दिल्ली के नर्सरी एडमिशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हुआ है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए वार्षिक आय सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। इस निर्णय का सीधा लाभ उन परिवारों को मिलेगा जो अपने बच्चों का नर्सरी में दाखिला कराने के इच्छुक हैं, लेकिन अब तक कम आय सीमा की वजह से इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे थे।
दिल्ली में नर्सरी एडमिशन की मारामारी
दिल्ली में नर्सरी एडमिशन को लेकर हर साल काफी प्रतिस्पर्धा देखी जाती है। प्राइवेट स्कूलों की उच्च फीस के चलते साधारण परिवारों के लिए वहां अपने बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं होता। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें EWS कोटे के लिए आरक्षित कर रखी हैं। इन सीटों पर नामांकित बच्चों को कम फीस में अच्छी शिक्षा मिलती है।
आय सीमा बढ़ने से होगा फायदा
पहले EWS कोटे के तहत वार्षिक आय सीमा 2.5 लाख रुपये थी, जो आज के समय में कई परिवारों के लिए पर्याप्त नहीं थी। महंगाई और जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए पेरेंट्स लगातार इस सीमा को बढ़ाने की मांग कर रहे थे। उपराज्यपाल द्वारा आय सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ाने से अब अधिक परिवार इस कोटे का लाभ उठा सकेंगे और अपने बच्चों को कम खर्च में बेहतर शिक्षा दिला सकेंगे।
हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ बदलाव
दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर 2023 को दिल्ली सरकार को यह निर्देश दिया था कि EWS कोटे के लिए आय सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाए। पहले दिल्ली सरकार ने इसे 1 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि इसे कम से कम 5 लाख रुपये तक बढ़ाया जाए। अब इस पर अंतिम मंजूरी दे दी गई है।
परिवारों के लिए उम्मीद की किरण
यह बदलाव उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है जो अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंतित थे। अब 5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवार भी EWS कोटे के तहत अपने बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन करा सकेंगे। इससे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में समानता आएगी, बल्कि समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में आने का मौका भी मिलेगा।
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के इस निर्णय से न केवल नर्सरी एडमिशन प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि हजारों परिवारों को बेहतर शिक्षा का अवसर मिलेगा। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाएगा और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करेगा।
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