
सूर्या की फिल्म ‘कंगुवा’ को लेकर इन दिनों हलचल मची हुई है, खासकर इसके ऑस्कर के दावेदार बनने को लेकर। इस फिल्म ने नवंबर 2024 में सूर्या, बॉबी देओल, और दिशा पटानी के साथ बड़े पर्दे पर दस्तक दी थी, लेकिन इसे मिश्रित समीक्षाएं मिलीं और बॉक्स ऑफिस पर भी यह अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। इसके बावजूद, यह फिल्म ऑस्कर की पात्रता सूची में जगह बनाने में सफल रही है। तो सवाल यह उठता है कि क्या कंगुवा वाकई ऑस्कर के लिए नामांकित हो सकता है? आइए, हम इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
‘कंगुवा’ की पात्रता के बारे में क्या है खबर?
कंगुवा, जो सिरुथाई शिवा द्वारा निर्देशित की गई थी, बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफलता नहीं पाई जितनी उम्मीद की जा रही थी। फिर भी, यह फिल्म ऑस्कर 2025 के लिए पात्रता सूची में शामिल हो गई है, जिसमें बेहतर फिल्म श्रेणी के तहत 207 फिल्मों का नाम है। इसके अलावा, भारत की अन्य छह फिल्में भी इस लिस्ट में शामिल हैं: ‘आदुजीविथम: द गोट लाइफ’, ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’, ‘संतोष’, ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’, ‘पुतुल’, और ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’।
इस लिस्ट में शामिल होने का मतलब क्या है? क्या इसका मतलब है कि ‘कंगुवा’ ऑस्कर की दौड़ में है? इसे लेकर ऑस्कर पात्रता के नियम क्या हैं? आइए, जानते हैं।
BREAKING: Kanguva ENTERS oscars 2025🏆 pic.twitter.com/VoclfVtLBL
— Manobala Vijayabalan (@ManobalaV) January 7, 2025
ऑस्कर पात्रता के क्या हैं नियम?
ऑस्कर में किसी फिल्म को बेहतर फिल्म श्रेणी के लिए विचार करने से पहले, उसे कुछ विशिष्ट पात्रता मानकों को पूरा करना होता है। अकादमी ने 2025 के ऑस्कर के लिए पात्रता नियमों की घोषणा की है। इसके मुताबिक, फीचर फिल्म को 2024 के साल में, यानी 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 के बीच, कम से कम सात दिनों तक एक ही थिएटर में लगातार चलना चाहिए, और इसे अमेरिका के छह प्रमुख शहरों में से एक में व्यावसायिक रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
ये छह शहर हैं:
- लॉस एंजेलिस काउंटी (Los Angeles County)
- न्यूयॉर्क शहर (New York City)
- सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र (Bay Area)
- शिकागो, इलिनॉय (Chicago, Illinois)
- डलास-फोर्ट वर्थ, टेक्सास (Dallas-Fort Worth, Texas)
- अटलांटा, जॉर्जिया (Atlanta, Georgia)
फिल्म की अवधि कम से कम 40 मिनट होनी चाहिए और इसे किसी व्यावसायिक सिनेमा हॉल में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। यही नियम कंगुवा सहित बाकी फिल्मों के लिए भी लागू होते हैं। इसके तहत, जब किसी फिल्म को इन शहरों में प्रदर्शित किया जाता है और इसकी कम से कम सात दिन की क्वालिफाइंग रन पूरी होती है, तभी उसे ऑस्कर में नामांकित किया जा सकता है।
क्या कंगुवा को ऑस्कर में नामांकित होने का मौका है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या ‘कंगुवा’ को वाकई ऑस्कर 2025 के लिए नामांकित होने का मौका मिल सकता है? बेशक, यह फिल्म इस पात्रता सूची में शामिल है, लेकिन इसके नामांकन की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि यह किस प्रकार की समीक्षाएं और प्रतिक्रिया प्राप्त करती है। कंगुवा एक एपिक फैंटेसी फिल्म है, जिसमें सूर्या, बॉबी देओल, और दिशा पटानी जैसे बड़े सितारे हैं। फिल्म में शानदार एक्शन सीक्वेंस और ग्राफिक्स को लेकर दर्शकों में काफी उत्साह था, लेकिन इसकी कहानी और प्रस्तुति को लेकर कई आलोचनाएं भी हुईं। यही वजह है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी।
हालांकि, ऑस्कर में नामांकित होने के लिए, फिल्म को सिर्फ बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन और समीक्षाओं से नहीं आंकते। अकादमी का फैसला कला, सिनेमैटोग्राफी, निर्देशन, अभिनय और अन्य पहलुओं पर आधारित होता है। ऐसे में, कंगुवा की टॉप-लेवल के अभिनय, ग्राफिक्स और बड़े बजट की फिल्म होने के कारण उसे ऑस्कर की दौड़ में जरूर माना जा सकता है, लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि क्या इसे नामांकन मिलेगा या नहीं।
ऑस्कर के लिए भारत की अन्य फिल्में
इसके अलावा, भारत से छह और फिल्में हैं जो ऑस्कर की पात्रता सूची में शामिल हुई हैं। इनमें से कुछ फिल्में, जैसे ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’, ‘आदुजीविथम’, और ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’, काफी चर्चित और संवेदनशील विषयों पर आधारित हैं। ये फिल्में अकादमी के लिए विचार करने योग्य हो सकती हैं क्योंकि भारत के कंटेंट में गहरी सामाजिक और सांस्कृतिक परतें होती हैं, जो अकादमी में एक अलग पहचान बना सकती हैं।
ऑस्कर के नामांकन की प्रक्रिया
ऑस्कर की नामांकन प्रक्रिया का पहला चरण तब शुरू होता है जब फिल्में पात्रता सूची में शामिल होती हैं। इसके बाद, एक जूरी पैनल विभिन्न फिल्मों का आकलन करता है और श्रेणी के अनुसार नामांकन करता है। यदि कंगुवा और अन्य भारतीय फिल्में चयनित होती हैं, तो उनका नामांकन ऑस्कर 2025 के समारोह में आधिकारिक रूप से घोषित किया जाएगा।
अब हमें इंतजार है कि क्या कंगुवा और अन्य फिल्में इस पात्रता सूची के बावजूद नामांकित हो पाती हैं। यह निश्चित रूप से भारतीय सिनेमा के लिए एक गर्व की बात होगी।
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