Hanumangarh Kisan Protest
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में बुधवार को हालात अचानक बिगड़ गए जब Hanumangarh Kisan Protest ने हिंसक रूप ले लिया। किसानों का यह विरोध पिछले कई महीनों से चल रहा था, लेकिन आज स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। एथेनॉल फैक्ट्री के निर्माण को लेकर किसानों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि इस फैक्ट्री से पर्यावरण को भारी नुकसान होगा, भूजल स्तर गिर जाएगा और खेती पर इसका सीधा असर पड़ेगा। इसी मुद्दे पर किसानों ने आज बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया, जो बाद में Hanumangarh Riot में बदल गया।
प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने अचानक उग्र रूप धारण कर लिया और देखते ही देखते लगभग 16 वाहनों में आग लगा दी। इन वाहनों में कारें, जीप, ट्रैक्टर और कुछ निजी गाड़ियां शामिल थीं। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि आसपास के क्षेत्रों में भी दहशत फैल गई। मौके पर पहुंचे स्थानीय लोगों ने बताया कि भीड़ में शामिल कई लोग नकाब पहनकर आए थे और अचानक हिंसा शुरू हो गई।
Hanumangarh Kisan Protest: एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर विवाद
किसानों का मुख्य आरोप यह है कि 450 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह फैक्ट्री न केवल प्रदूषण फैलाएगी बल्कि भूजल के स्तर को भी प्रभावित करेगी। किसानों ने पिछले कई दिनों से चेतावनी दी थी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बड़े पैमाने पर विरोध करेंगे। इस विरोध के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि फैक्ट्री का निर्माण गांवों के बिल्कुल नजदीक हो रहा है। किसानों का मानना है कि इस फैक्ट्री से निकलने वाले रसायन और धुआं उनके खेतों और फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रदर्शन के दौरान कई किसानों ने फैक्ट्री की बाउंड्री दीवार को भी तोड़ दिया। यह जानकारी सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। फैक्ट्री प्रबंधन ने भी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
पुलिस और किसानों में तीखी झड़प
स्थिति तब और बिगड़ गई जब भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और tear gas shells का इस्तेमाल किया। इससे भीड़ और भड़क गई और कई लोग घायल हो गए।
झड़प में कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं, वहीं कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। इस दौरान कांग्रेस विधायक Abhimanyu Poonia भी मौके पर मौजूद थे, उन्हें भी मामूली चोटें आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने किसानों के साथ अनावश्यक बल प्रयोग किया है।
इंटरनेट सेवा बंद, इलाके में तनाव
हिंसा बढ़ने और स्थिति बेकाबू होने के बाद प्रशासन ने टिब्बी क्षेत्र में internet shutdown लागू कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि अफवाहों को रोकने और स्थिति नियंत्रित रखने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। इंटरनेट बंद होने से कई क्षेत्रों में संचार प्रभावित हुआ है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि इससे कानून-व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी।
इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। कई जगहों पर बैरिकेडिंग की गई है और लोगों को अनावश्यक भीड़भाड़ से बचने की अपील की गई है। प्रशासन ने पूरे मामले पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं।
किसानों का दावा—लिखित आश्वासन ही स्वीकार्य
किसान संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर लिखित रूप से सहमति नहीं देती, वे Kisan Protest वापस नहीं लेंगे। किसानों के प्रमुख नेताओं का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन के साथ वार्ता की, लेकिन कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।
उनकी मांगें स्पष्ट हैं:
- फैक्ट्री का निर्माण तुरंत रोका जाए।
- पर्यावरण प्रभाव रिपोर्ट (EIA Report) सार्वजनिक की जाए।
- किसानों और स्थानीय निवासियों को फैसले में शामिल किया जाए।
किसानों का आरोप है कि यह फैक्ट्री बिना पूरी तैयारी और पर्यावरणीय सुरक्षा के स्थापित की जा रही है। उनका कहना है कि प्रशासन के रवैये ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वे इतना बड़ा आंदोलन करें।
प्रशासन की सफाई और आगे की कार्रवाई
प्रशासन का कहना है कि हिंसा करने वालों की पहचान की जा रही है और CCTV footage के आधार पर कार्रवाई होगी। अधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि कानून हाथ में लेने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि फैक्ट्री से संबंधित सभी दस्तावेजों की समीक्षा की जा रही है और किसानों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जा रहा है।
जिले के डीएम ने यह भी कहा कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य की जा रही है और सुरक्षा के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। उन्होंने अपील की है कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखें।
इलाके में तनाव जारी
हनुमानगढ़ में हालात अभी भी तनावपूर्ण है। कई जगहों पर पुलिस का पहरा है और लोग अपने घरों में ही रहना बेहतर समझ रहे हैं। प्रदर्शन की वजह से कई रास्ते भी अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे यातायात प्रभावित हुआ है।
फिलहाल ऐसा लगता है कि यह विवाद जल्द खत्म नहीं होगा, क्योंकि किसान अपने रुख पर अड़े हुए हैं और प्रशासन भी कानून-व्यवस्था को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।






