Guru Tegh Bahadur Shahidi Diwas: गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर 25 नवंबर को दिल्ली में अवकाश
Guru Tegh Bahadur Shahidi Diwas: सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी दिवस पर दिल्ली सरकार ने 25 नवंबर 2025 को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है। यह निर्णय बुधवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए कहा कि गुरु साहिब का साहस, त्याग और धार्मिक स्वतंत्रता का संदेश सदियों तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा।
यह घोषणा सिर्फ दिल्ली के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चल रही तैयारियों का हिस्सा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और उत्तराखंड में भी इस अवसर पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
कौन थे गुरु तेग बहादुर?
गुरु तेग बहादुर (1621—1675) सिखों के नौवें गुरु थे। वे गुरु हरगोबिंद साहिब जी के सबसे छोटे पुत्र और गुरु गोबिंद सिंह जी के पिता थे।
उनका जीवन—
- आध्यात्म,
- त्याग,
- निर्भीकता
का प्रतीक रहा है।
वे एक विद्वान, संत, योद्धा और महान कवि थे। उनके 115 शबद आज भी गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं और पूरी सिख पंथ को राह दिखाते हैं।
क्यों कहा जाता है “हिन्द की चादर”?
गुरु तेग बहादुर जी को “हिन्द की चादर” इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने पूरे भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए।
1675 में जब मुगल बादशाह औरंगजेब जबरन धर्म परिवर्तन करवा रहा था, तब कश्मीरी पंडित उनके पास सहायता के लिए पहुँचे। उन्होंने पंडितों और अन्य हिन्दुओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
उनकी शहीदी न केवल सिख इतिहास बल्कि भारत के इतिहास का एक निर्णायक अध्याय है।
11 नवंबर 1675 — बलिदान का दिन
औरंगजेब ने गुरु साहिब को दिल्ली लाकर बंदी बनाया। उनसे धर्म परिवर्तन के लिए कहा गया, पर उन्होंने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया।
अंततः 11 नवंबर 1675 को चाँदनी चौक में उनका शिरच्छेद कर दिया गया।
जहाँ गुरु साहिब का शीश काटा गया, वहाँ आज गुरुद्वारा सिस गंज साहिब स्थित है। और जहाँ उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार हुआ, वहाँ गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब है। ये दोनों स्थान आज गुरु तेग बहादुर जी की शहादत और साहस के प्रतीक हैं।
दिल्ली सरकार का बड़ा निर्णय
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा—“गुरु तेग बहादुर साहिब जी का साहस, करुणा और धार्मिक स्वतंत्रता का संदेश हमेशा हमें दिशा देता रहेगा। उनके 350वें शहीदी दिवस पर 25 नवंबर 2025 को दिल्ली में सार्वजनिक अवकाश रहेगा।”
सरकार के फैसले का स्वागत दिल्ली की सिख संगत और धार्मिक संगठनों ने किया है।
अन्य राज्यों में भी छुट्टी का ऐलान
सिर्फ दिल्ली ही नहीं, चंडीगढ़ प्रशासन ने भी 25 नवंबर को सभी सरकारी कार्यालयों, बोर्ड, निगमों, शैक्षणिक संस्थानों और इंडस्ट्रियल एस्टैब्लिशमेंट में छुट्टी घोषित कर दी है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी वर्ष 2025 के गजट कैलेंडर में पहले जो छुट्टी 24 नवंबर के लिए तय थी, उसे बदलकर 25 नवंबर कर दिया है।
हरियाणा सरकार भी इस अवसर पर राज्यभर में कई बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रही है और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के साथ मिलकर ज्योतिसर में गुरु साहिब की स्मृति में विशेष आयोजन कर रही है।
गुरु तेग बहादुर जी का सामाजिक योगदान
गुरु साहिब ने समाज सुधार को नई दिशा दी।
उन्होंने—
- सती प्रथा,
- पर्दा प्रथा
का विरोध किया।
उन्होंने आनंद कारज विवाह प्रणाली को बढ़ावा दिया, जो आज सिख पंथ में पवित्र विवाह विधि मानी जाती है।
उनका जीवन संदेश है—
“धर्म की रक्षा करो, चाहे अपनी जान ही क्यों न चली जाए।”
शहीदी दिवस क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
यह दिन सिर्फ शहादत का नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, मानवाधिकार और न्याय के लिए खड़े होने का प्रतीक है।
सिख संगत इस अवसर पर—
- नगर कीर्तन,
- दीवान,
- कीर्तन दरबार,
- लंगर
जैसे कार्यक्रम आयोजित करती है।
दिल्ली में विशेष तौर पर गुरुद्वारा सिस गंज साहिब और रकाब गंज साहिब में भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।
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