विक्रमादित्य मोटवाने की फिल्म ‘Ctrl’ डिजिटल युग के जटिल पहलुओं को उजागर करती है, जिसमें अनन्या पांडे (नेला अवस्थी) और विहान समत (जो मस्कारेनहास) की दिलचस्प कहानी है। कॉलेज फेस्टिवल में पहली बार मिलते हुए, यह जोड़ी तेजी से एक प्रभावशाली कपल के रूप में उभरती है, जिसे सोशल मीडिया पर ‘Njoi’ के रूप में जाना जाता है। लेकिन जब जो को अपनी टेक कंपनी की सच्चाई का पता चलता है—एक कंपनी जो उपयोगकर्ता की जानकारी का उपयोग कर उनके जीवन पर नियंत्रण रखती है—तब उनका रिश्ता संकट में आ जाता है।
नेला जब अपनी डिजिटल पहचान तोड़ने का प्रयास करती है, तब उसे एहसास होता है कि वह नियंत्रण खो चुकी है। फिल्म तकनीक और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के घुसपैठ को दर्शाती है, खासकर जब नेला एक AI प्लेटफॉर्म ‘CTRL’ का सहारा लेती है। तकनीकी उत्कृष्टता, संवाद लेखन, और सिनेमेटोग्राफी ने फिल्म को गहराई प्रदान की है। हालांकि कहानी दो-आयामी प्रतीत होती है, यह एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि हमें अपने डिजिटल जीवन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
एक नई कहानी का आगाज़
विक्रमादित्य मोटवाने की फिल्म ‘Ctrl’ में अनन्या पांडे और विहान समत की शानदार भूमिकाएँ हमें आज के डिजिटल युग के जटिल पहलुओं से परिचित कराती हैं। फिल्म की कहानी नेला अवस्थी (अनन्या) और जो मस्कारेनहास (विहान) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक कॉलेज फेस्टिवल में पहली बार मिलते हैं। इनकी कहानी का आरंभ ऑनलाइन मीडिया की दुनिया से होता है, जहां हर पल को सोशल मीडिया पर साझा किया जाता है।
डिजिटल जीवन का वास्तविकता
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे नेला और जो एक प्रभावशाली कपल के रूप में उभरते हैं, जो ‘Njoi’ नामक डिजिटल पहचान के चारों ओर घूमते हैं। यह आकर्षण उस समय खतरे में पड़ जाता है जब जो को अपनी कंपनी की सच्चाई का पता चलता है—एक ऐसी कंपनी जो उपयोगकर्ता की जानकारी का उपयोग कर उनके जीवन पर नियंत्रण रखती है। क्या हम सच में अपनी ‘टर्म्स और कंडीशन्स’ को पढ़ते हैं जब नए ऐप्स के लिए साइन अप करते हैं? यही महत्वपूर्ण सवाल फिल्म उठाती है।
नकारात्मकता का सामना
जब नेला अपनी डिजिटल पहचान को तोड़ने का प्रयास करती है, तो उसे एहसास होता है कि वह नियंत्रण खो चुकी है। जो का धोखा, जो एक लाइवस्ट्रीम के माध्यम से सामने आता है, उसे सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार बनाता है। यह फिल्म न केवल व्यक्तिगत संकट को दर्शाती है, बल्कि डिजिटल जीवन के नकारात्मक पहलुओं को भी उजागर करती है।
तकनीक का प्रभाव
‘Ctrl’ यह दर्शाती है कि कैसे तकनीक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हमारे जीवन में घुसपैठ कर रहे हैं। जब नेला ‘CTRL’ नामक एक AI प्लेटफॉर्म का सहारा लेती है, तो वह अपने पूर्व प्रेमी को अपने डिजिटल अतीत से मिटाने की कोशिश करती है। लेकिन क्या यह उसे सच में राहत दे पाएगा? यह सवाल फिल्म की गहराई में छिपा है।
तकनीकी उत्कृष्टता
फिल्म का संवाद लेखन, छायांकन और संपादन सभी बारीकी से इस विषय को चित्रित करते हैं। समुखी सुरेश के संवाद, प्रातिक शाह की सिनेमेटोग्राफी और जाहान नोबल की संपादन शैली ने फिल्म को एक गहराई और बारीकी प्रदान की है। ये तकनीकी तत्व ‘Ctrl’ को एक चिंतनशील अनुभव बनाते हैं।
दर्शकों पर प्रभाव
हालांकि अनन्या पांडे और विहान समत ने अपनी भूमिकाएँ अच्छी तरह निभाई हैं, लेकिन फिल्म का प्रभाव तब ही महसूस होता है जब वे स्क्रीन से बाहर आते हैं। ‘Ctrl’ एक मनोरंजक कहानी है, लेकिन यह अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुँच पाती। इसकी कहानी दो-आयामी लगती है, जो केवल एक ही दृष्टिकोण से देखी जा सकती है।
निष्कर्ष
‘Ctrl‘ एक साहसिक प्रयोग है, जो डिजिटल युग के युवा दर्शकों को एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह तकनीक के अत्यधिक प्रभाव और डिजिटल जीवन की चुनौतियों को दर्शाती है। हालाँकि यह कई पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है, इसकी कहानी की गहराई में कमी रह गई है। अंततः, यह फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि हमें अपने डिजिटल जीवन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। क्या यह हर दर्शक को प्रभावित कर सकेगी? इसका उत्तर देखने के बाद ही स्पष्ट होगा।
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