
दिल्ली चुनाव 2025
दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी। लेकिन 2025 के चुनाव परिणामों ने इस धारणा को बदल दिया। 12 साल तक सत्ता में रहने के बाद AAP का किला आखिरकार ढह गया। आइए जानते हैं उन प्रमुख कारणों को जिनकी वजह से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
भ्रष्टाचार के आरोप और सत्ता विरोधी लहर
AAP एक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उपजी पार्टी मानी जाती थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गई। शराब नीति घोटाले के आरोपों में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सहित कई प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी ने पार्टी की छवि को गहरा धक्का दिया।
भले ही इन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई हो, लेकिन विरोधी पार्टियों ने इसे चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। बीजेपी और कांग्रेस ने केजरीवाल के 45 करोड़ रुपये खर्च कर सीएम आवास के रेनोवेशन को बड़ा मुद्दा बनाया।
अचानक इस्तीफा देने का फैसला
जब शराब नीति घोटाले में अरविंद केजरीवाल जेल गए, तो उन्होंने कहा था कि वह जेल से ही सरकार चलाएंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें 117 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा। इस फैसले से जनता के बीच गलत संदेश गया।
2013 में 49 दिन की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा देने से उनकी ‘कट्टर ईमानदार’ छवि बनी थी, लेकिन इस बार हालात उलट गए और उनका इस्तीफा राजनीतिक रूप से उल्टा पड़ गया।
मिडिल क्लास की नाराजगी
AAP की कई योजनाओं ने गरीब वर्ग को लाभ पहुंचाया, लेकिन मिडिल क्लास की अनदेखी हुई। मोहल्ला क्लिनिक में दवाओं की कमी और खराब प्रबंधन से इस वर्ग में नाराजगी बढ़ी। बुनियादी ढांचे में सुधार की कमी, सीवर ओवरफ्लो और गड्ढों वाली सड़कें एक बड़ी समस्या बनी रहीं।
बीजेपी ने 8वें वेतन आयोग और 12 लाख रुपये तक की सैलरी पर टैक्स छूट की घोषणा कर मिडिल क्लास वोटरों को अपनी तरफ खींच लिया।
बुनियादी ढांचे में विफलता
दिल्ली की सड़कों को यूरोप जैसा बनाने के दावों के बावजूद हर मानसून में खराब सड़कों की समस्या सामने आई। पीने के साफ पानी की समस्या, सीवर ओवरफ्लो और कचरा प्रबंधन की दिक्कतें चुनाव में बड़े मुद्दे बने।
MCD पर कब्जा होने के बावजूद दिल्ली के बुनियादी ढांचे में कोई खास सुधार नहीं हुआ। यह स्थिति जनता की नाराजगी का बड़ा कारण बनी।
कांग्रेस ने बिगाड़ा खेल?
2024 के लोकसभा चुनाव में AAP और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था, लेकिन बाद में दोनों पार्टियों के बीच खटास आ गई। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा।
नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने हराया। कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित को इस सीट पर 4,568 वोट मिले, जबकि केजरीवाल की हार का अंतर 4,089 वोटों का रहा। इसी तरह मनीष सिसोदिया भी मात्र 600 वोटों के अंतर से हार गए।
सत्ता विरोधी लहर, भ्रष्टाचार के आरोप, बुनियादी ढांचे में विफलता और मिडिल क्लास की नाराजगी जैसे कारणों ने 2025 के चुनाव में AAP की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को अब आत्ममंथन करना होगा कि कैसे वे दोबारा जनता का विश्वास जीत सकते हैं।