लंबे समय से बीमार चल रहे पाटिल ने सुबह लगभग 6:30 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री Shivraj Patil का सोमवार सुबह महाराष्ट्र के लातूर में निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। लंबे समय से बीमार चल रहे पाटिल ने सुबह लगभग 6:30 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली। बीते कई महीनों से उनका इलाज लातूर में ही चल रहा था। उनके निधन से देश की राजनीति में एक ऐसी विरासत समाप्त हो गई, जिसने छह दशक से अधिक समय तक भारतीय प्रशासन, संसद, और राज्यों की राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी।
लोकसभा अध्यक्ष से लेकर गृह मंत्री तक
Shivraj Patil भारतीय राजनीति के उन कुछ नेताओं में रहे, जिन्होंने जीवन के विभिन्न चरणों में कई महत्वपूर्ण संवैधानिक और प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। वह सात बार लातूर से लोकसभा सांसद चुने गए। यह उपलब्धि उनके क्षेत्र में गहरी जनस्वीकृति का प्रमाण रही।
केंद्र सरकार में पाटिल ने कई महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वह 1980 के दशक में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की कैबिनेट में रक्षा राज्य मंत्री और फिर रक्षा मंत्री भी रहे। 1991 में उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया, जहाँ उन्होंने 1991 से 1996 तक 10वें लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। शांत, संतुलित और नियमों के पालन में दृढ़ पाटिल को संसदीय प्रक्रियाओं की उत्कृष्ट समझ के लिए जाना जाता था।
वर्ष 2004 में यूपीए-1 सरकार में पाटिल को भारत का गृह मंत्री बनाया गया। 2004 से 2008 तक वह इस महत्वपूर्ण पद पर रहे और आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद रोधी नीतियों और राज्यों के साथ समन्वय जैसे मुद्दों को संभाला। हालांकि, 26/11 मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा चूक को लेकर हुई तीखी आलोचना के बाद उन्होंने 30 नवंबर 2008 को गृह मंत्री पद से इस्तीफा देकर नैतिक जिम्मेदारी ली, जो भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ मिसाल माना जाता है।
राज्यपाल के रूप में भी निभाई अहम भूमिका
केंद्र और संसद में अपनी भूमिका निभाने के बाद, शिवराज पाटिल को 2010 में पंजाब का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसी के साथ वह चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक भी बने। पाटिल ने 2015 तक इस पद पर रहते हुए पंजाब में राजनीतिक स्थिरता, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में शांत लेकिन प्रभावी भूमिका निभाई।
लातूर की धरती से उठकर राष्ट्रीय राजनीति तक
Shivraj Patil का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को हुआ था। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया और बाद में बॉम्बे विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। युवा अवस्था में वह स्थानीय निकायों से राजनीति में आए और 1967 से 1969 तक लातूर नगर पालिका में कार्यरत रहे।
उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में केशवराव सोनावाने और माणिकराव सोनावाने जैसे वरिष्ठ नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने उन्हें लातूर से पहली बार चुनाव लड़ने का अवसर दिलाया। पाटिल पंचमसाली लिंगायत समुदाय से आते थे और समुदाय के एक प्रभावशाली चेहरे माने जाते थे।
परिवार और निजी जीवन
शिवराज पाटिल ने जून 1963 में विजया पाटिल से विवाह किया था। उनके परिवार में दो बच्चे—एक बेटा और एक बेटी हैं। Shivraj Patil धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन से गहरा जुड़ाव रखते थे। वह सत्य साई बाबा के कट्टर अनुयायी थे और उन्होंने कई अवसरों पर आध्यात्मिकता को सार्वजनिक जीवन के संतुलन का मूल तत्व बताया।
विरासत और योगदान
अपने लंबी राजनीतिक यात्रा में Shivraj Patil को एक सुलझे, विनम्र और सौम्य स्वभाव वाले नेता के रूप में याद किया जाएगा। वह ऐसे राजनेता थे जो सत्ता की चकाचौंध से ज्यादा प्रशासनिक अनुशासन और संवैधानिक मर्यादाओं को महत्व देते थे। संसद में वक्ताओं के सम्मान, विपक्ष के साथ संवाद और सदन के सुचारू संचालन के लिए उनके प्रयासों को आज भी सराहा जाता है।
गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को आतंकवाद पर कड़े रुख, राज्यों के साथ बेहतर तालमेल और कई महत्वपूर्ण सुरक्षा नीतियों के लिए याद किया जाता है। वहीं राज्यपाल के रूप में उन्होंने पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निधन से उठी शोक की लहर
देश भर के राजनीतिक दलों, नेताओं और नागरिकों ने Shivraj Patil के निधन पर शोक व्यक्त किया है। कांग्रेस नेतृत्व ने कहा कि “शिवराज पाटिल का जाना देश के लिए बड़ी क्षति है। उनका सार्वजनिक जीवन ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक रहा।”
भारतीय राजनीति में शिवराज पाटिल को हमेशा एक संयमित, सिद्धांतवादी और जिम्मेदार नेतृत्व के रूप में याद किया जाएगा। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।







