Cough Syrup Deaths: मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत, कफ सिरप और किडनी संक्रमण की जांच में हड़कंप
Cough Syrup Deaths: अक्टूबर 2025 की शुरुआत ही भारत के लिए चिंता भरी खबर लेकर आई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में हाल ही में बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं, जिन्होंने आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग को भी चौकन्ना कर दिया है। इन मौतों की वजह राजस्थान में कफ सिरप और मध्य प्रदेश में किडनी संक्रमण बताई जा रही है।
राजस्थान में कफ सिरप का मामला
राजस्थान के सीकर जिले में हाल ही में पांच वर्षीय बच्चे की मौत ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। बच्चे की मौत के बाद उसके चाचा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिससे मामले ने गंभीर रूप ले लिया। जांच में पता चला कि यह मौत डेक्सट्रोमेथारफन हाइड्रोब्रोमाइड युक्त कफ सिरप पीने से हुई थी।
राजस्थान सरकार ने तुरंत कफ सिरप पर बैन लगा दिया और सिरप के विभिन्न बैच के नमूने जांच के लिए लैब भेजे। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि सिरप से बच्चों की मौत की पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगी।
इसके अलावा, बच्चों की बीमारियां केवल सीकर तक सीमित नहीं हैं। भरतपुर, जयपुर, बांसवाड़ा सहित कई जिलों में भी बच्चे बीमार हो गए हैं। अस्पतालों में भर्ती बच्चों का इलाज चल रहा है और परिवार में भय का माहौल बना हुआ है।
मध्य प्रदेश में किडनी संक्रमण की आशंका
उधर, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में भी गंभीर स्थिति देखने को मिली है। यहां किडनी संक्रमण के कारण एक महीने में सात बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा छह अन्य बच्चे उपचाराधीन हैं।
पुणे की वायरोलॉजी लैब की जांच में मौत का स्पष्ट कारण तुरंत सामने नहीं आया, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स से पता चला कि सामान्य किडनी संक्रमण, दूषित पानी या दवा के हेवी डोज़ लेने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
छिंदवाड़ा के कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को किस स्त्रोत से दवा दी गई, इसकी भी जांच की जा रही है। यदि किसी झोलाछाप या गैरकानूनी स्रोत से दवा मिली है, तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, पानी के नमूनों की भी जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि संक्रमण दूषित पानी से तो नहीं फैल रहा।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की कार्रवाई
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने दोनों राज्यों से पानी और दवा के नमूने एकत्र किए हैं। इन नमूनों का परीक्षण करने के बाद परिणाम राज्य दवा प्राधिकरणों के साथ साझा किया जाएगा। राज्य दवा प्राधिकरण भी अलग से दवा के नमूनों की जांच कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की मौत के मामले में सावधानी और समय पर कार्रवाई बेहद जरूरी है। बिना जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष निकालना सही नहीं है। फिलहाल बच्चों के परिवारों को मानसिक और भावनात्मक सहारा देने की भी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की है।
आम लोगों के लिए चेतावनी
- दवा के स्रोत पर ध्यान दें: केवल मान्यता प्राप्त फार्मेसी या अस्पताल से दवा खरीदें।
- कफ सिरप का उपयोग सतर्कता से करें: किसी भी घरेलू या अनजानी दवा का सेवन न करें।
- साफ पानी का उपयोग: बच्चों को पीने और खाना बनाने के लिए हमेशा साफ पानी दें।
- संक्रमण के लक्षणों पर नजर: यदि बच्चा बार-बार उल्टी, बुखार या पेशाब में बदलाव महसूस करता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रशासन की भूमिका और भविष्य की तैयारी
राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकारें फिलहाल जांच में जुटी हैं। राजस्थान में कफ सिरप पर रोक लगाई गई है और मध्य प्रदेश में किडनी संक्रमण के कारणों की विस्तृत जांच चल रही है।
विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि दोनों राज्यों को बच्चों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन, अस्पतालों में विशेष मेडिकल टीम और समुदाय में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इससे भविष्य में ऐसे दुखद मामलों को रोका जा सके।
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