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अमेरिका से भारतीयों के निर्वासन पर बोले एस. जयशंकर: यू.एस. डिपोर्टेशन मामले में सरकार उठाएगी सख्त कदम
अमेरिका से भारतीय प्रवासियों के निर्वासन के मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को संसद में बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी देशों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अपने उन नागरिकों को वापस लें, जो अवैध रूप से विदेशों में रह रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि सरकार अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासित भारतीयों के साथ कोई दुर्व्यवहार न हो।
अमेरिका से 104 भारतीयों का निर्वासन
बुधवार को अमृतसर हवाई अड्डे पर एक अमेरिकी सैन्य विमान के जरिए 104 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया। इनमें हरियाणा, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ के नागरिक शामिल थे। निर्वासित व्यक्तियों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग बच्चे भी थे, जिनमें चार, पांच और सात साल की उम्र के तीन छोटे बच्चे भी शामिल हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि केंद्र सरकार अमेरिका से लगातार संपर्क में है और यह सुनिश्चित कर रही है कि निर्वासित भारतीय नागरिकों को उचित तरीके से वापस लाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर भारत सरकार मानव तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कड़े कदम उठाएगी।
सरकार का रुख: तस्करों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
राज्यसभा में बोलते हुए जयशंकर ने कहा,“हम अमेरिकी सरकार के साथ इस मुद्दे पर लगातार संवाद कर रहे हैं ताकि निर्वासित भारतीयों के साथ कोई अनुचित व्यवहार न हो। साथ ही, हमें अवैध प्रवास को बढ़ावा देने वाले मानव तस्करों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी होगी।”
उन्होंने कहा कि निर्वासित लोगों से मिली जानकारी के आधार पर मानव तस्करों और अवैध प्रवासन में शामिल एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अमेरिकी निर्वासन की प्रक्रिया और विपक्ष की प्रतिक्रिया
जयशंकर ने संसद में बताया कि अमेरिका में निर्वासन की प्रक्रिया “इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE)” द्वारा संचालित की जाती है। यह प्रक्रिया 2013 से चली आ रही है और हाल ही में निर्वासित किए गए भारतीयों को उसी मानक प्रक्रिया के तहत भेजा गया है।
हालांकि, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर संसद में हंगामा किया। अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला सहित कई विपक्षी सांसदों ने हाथों में हथकड़ी पहनकर विरोध जताया और सरकार से इस विषय पर विस्तृत चर्चा की मांग की।
कांग्रेस का बयान: निर्वासितों के साथ व्यवहार अनुचित
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका के इस कदम को “अनावश्यक” बताया। उन्होंने कहा,“अमेरिका को भारतीयों को निर्वासित करने का अधिकार है, लेकिन वे अपराधी नहीं हैं। उनके पास गलत मंशा नहीं थी। उन्हें एक सैन्य विमान के बजाय किसी व्यावसायिक उड़ान से भेजा जाना चाहिए था। यह प्रक्रिया अधिक मानवीय हो सकती थी।”
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2024 में बाइडेन प्रशासन के तहत 1100 से अधिक भारतीयों को निर्वासित किया गया था।
निर्वासितों की आपबीती: ‘डोंकी रूट’ से अमेरिका पहुंचे थे लोग
निर्वासित प्रवासियों ने अमेरिका पहुंचने के लिए अपनाए गए खतरनाक रास्तों की दर्दनाक कहानियां साझा कीं। पंजाब के हरविंदर सिंह ने बताया कि उसने अगस्त 2024 में अमेरिका जाने के लिए ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और मैक्सिको के रास्ते से यात्रा की थी।
उन्होंने बताया,“हमने पहाड़ों को पार किया। समुद्र में हमारी नाव डूबने वाली थी, लेकिन हम बच गए। मैंने अपनी आंखों के सामने पनामा जंगल में एक व्यक्ति को मरते देखा और एक अन्य को समुद्र में डूबते देखा।”
एक अन्य निर्वासित ने बताया कि यात्रा के दौरान तस्करों ने उनके ₹30,000-35,000 के कपड़े लूट लिए। उन्होंने कहा,
“हमने 17-18 पहाड़ पार किए। अगर कोई गिर जाता, तो उसका बचना असंभव था। कई लोग घायल हो गए और उन्हें वहीं मरने के लिए छोड़ दिया गया। हमने रास्ते में कई शव देखे।”
‘डंकी रूट’ के खतरनाक सफर की भयावह कहानी
निर्वासित भारतीयों ने बताया कि अमेरिका तक पहुंचने के लिए ‘डंकी रूट’ यानी अवैध मार्गों का इस्तेमाल किया गया।
हरविंदर सिंह, जो पंजाब के होशियारपुर जिले से हैं, ने बताया कि वह कतर, ब्राज़ील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और मैक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचे थे। उन्होंने कहा, “हमने पहाड़ों को पार किया और समुद्र में डगमगाती नावों में सफर किया। मैंने अपनी आंखों के सामने पनामा के जंगल में एक व्यक्ति को मरते देखा और एक अन्य व्यक्ति को समुद्र में डूबते देखा।”
एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि सफर के दौरान उनके कपड़े और कीमती सामान लूट लिए गए। उन्होंने कहा, “हमने 17-18 पहाड़ पार किए। अगर कोई फिसलता, तो उसकी जान बचने का कोई मौका नहीं था। जो घायल होते, उन्हें वहीं मरने के लिए छोड़ दिया जाता था।”
अमेरिका ने अवैध प्रवासियों पर की सख्ती
अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जा रहा है। अमेरिका के बॉर्डर पेट्रोल अधिकारियों ने जनवरी 2025 में जसपाल सिंह नामक भारतीय प्रवासी को गिरफ्तार किया था, जिन्हें 24 जनवरी को अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर पकड़ा गया। उन्होंने बताया कि पूरे निर्वासन के दौरान उनके हाथ और पैर में बेड़ियां लगी थीं, जिन्हें अमृतसर पहुंचने के बाद ही खोला गया।
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