Deepotsav 2025: दीप जलाएँ, खुशियाँ बढ़ाएँ: जानें दीपावली क्यों है सबसे खास पर्व
Deepotsav 2025: दीपावली या दिवाली भारत का सबसे प्रसिद्ध और प्रिय त्योहार है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक है। दीपावली का पर्व हर साल अमावस्या की रात यानी चंद्रविहीन रात को मनाया जाता है।
दीपावली का धार्मिक महत्व
दीपावली पर मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं। लेकिन केवल धन प्राप्त करना ही सब कुछ नहीं है। धन का सही उपयोग तभी सार्थक होता है जब उसमें विवेक, सत्ता और परोपकार का भाव हो। मोरारी बापू कहते हैं कि असली धन केवल रुपया-पैसा, सोना-चांदी या भौतिक संपत्ति नहीं है। सच्चा धन है – संतोष, सदाचार, करुणा, प्रेम और आंतरिक गुण।
ऋग्वेद और उपनिषदों में भी प्रकाश का विशेष महत्व बताया गया है। जैसे उपनिषद का मंत्र कहता है:
“तमसो मा ज्योतिर्गमय”
यानी अज्ञानता और अंधकार से प्रकाश और ज्ञान की ओर चलो। दीपावली इस आध्यात्मिक शिक्षा का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक और चारित्रिक मूल्य भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।
दीपावली कब मनाई जाती है?
सामान्यत: दीपावली अमावस्या की रात आती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस वर्ष पूरे भारत में इसे शास्त्र सम्मत तरीके से मनाने का निर्णय लिया गया है। ज्योतिषाचार्य और विद्वानों के अनुसार, दीपावली का सही समय प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजा और दीपदान करना है।
दीपावली के दिन क्या करें?
दीपावली का त्योहार केवल दीप जलाने या धन कमाने का पर्व नहीं है। इसे मनाने के कुछ खास नियम और परंपराएं हैं, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को सुख, समृद्धि और शांति से भर सकते हैं।
- साफ-सफाई – दीपावली से पहले घर को अच्छी तरह साफ करें। यह माना जाता है कि देवी लक्ष्मी को पवित्रता बहुत प्रिय है।
- नरक चतुर्दशी स्नान – दीपावली से पहले नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सौंदर्य बढ़ता है।
- दीप जलाना – धनतेरस की शाम घर के अंदर और बाहर दीपक जलाना चाहिए। खासकर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है।
- धनतेरस पर खरीदारी – सोना, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
- पूजा-पाठ और मंत्र – दीपावली के दिन वैदिक मंत्रों का जप करना चाहिए। घर में शांति बनाए रखें और परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा करें।
दीपावली के दौरान क्या न करें?
- तामसिक चीजों से दूर रहें।
- काले रंग के कपड़े पहनने या खरीदने से बचें।
- किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तु खरीदने से परहेज करें।
- बड़ों का अपमान न करें और घर में झगड़ा-वाद विवाद से बचें।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोना अशुभ माना जाता है।
दीपावली का आध्यात्मिक संदेश
दीपावली का सबसे बड़ा संदेश है अंधकार पर प्रकाश की विजय। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में केवल धन और भौतिक सुख ही नहीं, बल्कि सच्ची खुशी संतोष, करुणा और आंतरिक शांति में है। जो व्यक्ति अपने मन, वचन और कर्म से पवित्र रहता है, वही सच्चा धनवान कहलाता है।
देवी लक्ष्मी का आगमन और भगवान गणेश की पूजा यह संकेत देती है कि धन का सही उपयोग समाज और परिवार की भलाई में होना चाहिए। अत्यधिक संग्रह या लालच केवल मानसिक संतोष और आंतरिक शांति को दूर करता है।
दीपावली: एक पारिवारिक और सामाजिक पर्व
दीपावली केवल धार्मिक पर्व नहीं है। यह परिवार और समाज के बीच प्रेम और एकता को बढ़ाने का अवसर भी है। घर-परिवार सजाना, एक-दूसरे को मिठाई देना और मिलकर दीप जलाना हमें एक-दूसरे के करीब लाता है। इस दिन छोटे-छोटे कार्य, जैसे जरूरतमंदों की मदद करना या दान करना, हमारी आंतरिक समृद्धि और मानसिक संतोष को बढ़ाता है।
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