
CISF at Bhakra Dam: पंजाब सरकार ने भाखड़ा नागल बांध पर CISF की तैनाती का किया विरोध, विधानसभा में प्रस्ताव पारित
CISF at Bhakra Dam: पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को एक बड़ा और अहम फैसला लिया गया। राज्य सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के भाखड़ा-नांगल बांध प्रोजेक्ट पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव को राज्य के कैबिनेट मंत्री बरिंदर सिंह गोयल ने विधानसभा में पेश किया और इसमें स्पष्ट कहा गया है कि पंजाब सरकार CISF की तैनाती को स्वीकार नहीं करेगी।
70 साल से पंजाब पुलिस कर रही सुरक्षा
पंजाब सरकार का साफ कहना है कि पिछले 70 वर्षों से पंजाब पुलिस ही इन प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का जिम्मा संभालती आ रही है। राज्य की पुलिस ने न सिर्फ कुशलता से इस जिम्मेदारी को निभाया है बल्कि कभी भी सुरक्षा को लेकर कोई बड़ी चूक नहीं हुई। ऐसे में अब CISF की तैनाती का कोई औचित्य नहीं बनता।
विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर BBMB इन प्रतिष्ठानों पर CISF के जवानों को तैनात करता है, तो पंजाब सरकार इस तैनाती से जुड़े किसी भी खर्च या जिम्मेदारी को नहीं उठाएगी।
क्यों हो रहा विरोध?
दरअसल, केंद्र सरकार ने पंजाब के भाखड़ा-नांगल डैम पर आतंकरोधी सुरक्षा प्रदान करने के लिए CISF की 296 जवानों की एक सशक्त टुकड़ी की तैनाती को मंजूरी दी है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भाखड़ा डैम से पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच पहले से ही तनाव चल रहा है।
पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को इस फैसले में “राज्य के अधिकारों” का हनन दिखाई दे रहा है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल राज्य की स्वायत्तता पर सवाल उठता है, बल्कि यह पंजाब पुलिस की क्षमता पर भी संदेह करना है।
पंजाब सरकार की आपत्तियाँ
पंजाब सरकार ने पहले भी इस विषय पर BBMB और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। 27 जून और 4 जुलाई को पंजाब ने अपनी बात मजबूती से रखी थी कि वह CISF की तैनाती के सख्त खिलाफ है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी विधानसभा में स्पष्ट कहा,
“पंजाब पुलिस में पूरी क्षमता है कि वह राज्य के बांधों की सुरक्षा कर सके। हमें बाहरी बलों की जरूरत नहीं है।”
उन्होंने इसे राज्य के अधिकार क्षेत्र में दखल बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक बांध की सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि राज्य की संवैधानिक शक्तियों से जुड़ा सवाल है।
भाखड़ा डैम क्यों है इतना अहम?
भाखड़ा-नांगल डैम सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के कई राज्यों के लिए जीवनरेखा है। इससे सिंचाई, पेयजल और बिजली तीनों ही मुख्य ज़रूरतें पूरी होती हैं। यही कारण है कि इस पर नियंत्रण और सुरक्षा का मुद्दा बेहद संवेदनशील बन गया है।
BBMB यानी भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड इस डैम की देखरेख करता है और इसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं। लेकिन पंजाब का कहना है कि वह इस प्रोजेक्ट का मूल भागीदार है और ऐसे में उसकी सहमति के बिना किसी केंद्रीय बल की तैनाती करना सही नहीं है।
क्या है CISF का रोल?
CISF यानी Central Industrial Security Force देश के बड़े-बड़े औद्योगिक और संवेदनशील प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में लगा एक केंद्रीय बल है। आमतौर पर इसे हवाई अड्डों, परमाणु संयंत्रों, तेल रिफाइनरियों और सरकारी दफ्तरों में तैनात किया जाता है।
केंद्र सरकार का तर्क है कि भाखड़ा-नांगल बांध एक “अति-संवेदनशील” स्थान है, और इसे आतंकी खतरे से बचाने के लिए CISF जैसी प्रोफेशनल फोर्स की जरूरत है। लेकिन पंजाब का जवाब है – “हमारी पुलिस भी उतनी ही प्रोफेशनल है।”
राजनीतिक संदेश भी?
इस पूरे घटनाक्रम को कई लोग राजनीतिक नजरिए से भी देख रहे हैं। राज्य बनाम केंद्र के टकराव की तस्वीर एक बार फिर सामने आई है। खास तौर पर तब, जब पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर तनाव पहले से ही चल रहा है।
CISF की तैनाती को पंजाब सरकार सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि “राजनीतिक दबाव” के रूप में देख रही है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद इस मुद्दे पर मुखर हुए और विधानसभा में इस प्रस्ताव को पारित कराकर केंद्र को सीधा संदेश दे दिया।
आगे क्या?
अब देखने वाली बात होगी कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव के बाद क्या रुख अपनाती है। क्या पंजाब की आपत्तियों को गंभीरता से लिया जाएगा? या फिर सुरक्षा के नाम पर केंद्र अपने निर्णय पर कायम रहेगा?
अगर दोनों पक्ष अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहे, तो यह मुद्दा कोर्ट या संवैधानिक विवाद का रूप भी ले सकता है। पंजाब में भाखड़ा बांध पर CISF की तैनाती का मामला सिर्फ एक सुरक्षा व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। यह राज्य और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों, जिम्मेदारियों और भरोसे का सवाल भी है। जहां एक ओर पंजाब अपनी पुलिस पर भरोसा जताते हुए अपनी भूमिका को बचाने की कोशिश कर रहा है, वहीं केंद्र इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बता रहा है।
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