Goa Liberation Day: गोवा, भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण पश्चिमी तट पर स्थित एक राज्य, 450 वर्षों तक पुर्तगाली शासन के अधीन रहा। जब भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की, तब गोवा अभी भी पुर्तगाली साम्राज्य के अधीन था। यह गोवा का स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास के उन अध्यायों में से एक है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसम्बर को मनाया जाता है, और यह दिन गोवा की पुर्तगाली शासन से मुक्ति और भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनने की याद दिलाता है।
गोवा का स्वतंत्रता संग्राम
गोवा में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 18 जून 1946 को हुई, जब डॉ. राम मनोहर लोहिया और डॉ. जूलियाओ मेनेजेस ने राज्य में सार्वजनिक बैठकों पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध करते हुए नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। हालांकि, इस पहले आंदोलन को पुर्तगाली शासन ने दबा दिया, लेकिन इसने गोवा के लोगों में स्वतंत्रता की लौ को और भी प्रज्वलित किया। धीरे-धीरे यह आंदोलन बढ़ता गया और पूरे राज्य में जन जागरूकता फैली।
गोवा का स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ सशस्त्र संघर्ष तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष था, जिसमें गोवावासियों ने पुर्तगाली शासन के खिलाफ लगातार संघर्ष किया। इस दौरान कई नेताओं और नागरिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन उनका बलिदान बेकार नहीं गया।
गोवा मुक्ति के लिए भारतीय सरकार का हस्तक्षेप
भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, लेकिन गोवा अभी भी पुर्तगाली शासन के अधीन था। पुर्तगाल, नाटो (NATO) का सदस्य होने के कारण, भारतीय सरकार को गोवा में सैन्य हस्तक्षेप करने से रोक रहा था। भारतीय सरकार ने शांतिपूर्वक समाधान की कोशिशें कीं, लेकिन पुर्तगाली शासन ने किसी भी समझौते को मानने से इनकार कर दिया।
अंततः, जब नवंबर 1961 में पुर्तगाली सैनिकों ने भारतीय मछुआरों पर गोलियां चलानी शुरू की और कुछ गांववासियों को बंधक बना लिया, तो भारतीय रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। इसके बाद भारतीय सरकार ने पुर्तगाल के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया, और ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की।
ऑपरेशन विजय: गोवा की मुक्ति
‘ऑपरेशन विजय’ 19 दिसम्बर 1961 को शुरू हुआ था। इसमें भारतीय सेना के लगभग 30,000 सैनिकों ने गोवा पर हमला किया, और उन्हें भारतीय वायुसेना तथा नौसेना का भी पूरा समर्थन प्राप्त था। 48 घंटों के भीतर पुर्तगाली सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया और गोवा को भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना दिया। इस अभियान में कुल 22 भारतीय सैनिक और 30 पुर्तगाली सैनिक शहीद हुए।
ऑपरेशन विजय के बाद, गोवा का प्रशासन भारतीय सरकार के अधीन आया, और गोवा के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में कन्हिरामन पलट कंदेथ को नियुक्त किया गया। उन्होंने राज्य के प्रशासन की जिम्मेदारी संभाली और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लोगों की बहादुरी को सम्मानित किया।
Goa Liberation Day की महत्ता
गोवा मुक्ति दिवस, 19 दिसम्बर को मनाया जाता है, और यह गोवा के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस दिन को याद करते हुए राज्य के लोग अपने स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता को सम्मानित करते हैं। यह दिन एक जश्न का दिन होता है, जो गोवा के लोगों के संघर्ष और बलिदान को मान्यता देता है।
इस दिन राज्य के प्रमुख अधिकारी जैसे राज्यपाल और मुख्यमंत्री, गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसके अलावा, विभिन्न स्थानों से मशाल रैलियां (Torchlight Rallies) निकाली जाती हैं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों, और विभिन्न संस्थानों में गोवा के स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता, नाटक और संगीत प्रस्तुत किए जाते हैं।
गोवा का राज्यत्व
गोवा को भारत में राज्य का दर्जा 30 मई 1987 को मिला। इससे पहले गोवा केंद्र शासित प्रदेश था। गोवा की राज्यhood के बाद वहां का प्रशासन और सरकार पूरी तरह से भारतीय संविधान के अनुसार संचालित होने लगी। गोवा के लोगों ने अपनी स्वतंत्रता और राज्यत्व की प्राप्ति को एक बड़ी जीत के रूप में देखा और इसे लेकर गर्व महसूस किया।
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