
डोनाल्ड ट्रंप का विवादित आदेश
डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने हाल ही में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है, एक बार फिर अपने कड़े फैसलों के लिए चर्चा में हैं। उन्होंने अपने नए कार्यकारी आदेश में मुसलमानों और फिलिस्तीन समर्थक छात्रों पर सख्त रुख अपनाते हुए स्क्रीनिंग प्रक्रिया को और कठोर बनाने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद न केवल अमेरिका और ब्रिटेन, बल्कि कई अरब देशों में भी हलचल मच गई है।
क्या है ट्रंप का नया आदेश?
इस कार्यकारी आदेश के तहत, अमेरिकी प्रशासन को उन देशों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिनके नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश से पहले सख्त स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि 2020 के बाद जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान आए प्रवासियों की पूरी जानकारी जुटाई जाए और उनकी जांच की जाए।
मुस्लिम समुदाय में चिंता
ट्रंप के इस कदम से अमेरिका, ब्रिटेन और कई अन्य देशों में मुस्लिम समुदाय के लोग चिंतित हैं। 2017 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, जिसे व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा था। अब उनके इस नए आदेश को 2017 के प्रतिबंध से भी अधिक सख्त माना जा रहा है।
दीपा अलागेसन, जो इंटरनेशनल रिफ्यूजी असिस्टेंस प्रोजेक्ट (IRAP) से जुड़ी वकील हैं, ने कहा कि यह आदेश न केवल अमेरिका में आने वाले प्रवासियों को प्रभावित करेगा, बल्कि उन पर भी असर डालेगा जो पहले से अमेरिका में रह रहे हैं। उन्होंने इसे “इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाला कदम” बताया।
ब्रिटेन और अरब देशों में असर
ब्रिटेन में भी ट्रंप के इस आदेश से खलबली मची हुई है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के लिए यह आदेश एक चुनौती बन सकता है। ब्रिटिश-पाकिस्तानी समुदाय के लोगों ने भी इस फैसले पर चिंता व्यक्त की है। एक ब्रिटिश टैक्सी ड्राइवर, अजमत खान, ने बताया कि इस तरह के आदेश और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफरत, मुस्लिम समुदाय को बलि का बकरा बना सकती है।
अरब देशों में भी इस फैसले को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई देशों को डर है कि इस्लामोफोबिया और भेदभावपूर्ण नीतियों के चलते उनके नागरिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ट्रंप का बयान
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अमेरिका में रहने वाले विदेशी नागरिक अमेरिकी संस्कृति, सरकार या यहां के नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया न रखें। उन्होंने प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी विदेशी नागरिक का आतंकवादियों से संबंध न हो।
ट्रंप के इस नए फैसले ने दुनियाभर में विवाद खड़ा कर दिया है। जहां एक तरफ उनके समर्थक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का कदम बता रहे हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का अमेरिका और अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
क्या ट्रंप का यह कदम दुनिया में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा या और विवाद पैदा करेगा? यह तो समय ही बताएगा।
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