
GST Council Meeting 2025: जीएसटी बैठक से त्योहारों पर बरस सकती है राहत, कपड़े, जूते और गाड़ियां हो सकती हैं सस्ती!
GST Council Meeting 2025: गणेशोत्सव का मौसम है। घर-घर में खुशियां हैं, बाजारों में रौनक है, लेकिन दुकानदारों के माथे पर चिंता की लकीरें भी गहरी होती जा रही हैं। वजह है आने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक। ग्राहक बाजार में आ तो रहे हैं, मॉल और रिटेल स्टोर्स पर भीड़ भी है, लेकिन खरीदारी ठंडी पड़ी हुई है। वजह साफ है—सबकी निगाहें टिकी हैं 3 और 4 सितंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक पर, जहां सरकार यह तय करेगी कि आपकी खरीदारी की टोकरी महंगी होगी या सस्ती।
ग्राहक इंतजार में, बाजार थमा हुआ
इस वक्त दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक सामान तो देख रहे हैं, दाम पूछ रहे हैं, लेकिन खरीदारी टाल रहे हैं। उनकी उम्मीद है कि बैठक के बाद जीएसटी दरें घटेंगी, इसलिए फिलहाल शॉपिंग रोक दी गई है। कपड़े, जूते, प्रोसेस्ड फूड, दोपहिया वाहन और छोटी कारों की बिक्री पर सीधा असर दिख रहा है।
क्या बदल सकता है जीएसटी स्लैब?
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में बड़े बदलाव की तैयारी है।
- अभी तक ₹1000 से ऊपर की कीमत वाले कपड़े और फुटवेयर पर 12% जीएसटी और ₹1000 से कम वाले पर 5% लगता है। लेकिन अब यह सीमा खत्म करने पर विचार हो रहा है।
- मतलब—चाहे महंगे कपड़े खरीदें या सस्ते, टैक्स घटकर सिर्फ 5% रह जाएगा।
- 12% स्लैब में आने वाली लगभग 99% चीजों को 5% में लाने का प्रस्ताव है। इसमें गारमेंट्स, फुटवेयर और पैक्ड प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं।
- इतना ही नहीं, 28% वाले स्लैब में आने वाले एसी और बड़े स्क्रीन वाले टीवी अब 18% पर आ सकते हैं।
- दोपहिया वाहन और छोटी कारों पर भी जीएसटी घटने की संभावना जताई जा रही है।
अगर ऐसा हुआ तो त्योहारों की शॉपिंग में ग्राहकों को बड़ी बचत होगी।
ग्राहकों के लिए त्योहारों का तोहफा
त्योहारी सीजन में सबसे ज्यादा बिक्री कपड़े, जूते, खाने-पीने के पैक्ड सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स की होती है। अगर दरें घटा दी जाती हैं, तो यह ग्राहकों के लिए किसी धमाकेदार ऑफर से कम नहीं होगा।
कल्पना कीजिए—जहां आप ब्रांडेड शर्ट या महंगे जूते खरीदने पर अब तक ज्यादा टैक्स दे रहे थे, वही चीजें अब 5% टैक्स पर मिलेंगी। यानी सीधे-सीधे जेब पर हल्का बोझ और शॉपिंग का दोगुना मज़ा।
दुकानदारों को भी मिलेगी राहत
यह राहत सिर्फ ग्राहकों के लिए ही नहीं, बल्कि दुकानदारों के लिए भी बेहद जरूरी है। अभी हालात ये हैं कि ग्राहक पूछताछ तो कर रहे हैं, लेकिन खरीदारी आगे टाल रहे हैं। इससे बाजार में मंदी जैसी स्थिति है। अगर जीएसटी दरें कम हो जाती हैं, तो बिक्री बढ़ेगी और दुकानदारों का नुकसान भी रुकेगा।
नवरात्र से लागू हो सकते हैं नए नियम
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोशिश होगी कि नई दरें नवरात्रि से ही लागू कर दी जाएं। ताकि त्योहारी सीजन की शुरुआत से ही बाजार में रौनक लौट आए।
रिटेल एसोसिएशन ने भी सरकार से अपील की है कि इन बदलावों को नवरात्र से लागू किया जाए। उनका कहना है कि अगर ग्राहक को सस्ता सामान मिलेगा तो वह खुलकर खरीदारी करेगा और बाजार को भी सहारा मिलेगा।
क्यों अहम है यह फैसला?
जीएसटी का हर बदलाव सीधे तौर पर आम आदमी की जेब से जुड़ा है। कपड़े, जूते और खाने-पीने की चीजें हर परिवार की जरूरत हैं। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स और गाड़ियां त्योहारों में लोग शौक से खरीदते हैं।
इसलिए अगर दरें घटती हैं तो यह सिर्फ राहत ही नहीं, बल्कि त्योहारों में ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान भी लेकर आएगा। दुकानदारों का कारोबार भी सुधरेगा और बाजार में फिर से रौनक लौटेगी।
आम आदमी की नजर से
राजधानी दिल्ली के एक ग्राहक ने कहा—“हम तो दिवाली पर टीवी और वॉशिंग मशीन खरीदने का सोच रहे हैं, लेकिन अभी रुके हुए हैं। अगर टैक्स घटा तो हजारों की बचत होगी।”
वहीं, मुंबई के एक दुकानदार ने बताया—“ग्राहक आकर पूछते हैं कि 4 तारीख के बाद कितनी कीमत कम होगी। यही वजह है कि बिक्री रुकी हुई है। हमें उम्मीद है कि दरें घटेंगी और हमारा नुकसान भी कम होगा।”
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