
Delhi NCR stray dogs removal: आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राहुल गांधी बोले – ‘बेजुबान जीव समस्या नहीं’
Delhi NCR stray dogs removal: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और रेबीज के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त और ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। अदालत ने सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द सड़कों से हटाकर स्थायी आश्रय स्थलों में भेजने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि इस काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन इस फैसले पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि “बेजुबान जीव कोई समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटाया जा सके।”
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि —
- सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से स्थायी रूप से हटाकर आश्रय स्थलों में रखा जाए।
- छह से आठ हफ्तों में लगभग 5,000 कुत्तों की क्षमता वाले आश्रय स्थल बनाए जाएं।
- इन आश्रय स्थलों में कुत्तों के टीकाकरण, नसबंदी, और देखभाल के लिए पर्याप्त कर्मचारी हों।
- केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी लगाई जाए, ताकि व्यवस्था पारदर्शी रहे।
अदालत ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन कुत्तों को पकड़ने और उन्हें आश्रय में ले जाने के काम में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट का सख्त रुख – “क्या बच्चों की जान वापस ला सकते हैं?”
पीठ ने सुनवाई के दौरान पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं से तीखे सवाल किए। अदालत ने पूछा —
“क्या रेबीज के शिकार बच्चों को वापस लाया जा सकता है?
क्या आप उन्हें जीवन लौटा सकते हैं?
जब परिस्थिति की मांग हो, तो कार्रवाई जरूरी है।”
कोर्ट ने कहा कि रेबीज का खतरा खासकर छोटे बच्चों के लिए घातक है और सरकार का दायित्व है कि वह नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद राहुल गांधी ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया —
“दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान-समर्थित नीति से एक कदम पीछे हटना है।
ये बेजुबान जीव कोई समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटाया जा सके।
आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रख सकते हैं।
ब्लैंकेट रीमूवल क्रूर और अदूरदर्शी है। यह हमारी करुणा को खत्म करता है।
जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ चल सकते हैं।”
राहुल का कहना है कि समाधान “पूरी तरह हटाना” नहीं, बल्कि मानवीय तरीकों से समस्या का हल निकालना है।
पृष्ठभूमि – मामला कैसे शुरू हुआ?
28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज फैलने की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया था।
दिल्ली और आसपास के शहरों में हाल के महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए, जहां कुत्तों के हमले में बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए और कुछ मामलों में मौत भी हुई। खासकर ग्रामीण और झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में यह खतरा ज्यादा बढ़ गया है।
समर्थकों की दलील – क्यों जरूरी है यह कदम?
- रेबीज एक घातक बीमारी है, जिसका संक्रमण कुत्ते के काटने से फैलता है।
- एक बार लक्षण दिखने पर इसका कोई इलाज नहीं है और यह लगभग हमेशा जानलेवा साबित होती है।
- आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ सालों में कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
- कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण न होने से लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों, की जान खतरे में रहती है।
विरोधियों की दलील – क्यों गलत है ब्लैंकेट रिमूवल?
- पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि आवारा कुत्तों को पूरी तरह हटाना क्रूर और अप्रभावी है।
- कुत्तों को पकड़कर आश्रय में रखना लंबे समय तक महंगा और अस्थायी समाधान है।
- सही तरीका है – नसबंदी, टीकाकरण और समुदाय आधारित देखभाल, जिससे कुत्तों की संख्या धीरे-धीरे नियंत्रित हो और इंसानों पर खतरा भी कम हो।
- कई वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि स्थान खाली होने पर नए कुत्ते वहां आ जाते हैं (Vacuum Effect)।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने छह से आठ हफ्तों के भीतर आदेशों को लागू करने को कहा है।
अगर प्रशासन समय पर आश्रय स्थल नहीं बना पाया, तो अदालत आगे और सख्त निर्देश दे सकती है।
वहीं, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें इस प्रक्रिया को मानवीय दृष्टिकोण से अपनाती हैं या केवल कानूनी आदेश का पालन करती हैं।
जनता को क्या करना चाहिए?
अगर आपके इलाके में आवारा कुत्तों का खतरा है —
- नजदीकी नगर निगम या नगर पालिका को इसकी सूचना दें।
- कुत्तों को मारने या नुकसान पहुंचाने से बचें — यह कानूनन अपराध है।
- कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी के कार्यक्रम में सहयोग करें।
- बच्चों को सिखाएं कि आवारा कुत्तों से दूरी बनाए रखें।
- सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जन सुरक्षा बनाम पशु कल्याण की बहस को और तेज कर देगा।
एक तरफ अदालत और समर्थक कह रहे हैं कि नागरिकों, खासकर बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
दूसरी तरफ राहुल गांधी और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि मानवीय और टिकाऊ समाधान अपनाना ही सही रास्ता है।
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