Class 8 student kills senior: विद्या के मंदिर से उठी चीखें, क्यों बढ़ रही है बच्चों में हिंसा?
Class 8 student kills senior: गुजरात के अहमदाबाद में हुई एक घटना ने पूरे समाज को हिलाकर रख दिया है। स्कूल – जिसे हम विद्या का मंदिर मानते हैं, जहां बच्चों को अनुशासन, धैर्य और इंसानियत सिखाई जाती है, वही जगह अब डर और खौफ़ का कारण बन गई है।
मंगलवार दोपहर का यह दर्दनाक मामला है। क्लास 8 के एक छात्र ने अपने ही स्कूल के क्लास 10 के सीनियर साथी पर चाकू से हमला कर दिया। छुट्टी होते ही अचानक इस छात्र ने छुपाकर लाया हुआ चाकू निकाला और पेट में वार कर दिया। घायल छात्र को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन देर शाम उसकी मौत हो गई।
यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि पूरे समाज के लिए एक आईना है।
भीड़ का गुस्सा और स्कूल पर हमला
जैसे ही घटना की खबर फैली, गुस्से से भरी करीब 2000 लोगों की भीड़ स्कूल पर टूट पड़ी। गाड़ियां तोड़ी गईं, रेलिंग कूदकर लोग स्कूल में घुस आए और गार्ड, बस ड्राइवर, टीचर्स, यहां तक कि प्रिंसिपल तक को पीटा गया। पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन भीड़ के गुस्से के सामने उनकी ताकत भी बेअसर साबित हुई।
सोचिए ज़रा, जहां हम बच्चों को सबसे सुरक्षित मानते हैं, वही जगह हिंसा और अराजकता का केंद्र बन गई।
बड़ा सवाल: बच्चे इतने गुस्सैल क्यों?
इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर 8वीं का बच्चा इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकता है?
बच्चों के भीतर इतनी हिंसा क्यों भर रही है?
स्कूल, जहां बच्चों को दया और इंसानियत के पाठ पढ़ाए जाने चाहिए, वहां बच्चे चाकू लेकर वारदात करने लगे हैं।
आज सोशल मीडिया, हिंसक गेम्स और इंटरनेट पर मौजूद गलत कंटेंट बच्चों के मन-मस्तिष्क पर गहरा असर डाल रहे हैं। घरों में बढ़ता तनाव, माता-पिता का बच्चों को समय न देना, पारिवारिक झगड़े… ये सब बच्चों को भीतर से तोड़ रहे हैं। नतीजा यह है कि उनकी मासूमियत गुस्से और नफरत में बदलती जा रही है।
अहमदाबाद से गाज़ीपुर तक फैली हिंसा
यह सिर्फ अहमदाबाद का मामला नहीं है। कुछ दिनों पहले यूपी के गाज़ीपुर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। सनबीम स्कूल में 9वीं के छात्र ने 10वीं के छात्र आदित्य वर्मा की बाथरूम में चाकू घोंपकर हत्या कर दी। वजह? सिर्फ छोटी-सी कहासुनी और जूनियर-सीनियर बच्चों की गुटबाजी।
चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चे अब प्लान बनाकर, सोचे-समझे तरीके से ऐसी वारदात कर रहे हैं। स्कूल में चाकू ले जाना और मौका देखकर हमला करना – यह बताता है कि यह सिर्फ बचपना नहीं, बल्कि सोच-समझकर की गई हिंसा है।
माता-पिता और समाज की चिंता
आज हर माता-पिता का यही सवाल है कि अगर बच्चों को स्कूल में भी सुरक्षा नहीं मिलेगी, तो वो अपने बच्चों को कैसे भरोसे के साथ पढ़ने भेजेंगे?
हर मां-बाप यही मानते हैं कि स्कूल एक सुरक्षित जगह है। लेकिन जब विद्या के मंदिर में ही हिंसा पनपने लगे, तो यह पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है।
क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था बच्चों को सिर्फ किताबों तक सीमित कर रही है?
क्या हम बच्चों के अंदर बढ़ते तनाव, गुस्से और डिप्रेशन को समझ नहीं पा रहे हैं?
समाधान क्या है?
अब वक्त आ गया है कि हम सब मिलकर इस समस्या पर गंभीरता से सोचें।
- माता-पिता को बच्चों के साथ समय बिताना होगा, उनकी बातें सुननी होंगी, उनके गुस्से और परेशानियों को समझना होगा।
- शिक्षकों को सिर्फ पढ़ाई पर नहीं, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा।
- सरकार और स्कूल प्रबंधन को सुरक्षा इंतज़ाम मजबूत करने होंगे, ताकि कोई भी बच्चा हथियार लेकर स्कूल के भीतर प्रवेश न कर सके।
सबसे जरूरी यह है कि बच्चों को सकारात्मक माहौल मिले – घर में भी और स्कूल में भी।
समाज के लिए चेतावनी
अहमदाबाद की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। अगर हमने समय रहते बच्चों की परवरिश और उनकी सोच को सही दिशा नहीं दी, तो न जाने कितने और मासूम इस हिंसा की भेंट चढ़ जाएंगे।
