जैसे ही Shark Tank इंडिया अपने चौथे सीजन की तैयारियों में जुटा है, एक विवाद ने जन्म ले लिया है। ज़ोमैटो के CEO Deepinder Goyal ने आरोप लगाया है कि स्विगी ने उन्हें शो से बाहर निकाला है।
Shark Tank इंडिया के चौथे सीजन में उठा विवाद
Shark Tank इंडिया, जो भारतीय स्टार्टअप कल्चर का एक प्रमुख हिस्सा बन चुका है, अब एक नए विवाद में उलझ गया है। ज़ोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल ने आरोप लगाया है कि उन्हें शार्क टैंक के चौथे सीजन से निकाल दिया गया है क्योंकि स्विगी, जो ज़ोमैटो का प्रतिद्वंदी है, शो का प्रमुख स्पॉन्सर बनने जा रहा है। Deepinder Goyal ने यह बात ET स्टार्टअप अवार्ड्स के दौरान कही, जहां उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
स्विगी के स्पॉन्सरशिप का प्रभाव
दीपिंदर गोयल ने कहा, “स्टार्टअप कल्चर भारत में बहुत ज्यादा शोमैनशिप पर आधारित है। मैंने शार्क टैंक पर जाकर एक अलग नरेटिव पेश करने का प्रयास किया। मैं वहां वास्तविकता और लोगों की धारणा को बदलने के लिए गया था। मैंने एक वीकेंड में शूट किया, लेकिन दुर्भाग्यवश, मैं वापस नहीं जा सका क्योंकि स्विगी ने शार्क टैंक को स्पॉन्सर किया और मुझे बाहर किया, कम से कम यही मैंने सुना।”
इस मामले में स्विगी की भूमिका और गहराई से जुड़ी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्विगी ने शार्क टैंक सीजन 4 के लिए 25 करोड़ रुपये का स्पॉन्सरशिप डील फाइनल करने की प्रक्रिया में है, जिसमें गोयल के शो से बाहर होने की शर्त शामिल है। यह स्थिति ज़ोमैटो और स्विगी के बीच बढ़ते तनाव को भी दर्शाती है।
ज़ोमैटो और स्विगी के बीच का rivalry
ज़ोमैटो और स्विगी के बीच की प्रतिस्पर्धा ने पिछले कुछ वर्षों में एक नया आयाम लिया है। दोनों कंपनियों ने भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए भारी निवेश किया है। स्विगी ने हाल ही में अपनी नई फंडिंग की योजना को भी सार्वजनिक किया है, जिसमें वह लगभग 3,750 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहा है। इसमें 950 करोड़ रुपये का हिस्सा ब्रांड मार्केटिंग और जागरूकता के लिए निर्धारित है।
दीपिंदर गोयल के बाहर होने से यह सवाल उठता है कि क्या यह निर्णय केवल व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा का परिणाम है या फिर यह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में गहराई से छिपे हुए मुद्दों का प्रतीक है।
शार्क टैंक का महत्व
शार्क टैंक इंडिया ने स्टार्टअप्स को निवेशकों के सामने पेश होने और अपने विचारों को पिच करने का एक अद्वितीय मंच प्रदान किया है। यह शो न केवल नए उद्यमियों को प्रेरित करता है, बल्कि दर्शकों को भी स्टार्टअप संस्कृति से जोड़ता है। हालांकि, गोयल की इस घटना ने इस शो के पीछे की राजनीति को भी उजागर किया है।
आगे का रास्ता
Deepinder Goyal के आरोपों ने न केवल ज़ोमैटो और स्विगी के बीच की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया है, बल्कि यह भारतीय स्टार्टअप्स की दुनिया में भी सवाल खड़े करता है। क्या प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ चुकी है कि यह न केवल व्यवसायिक निर्णयों को प्रभावित करती है, बल्कि स्टार्टअप कल्चर की भावना को भी चुनौती देती है?
अंत में, यह स्थिति दर्शाती है कि जैसे-जैसे भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित हो रहा है, वैसे-वैसे यह और भी जटिल होता जा रहा है। शार्क टैंक इंडिया जैसे शो का महत्व केवल आर्थिक निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय उद्यमिता के मूल्यों और मान्यताओं का भी एक प्रतिनिधि है।
आगे देखना होगा कि इस विवाद का असर न केवल गोयल और ज़ोमैटो पर, बल्कि पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम पर कैसे पड़ेगा। क्या यह भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक चेतावनी है कि प्रतिस्पर्धा कभी-कभी व्यापार के बाहर की दुनिया को भी प्रभावित कर सकती है?