Dr Umar Nabi: कट्टर सोच का प्रोफेसर, फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ. उमर का अलगाववादी रवैया
Dr Umar Nabi: दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस मामले में जिस नाम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वह है डॉ. उमर नबी — एक ऐसा शख्स जो कभी छात्रों को पढ़ाता था, लेकिन अब देश के खिलाफ एक बड़ी साजिश का आरोपी बताया जा रहा है। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे डॉ. उमर की कहानी हैरान करने वाली है — क्लासरूम में जो बातें उन्होंने कीं, वही शायद बाद में उनके भीतर की कट्टर सोच की झलक बन गईं।
क्लास में लड़के-लड़कियों को बैठाता था अलग
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने बताया कि डॉ. उमर की क्लास का माहौल बाकी प्रोफेसरों से बिलकुल अलग था। वो लड़के और लड़कियों को एक साथ बैठने नहीं देते थे। यहाँ तक कि वो अपने धर्म के आधार पर भी छात्रों को अलग-अलग पंक्तियों में बैठाते थे।
एक छात्रा ने बताया की “वो हमें कहते थे कि अपने धर्म वालों के साथ ही बैठो। हमारी छोटी गलती पर हमें डांट लगाते, लेकिन अपने धर्म के छात्रों को कुछ नहीं कहते थे।”
उनका ये रवैया धीरे-धीरे क्लास में दूसरे धर्म के छात्रों के बीच दूरी और तनाव बढ़ाने लगा।
extremism in education
छात्रा ने आगे बताया कि डॉ. उमर हमेशा अपने धर्म के छात्रों को प्रेरित करते थे कि वे दूसरों से बेहतर प्रदर्शन करें। वो कहते –“तुम्हें साबित करना है कि तुम सबसे आगे हो। मेहनत करो, लेकिन हमेशा सावधान रहो कि कौन तुम्हारा विरोधी है।” ऐसे शब्द सुनने के बाद क्लास के दूसरे धर्म के छात्रों में असहजता फैल जाती थी। कई बार माहौल इतना तनावपूर्ण हो जाता कि पढ़ाई का ध्यान भटक जाता।
नमाज़ के वक्त रुक जाती थी क्लास
छात्राओं के मुताबिक, दिन में पाँच बार नमाज़ के समय पूरा क्लासरूम रुक जाता था। वो बताती हैं की “जैसे ही नमाज़ का वक्त होता, कई छात्र क्लास छोड़कर चले जाते। उमर सर भी कुछ नहीं कहते थे। हम सबको इंतज़ार करना पड़ता था कि कब वो लौटें और पढ़ाई दोबारा शुरू हो।”
इससे पढ़ाई पर तो असर पड़ता ही था, साथ ही छात्रों में अलग-अलग ग्रुप बन गए थे, जो कभी पहले नहीं थे।
religious bias in classroom
कई छात्रों का कहना है कि उमर की क्लास में धर्म के नाम पर भेदभाव बहुत साफ नजर आता था। कुछ छात्रों को लगता था कि वे चाहे जितनी मेहनत कर लें, “नंबर तो उनके ही ज्यादा आएंगे” — ये वाक्य क्लासरूम की आम बात बन चुकी थी।
यही वजह थी कि यूनिवर्सिटी में तनाव का माहौल कई बार बढ़ा, लेकिन किसी ने खुलकर शिकायत नहीं की।
Umar Nabi family “वो ऐसा नहीं कर सकता”
जब पुलिस ने बताया कि लाल किले के पास हुए धमाके में डॉ. उमर का नाम सामने आया है, तो जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के कोइल गांव में उनके परिवार पर मानो बिजली गिर गई। उनकी भाभी मुजम्मिला अख्तर ने कहा –“उमर बहुत शांत और पढ़ाई में ध्यान देने वाले थे। वो कम बोलते थे, किसी से झगड़ा नहीं करते थे। हमें यकीन नहीं होता कि वो किसी आतंकी साजिश में शामिल हो सकते हैं।”
मुजम्मिला ने बताया कि उमर ने शुक्रवार को फोन कर कहा था कि वो परीक्षा में व्यस्त हैं और तीन दिन बाद घर लौटेंगे।
एक शिक्षक से आतंक के शक तक…
फरीदाबाद के लोग भी ये खबर सुनकर हैरान हैं। यूनिवर्सिटी के कुछ पुराने छात्र कहते हैं कि डॉ. उमर का व्यवहार धीरे-धीरे बदलने लगा था। वो अब खुलकर धार्मिक बातें करने लगे थे और छात्रों को “आदर्श जीवन” के नाम पर कट्टर सोच की तरफ झुकाते थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, लाल किले के पास धमाका करने वाली ह्युंडई i20 कार वही चला रहा था। इस हादसे में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई।
समाज में खामोश बढ़ती कट्टरता
इस पूरी कहानी का सबसे डरावना पहलू ये है कि कट्टर सोच धीरे-धीरे कैसे किसी सामान्य व्यक्ति को अंधे रास्ते पर ले जा सकती है। एक पढ़ा-लिखा प्रोफेसर, जिसने कभी छात्रों को ज्ञान देना सिखाया, वो अगर नफरत और आतंक की राह पर चला जाए — तो ये समाज के लिए एक गहरी चेतावनी है।
अब पुलिस जांच में यह साफ होगा कि उमर नबी ने ये रास्ता क्यों और कैसे चुना,
लेकिन फिलहाल इतना तय है कि फरीदाबाद की यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ यह अध्याय अब पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है।
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