Guru Nanak Jayanti 2025: ईश्वर एक है — गुरु नानक देव जी की यह सीख आज भी अमर है
Guru Nanak Jayanti 2025: भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर धर्म और हर पर्व अपनी विशेषता लिए होता है। इन्हीं में से एक है गुरु नानक जयंती, जिसे प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में पूरे श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। यह पर्व हर साल Kartik Purnima के दिन आता है और सिख समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Kartik Purnima 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, 2025 में गुरु नानक जयंती 5 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 5 नवंबर की शाम 6 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। इसलिए, मुख्य उत्सव 5 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
Prakash Parv 2025
गुरु नानक जयंती से कई दिन पहले ही सिख समुदाय में प्रभात फेरियों की परंपरा शुरू हो जाती है। सुबह-सुबह श्रद्धालु “वाहे गुरु” का नाम लेते हुए कीर्तन गाते हैं और पूरे नगर में घूमते हैं।
मुख्य दिन पर गुरुद्वारों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। सुबह से ही अखंड पाठ, कीर्तन और शबद गायन शुरू हो जाते हैं। दिनभर भक्ति, सेवा और कीर्तन का माहौल रहता है।
शाम को दीपक जलाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाया जाता है। इसी वजह से इस दिन को “प्रकाश पर्व भी कहा जाता है।
नगर कीर्तन का महत्व
गुरु नानक जयंती की सबसे खास बात होती है नगर कीर्तन। यह एक विशाल शोभायात्रा होती है जिसकी अगुवाई “पंज प्यारे” करते हैं — यानी वे पाँच श्रद्धालु जिन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के समय में खालसा पंथ की शुरुआत की थी।
इस नगर कीर्तन में गुरु ग्रंथ साहिब को सुंदर फूलों से सजी पालकी में रखा जाता है और पूरे शहर में घुमाया जाता है।
रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालु स्वागत करते हैं, भजन-कीर्तन गूंजते हैं, और लोग सेवा भाव से लंगर वितरित करते हैं।
लंगर की परंपरा
सिख धर्म की सबसे सुंदर पहचान है लंगर — यानी मुफ्त भोजन सेवा।
गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में दिनभर लंगर चलता है। इसमें हर कोई, चाहे किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का हो, एक साथ बैठकर भोजन करता है।
यह परंपरा गुरु नानक देव जी के उस संदेश को दर्शाती है — “सभी मनुष्य समान हैं, ईश्वर के आगे कोई ऊँच-नीच नहीं।”
गुरु नानक देव जी कौन थे
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी गाँव (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। उन्होंने मानवता, समानता और एक ईश्वर में विश्वास का संदेश दिया।
उन्होंने कहा —“ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान – सब एक हैं, सबमें वही परमात्मा है।”
गुरु नानक जी ने समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने सिखाया कि जीवन का उद्देश्य सेवा, भक्ति और प्रेम में है, न कि अहंकार और लालच में।
गुरु नानक जी की शिक्षाएं
- ईश्वर एक है — वे हमेशा कहते थे “एक ओंकार सतनाम”, यानी सच्चा ईश्वर एक ही है।
- समानता और भाईचारा — उन्होंने जात-पात, ऊँच-नीच और लिंग भेद का विरोध किया।
- कर्म और सेवा — उनका संदेश था कि सच्चा धर्म दूसरों की सेवा में है।
- सच्ची कमाई — गुरु नानक जी “नाम जपो, कीरत करो, वंड छको” पर जोर देते थे — यानी ईश्वर का स्मरण करो, ईमानदारी से काम करो और जो कमाओ उसे दूसरों से बाँटो।
गुरु नानक जी की यात्राएं
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में चार प्रमुख उदासियां कीं, यानी धर्म यात्राएं।
वे भारत, नेपाल, तिब्बत, श्रीलंका, अरब और कई अन्य देशों तक गए।
हर जगह उन्होंने प्रेम, शांति और एकता का संदेश फैलाया।
गुरु ग्रंथ साहिब और विरासत
गुरु नानक जी की वाणी आज भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है, जो सिखों का पवित्र ग्रंथ है।
उनकी शिक्षाएँ केवल सिखों के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शन हैं।
गुरु नानक जयंती का संदेश
गुरु नानक जयंती हमें याद दिलाती है कि सच्चा प्रकाश बाहरी दीपकों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर के ज्ञान और प्रेम में है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं, और हमें एक-दूसरे के प्रति दया, करुणा और सम्मान रखना चाहिए।
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