थाईलैंड ने दक्षिण-पूर्व एशिया में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश बनकर इतिहास रच दिया है। शादी समानता अधिनियम (Marriage Equality Act) के लागू होने के साथ ही, LGBTQ+ समुदाय के जोड़ों को अब कानूनी, वित्तीय और सामाजिक अधिकार मिल गए हैं।
गुरुवार को इस कानून के लागू होने के बाद, सैकड़ों समलैंगिक जोड़ों ने शादी के पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की। यह थाईलैंड को एशिया में ताइवान और नेपाल के बाद तीसरा ऐसा देश बनाता है, जहां समलैंगिक विवाह को मान्यता प्राप्त है।
पहले जोड़े ने रचाई शादी
इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करने के लिए थाईलैंड के प्रसिद्ध अभिनेता अपिवात “पॉर्श” अपिवतसरी (49) और सपन्यु “आर्म” पनाटकूल (38) ने गुरुवार को शादी की। दोनों ने एक समारोह में अपनी शादी का पंजीकरण कराया और गुलाबी बॉर्डर वाले विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त किए।
“हमने इस दिन के लिए दशकों तक संघर्ष किया है, और आज का दिन इस बात का सबूत है कि प्यार ही प्यार है,” सपन्यु ने कहा।
कानून के प्रमुख पहलू
शादी समानता अधिनियम, जिसे सितंबर 2024 में राजा महा वजिरालोंगकोर्न द्वारा मंजूरी दी गई थी, 120 दिनों के बाद लागू हुआ। यह अधिनियम नागरिक और वाणिज्यिक कोड (Civil and Commercial Code) में संशोधन करता है। अब “पुरुष और महिला” तथा “पति और पत्नी” जैसे शब्दों को “व्यक्ति” और “वैवाहिक साथी” में बदल दिया गया है।
यह कानून LGBTQ+ जोड़ों को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है:
- संयुक्त संपत्तियों पर अधिकार।
- कर संबंधी दायित्व और कटौती।
- उत्तराधिकार और पेंशन लाभ।
- संपत्ति साझा करने और चिकित्सा निर्णय लेने का अधिकार।
शादी पंजीकरण का उत्सव
पंजीकरण प्रक्रिया आमतौर पर जिला कार्यालयों में की जाती है, लेकिन इस ऐतिहासिक अवसर पर बैंकॉक के एक शॉपिंग मॉल में एक दिवसीय भव्य समारोह आयोजित किया गया। यहां लगभग 300 LGBTQ+ जोड़ों ने अपनी शादी का पंजीकरण कराया।
थाईलैंड के अन्य हिस्सों में भी कई जोड़ों ने पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की।
थाईलैंड की समलैंगिक विवाह के प्रति सहिष्णुता
थाईलैंड अपने समावेशी और सहिष्णु दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। हर साल यहां के बैंकॉक प्राइड परेड में हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। हालांकि, LGBTQ+ अधिकारों को लेकर देश ने लंबा संघर्ष किया है।
इस समाज में, जहां पारंपरिक मान्यताएं गहरी जमी हुई हैं, समलैंगिक समुदाय को अभी भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
बैंकॉक की नगर सरकार ने सभी जिला कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए कार्यशालाएं आयोजित कीं, ताकि वे विवाह पंजीकरण के दौरान विविध लैंगिक पहचानों के प्रति संवेदनशीलता दिखा सकें।
दुनिया में समलैंगिक विवाह का विस्तार
नीदरलैंड ने 2001 में पहली बार समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी थी। उसके बाद से अब तक 30 से अधिक देशों ने इसे कानूनी रूप से मान्यता दी है। थाईलैंड ने यह कदम उठाकर न केवल एशिया बल्कि दुनिया में अपनी जगह मजबूत की है।
थाईलैंड में समलैंगिक विवाह की वकालत पिछले एक दशक से चल रही थी। हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता और लगातार तख्तापलट के कारण यह प्रक्रिया धीमी रही।
भारत के लिए प्रेरणा?
थाईलैंड का यह कदम भारत जैसे देशों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हो सकता है, जहां LGBTQ+ समुदाय अभी भी समान अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। भारत में समलैंगिकता को 2018 में अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया था, लेकिन समलैंगिक विवाह को अब तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है।
थाईलैंड में समलैंगिक विवाह कानून का लागू होना न केवल LGBTQ+ समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक जीत है, बल्कि यह दुनिया को समावेशिता और समानता की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश भी देता है।
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