Dhanteras 2025: घर में खुशहाली और आरोग्य लाने की परंपरा , जानिए तिथि, महत्व और पौराणिक कथा !
Dhanteras 2025: दीपावली पर्व की शुरुआत का पहला दिन होता है और इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं ताकि घर में धन-वैभव और अच्छी सेहत बनी रहे।
धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
धनतेरस का महत्व पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। इसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण हैं:
1. भगवान धन्वंतरि का प्रकट होना
धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्हें आयुर्वेद और चिकित्सा का देवता माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु मिलती है।
2. देवी लक्ष्मी का जन्म
समुद्र मंथन से धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी और अन्य 14 रत्न भी उत्पन्न हुए। इस वजह से धनतेरस का पर्व धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा करने का दिन माना जाता है।
3. यमराज के लिए दीपदान
एक प्राचीन कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज ने यह उपाय बताया कि धनतेरस के दिन दीपक जलाने से अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है। इसी कारण इस दिन घर के बाहर दीपक जलाना एक महत्वपूर्ण परंपरा बन गई।
धनतेरस की खरीदारी क्यों महत्वपूर्ण है?
धनतेरस पर सोना, चांदी, नए बर्तन और झाड़ू खरीदने की परंपरा है। इसका उद्देश्य घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाना है।
- सोना और चांदी: धन और समृद्धि का प्रतीक
- नए बर्तन: घर में सुख-शांति लाते हैं
- झाड़ू: देवी लक्ष्मी का प्रतीक, जिससे घर में खुशहाली आती है
मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर की संपत्ति और वैभव को बढ़ाती है।
धनतेरस और आयुर्वेद
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना गया है। इसलिए धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है और उन्होंने पूरे संसार में चिकित्सा विज्ञान और आयुर्वेद का प्रचार किया। इस दिन घर के द्वार पर तेरस दीपक जलाने की प्रथा भी है।
धनतेरस शब्द दो शब्दों से बना है – धन + तेरस, जिसका अर्थ है “धन का तेरह गुना।”
धनतेरस की पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज ने यमदूतों से पूछा कि क्या कभी किसी मानव की प्राण लेने में दया आई। यमदूतों ने कहा कि नहीं।
तब यमराज को एक नवविवाहिता का करुण विलाप सुनने को मिला, जिसने अपने पति की अकाल मृत्यु पर विलाप किया। यमराज ने उपाय बताया कि धनतेरस के दिन विधि-विधान से पूजा और दीपक जलाने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
इस कारण धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है।
धनतेरस 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
- त्रयोदशी तिथि आरंभ: दोपहर 12:20 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर, रविवार दोपहर 1:52 बजे
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि लगती है। इसलिए 18 अक्टूबर को यह पर्व शुभ और फलदायी माना गया है। जो लोग 18 अक्टूबर को खरीदारी नहीं कर पाए, वे 19 अक्टूबर को दोपहर 1:52 तक खरीदारी कर सकते हैं।
धनतेरस पूजा और तैयारी
पूजा सामग्री
- दीपक, अगरबत्ती और फूल
- भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और कुबेर देव की मूर्ति या चित्र
- सोना, चांदी और नए बर्तन
पूजा विधि
- घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थल पर दीपक जलाएं
- विधिपूर्वक भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा करें
- यमराज के लिए दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें
शुभता बनाए रखने के उपाय
- घर में सफाई रखें
- खरीदारी में सोना-चांदी या नए बर्तन शामिल करें
- सकारात्मक ऊर्जा और सत्कारिता का ध्यान रखें
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