
Ganesh Chaturthi 2025: बप्पा के स्वागत की तैयारी शुरू करें, इस बार बने हैं दुर्लभ संयोग
Ganesh Chaturthi 2025: सनातन धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है। उन्हें प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता और मंगलमूर्ति कहा जाता है। हर शुभ कार्य से पहले गणपति बप्पा की आराधना की परंपरा है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 27 अगस्त 2025, बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन से शुरू होकर दस दिनों तक बप्पा के स्वागत और पूजा का उत्सव चलता है और 6 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ यह पर्व संपन्न होता है।
इस बार खास है गणेश चतुर्थी 2025
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गणेश चतुर्थी पर कई दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं। शुक्ल योग, शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और भद्रावास योग जैसे संयोग बनेंगे, जिनमें भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलने की मान्यता है। ऐसे शुभ योग में बप्पा की कृपा और भी अधिक मानी जाती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गणेश चतुर्थी का पर्व सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं है। यह त्योहार आस्था, उत्साह और एकता का प्रतीक है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में लोग घर-घर बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं। पंडाल सजते हैं, भजन-कीर्तन होते हैं, और दस दिनों तक भक्तों का सैलाब उमड़ता है। विदेशों में भी भारतीय समुदाय इसे बड़ी श्रद्धा से मनाता है।
हरतालिका तीज और चौरचन
गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले हरतालिका तीज और चौरचन जैसे पर्व भी आते हैं। इस साल 26 अगस्त को हरतालिका तीज और चौरचन मनाए जाएंगे। यह भी भाद्रपद मास के शुभ अवसर माने जाते हैं।
गणेश जी की विवाह कथा
गणेश जी के बारे में कई रोचक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक है उनका विवाह। कहा जाता है कि तुलसी माता ने गणेश जी को विवाह प्रस्ताव दिया, लेकिन गणेश जी ने मना कर दिया। नाराज होकर तुलसी जी ने उन्हें श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे। बाद में गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि से हुआ, जो ब्रह्मा जी की पुत्रियां थीं। यह कथा हमें यह सिखाती है कि गणेश जी सिर्फ विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि ज्ञान और समृद्धि के भी स्वामी हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त और पंचांग
- सूर्योदय – सुबह 06:28 बजे
- सूर्यास्त – शाम 06:14 बजे
- चंद्रोदय – सुबह 08:52 बजे
- चंद्रास्त – रात 08:28 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त – 03:58 से 04:43 बजे तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 01:58 से 02:49 बजे तक
बप्पा के प्रिय भोग
गणपति बप्पा का सबसे प्रिय भोग है मोदक। मान्यता है कि मोदक अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा बप्पा को लड्डू, खीर, मालपुए, मिठाई, फल और दूर्वा अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। पूजा के समय ‘श्री गणेशाय नमः’ और ‘वक्रतुंड महाकाय’ जैसे मंत्रों का जप जरूर करें।
पूजा के दौरान अर्पित करें ये चीजें
गणेश जी की पूजा में वस्त्र, जनेऊ, चंदन, धूप, दीप, फल, फूल और दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करते समय मंत्र का उच्चारण करें –
“श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।”
गणेश चतुर्थी से क्या सीखें?
गणपति बप्पा हमें सिखाते हैं कि किसी भी कठिनाई से डरना नहीं चाहिए। हर समस्या का समाधान धैर्य, ज्ञान और श्रद्धा से संभव है। गणेश जी का बड़ा सिर ज्ञान का प्रतीक है, छोटा मुंह कम बोलने की सीख देता है, और बड़ी आंखें सतर्क रहने की प्रेरणा देती हैं।
भक्तों के लिए संदेश
इस गणेश चतुर्थी, बप्पा के स्वागत के लिए अपने घर में स्वच्छता, भक्ति और प्रेम का वातावरण बनाएं। पूजा के साथ-साथ पर्यावरण का ध्यान रखें, इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा का उपयोग करें और विसर्जन के समय जल प्रदूषण न फैलाएं।
गणपति बप्पा मोरया! मंगलमूर्ति मोरया!
इस गणेश उत्सव में बप्पा आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियां लाएं।
यह भी पढ़े
spiritual awakening: रात 3 से 5 बजे क्यों टूटती है नींद? जानिए ब्रह्म मुहूर्त का रहस्य