना या बार-बार पेशाब में बदलाव। इसी वजह से यह बीमारी अक्सर देर से पकड़ में आती है।
CKD का सबसे आम कारण डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है। लंबे समय तक शुगर और बीपी कंट्रोल में न रहने से किडनी की नाजुक ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है। समय पर जांच, दवाइयों और सही लाइफस्टाइल से इसकी रफ्तार को धीमा किया जा सकता है।
क्यों बढ़ रहे हैं भारत में किडनी डिजीज के मामले?
भारत में CKD के तेजी से बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं। देश में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा, हाइली प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड का बढ़ता चलन, ज्यादा नमक और चीनी का सेवन, कम पानी पीने की आदत, स्मोकिंग और शराब जैसी आदतें किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं।
एक और बड़ी समस्या है बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर और एंटीबायोटिक्स का सेवन। लंबे समय तक इन दवाओं का इस्तेमाल किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। चूंकि बीमारी के शुरुआती लक्षण मामूली होते हैं, इसलिए लोग देर से डॉक्टर के पास पहुंचते हैं और तब तक किडनी काफी हद तक खराब हो चुकी होती है।
किन हेल्थ कंडीशंस में बढ़ता है रिस्क?
Chronic Kidney Disease कई लाइफस्टाइल और मेटाबॉलिक समस्याओं से जुड़ी है। डायबिटीज, हाई बीपी, मोटापा, लंबे समय तक तनाव, नींद की कमी, शरीर में लगातार इंफ्लेमेशन, फैटी लिवर, हाई कोलेस्ट्रॉल और PCOS जैसी कंडीशंस किडनी को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती हैं। इसके अलावा ज्यादा नमक खाना, स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन भी किडनी फेल होने के जोखिम को बढ़ाता है।
क्या किडनी के बिना जीवन संभव है?
किडनी शरीर का एक वाइटल ऑर्गन है। यह न सिर्फ खून को साफ करती है, बल्कि शरीर में पानी और मिनरल्स का संतुलन बनाए रखती है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है और कुछ जरूरी हॉर्मोन बनाती है। अगर किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर दे, तो शरीर में जहर जमा होने लगता है और जान का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही विकल्प बचता है।
बचाव ही है सबसे बड़ा इलाज
क्रॉनिक किडनी डिजीज पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती, लेकिन इससे बचाव संभव है। इसके लिए जरूरी है कि शुगर और बीपी को कंट्रोल में रखा जाए, संतुलित और कम नमक-तेल वाला खाना खाया जाए, नियमित एक्सरसाइज की जाए और वजन को काबू में रखा जाए। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां लेने से बचें, पर्याप्त पानी पिएं, अच्छी नींद लें और तनाव कम करें।
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