
Guru Purnima 2025: श्रद्धा, ज्ञान और आभार का पर्व, क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा? जानिए इसके पीछे की आस्था और परंपरा
Guru Purnima 2025: गुरु केवल शिक्षक नहीं होते, वे जीवन के अंधकार को मिटाने वाले दीपक होते हैं। वे हमें सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीने की कला सिखाते हैं। इसी गुरु के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है गुरु पूर्णिमा, जो इस वर्ष 10 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा क्या है?
गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह दिन महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। वेदव्यास जी ने न केवल महाभारत, बल्कि श्रीमद्भागवत, अट्ठारह पुराण, और ब्रह्म सूत्र जैसे महान ग्रंथों की रचना की थी।
इसलिए, इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भारत में यह पर्व गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक है।
गुरु पूर्णिमा 2025 तिथि व मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई, रात 01:37 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई, रात 02:07 बजे
- गुरु पूर्णिमा पर्व: 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)
शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:10 से 4:50 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:54 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 12:45 से 3:40 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 7:21 से 7:41 बजे तक
गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि वह ही ईश्वर का साक्षात्कार करवाता है।
गुरु पूर्णिमा उस भावना का उत्सव है, जब शिष्य अपने जीवन में मार्गदर्शन देने वाले व्यक्ति को आदर और धन्यवाद देता है।
इस दिन आध्यात्मिक गुरु, स्कूल टीचर, माता-पिता या कोई भी जीवन पथ प्रदर्शक जो आपको सही दिशा दिखाए – उनके चरणों में कृतज्ञता अर्पित की जाती है।
धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन का विशेष महत्व है।
लोग पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य, और मंत्र जाप करते हैं।
इस दिन वेदव्यास जी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
कुछ लोग सात्विक व्रत रखते हैं और सत्संग में भाग लेते हैं।
बौद्ध धर्म में भी यह दिन महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को सारनाथ में उपदेश दिया था।
इस दिन क्या करें?
- अपने गुरु के चरणों में फूल अर्पित करें
- उन्हें कोई उपयोगी उपहार दें (पुस्तक, वस्त्र आदि)
- उनके आशीर्वाद से दिन की शुरुआत करें
- यदि गुरु से दूर हैं, तो कॉल या संदेश के माध्यम से श्रद्धा प्रकट करें
- अगर कोई व्यक्तिगत गुरु नहीं है, तो भगवद्गीता, वेदों या महापुरुषों के ग्रंथ पढ़कर भी यह दिन सार्थक किया जा सकता है
गुरु कौन हो सकते हैं?
गुरु केवल वह नहीं जो आपको स्कूल में पढ़ाता है। गुरु वह है—
- जो आपके जीवन में नई सोच लाता है,
- जो आपको अज्ञान से निकालकर ज्ञान की ओर ले जाता है,
- जो आपको धैर्य, सहनशीलता और विवेक सिखाता है।
कभी-कभी एक किताब, एक घटना, या एक बच्चा भी गुरु बन सकता है – अगर हम सीखने की भावना से भरपूर हैं।
गुरु पूर्णिमा और सावन का संबंध
गुरु पूर्णिमा के अगले ही दिन से सावन मास की शुरुआत होती है। सावन में शिवभक्ति का आरंभ भी गुरु की प्रेरणा से ही होता है।
यह संयोग इस बात का प्रतीक है कि जैसे वर्षा नई फसल लाती है, वैसे ही गुरु का ज्ञान हमारे जीवन में नवीन चेतना और ऊर्जा भर देता है।
सावन में शिवभक्ति का आरंभ भी गुरु की प्रेरणा से ही होता है। गुरु पूर्णिमा सिर्फ एक पर्व नहीं, ये एक भावना है। एक एहसास है कि हम अकेले नहीं हैं, हमारे जीवन में कोई ऐसा है जिसने हमें रास्ता दिखाया। वो चाहे किताबों में छुपा कोई विचार हो, या जीवन की राह में मिला कोई अनुभव।
प्रसिद्ध श्लोक
“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
श्लोक का अर्थ है: “गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, और गुरु ही महेश (शिव) हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, उन गुरु को मेरा नमन।”
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