
Delhi Lawyers Strike जारी, LG के Virtual Police Deposition Notification के खिलाफ विरोध तेज
Delhi Lawyers Strike: दिल्ली में वकीलों का विरोध (Lawyers Protest in Delhi) लगातार तेज होता जा रहा है। Lieutenant Governor (LG) of Delhi द्वारा जारी किए गए Virtual Police Deposition Notification के खिलाफ वकील पिछले पांच दिनों से कामकाज से दूर हैं और हड़ताल पर हैं। वकीलों ने साफ कहा है कि जब तक यह आदेश वापस नहीं लिया जाता, वे अदालतों में कामकाज नहीं करेंगे।
क्या है विवाद?
13 अगस्त 2025 को LG of Delhi ने एक अधिसूचना (Notification) जारी की, जिसके तहत सभी पुलिस थानों (Police Stations) को ‘designated places’ घोषित कर दिया गया, जहां से पुलिस अधिकारी अपनी गवाही (Deposition) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए दर्ज करा सकते हैं।
यह आदेश Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS) 2023 की धारा 265(3), 266(2) और 308 के तहत जारी किया गया। LG का तर्क है कि यह व्यवस्था न्यायिक प्रक्रिया को तेज करेगी और पुलिस अधिकारियों का समय बचेगा।
लेकिन वकील समुदाय (Delhi Lawyers) का कहना है कि यह कदम Fair Trial के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका आरोप है कि पुलिस अधिकारी अगर थाने से ही गवाही देंगे तो इसमें transparency खत्म हो जाएगी और गवाही पर बाहरी दबाव पड़ सकता है।
वकीलों का विरोध और हड़ताल
New Delhi Bar Association (NDBA) ने 27 अगस्त को सर्कुलर जारी करते हुए साफ किया कि 28 और 29 अगस्त को भी सभी जिला अदालतों (District Courts of Delhi) में वकील कामकाज से दूर रहेंगे।
सर्कुलर में कहा गया कि –
“यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है कि 28.08.2025 और 29.08.2025 को दिल्ली की सभी जिला अदालतों में वकील पूरी तरह से कामकाज से दूर रहेंगे। यह विरोध LG की मनमानी अधिसूचना के खिलाफ है, जो कि 15.07.2024 को भारत सरकार के गृह सचिव द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ है।”
इसके अलावा, 29 अगस्त को दोपहर 12 बजे वकील समुदाय द्वारा LG House, Raj Niwas Marg, Civil Lines के बाहर एक massive protest demonstration किया जाएगा। इसके लिए वकीलों को सुबह 11:30 बजे Tis Hazari Courts से एकजुट होकर LG House की ओर मार्च करने को कहा गया है।
खुली चर्चा और रणनीति
आज यानी 28 अगस्त को दोपहर 12 बजे Thakur Onkar Singh Charak Central Hall, Tis Hazari Courts में वकीलों ने इस मुद्दे पर खुली चर्चा (Open Discussion) रखी है। यहां आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
Bar Associations और BCI का रुख
- Delhi High Court Bar Association (DHCBA) ने कहा है कि यह अधिसूचना “principle of fair trial” के खिलाफ है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
- Supreme Court Bar Association (SCBA) ने भी इसे arbitrary, unlawful और natural justice के खिलाफ बताया है।
- Bar Council of India (BCI) ने LG को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि यह आदेश rights of the accused को कमजोर करेगा और न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता पर प्रश्नचिह्न लगाएगा।
High Court में चुनौती
इस अधिसूचना को हाल ही में Delhi High Court में Public Interest Litigation (PIL) के जरिए चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि –
- यह आदेश Article 21 (Right to Fair Trial) का उल्लंघन करता है।
- गवाहों को अपने दफ्तर यानी पुलिस स्टेशन से गवाही देने की अनुमति देना संवैधानिक और कानूनी रूप से असंगत है।
क्यों है बड़ा खतरा?
वकीलों का कहना है कि –
- पुलिसकर्मी अगर अपने थाने से गवाही देंगे तो यह न्यायिक प्रक्रिया की neutrality और credibility को खत्म करेगा।
- इससे आरोपी और उसके वकील को cross-examination के दौरान fair opportunity नहीं मिल पाएगी।
- पुलिस स्टेशन को “designated place” बनाना, गवाही की integrity पर सवाल खड़ा करेगा।
न्यायालयों का कामकाज ठप
लगातार हड़ताल के कारण दिल्ली की जिला अदालतों (Delhi District Courts) में कामकाज प्रभावित हुआ है।
- Urgent custody matters सुने गए, लेकिन अधिकांश ट्रायल स्थगित कर दिए गए।
- हजारों मुकदमे अटक गए हैं, जिससे litigants और आम जनता को भारी परेशानी हो रही है।
आगे क्या?
Bar leaders ने चेतावनी दी है कि अगर यह अधिसूचना तुरंत वापस नहीं ली गई तो वकील अनिश्चितकालीन हड़ताल (Indefinite Strike) पर चले जाएंगे।
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