भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से भारी गिरावट देखी जा रही है। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ही लगातार लाल निशान में चल रहे हैं। पिछले छह दिनों में भारतीय बाजार से करीब 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 20.75 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है।
इस वित्तीय संकट के बीच भारतीय रुपया भी कमजोर हो रहा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 88 के स्तर को छूने के करीब पहुंच गया था, हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बाजार में हस्तक्षेप करते हुए इसे संभालने की कोशिश की। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था इस दबाव को झेल पाएगी?
शेयर बाजार में गिरावट का कारण क्या है?
- वैश्विक बाजारों में कमजोरी: अमेरिका, चीन और यूरोप में आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण विदेशी निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया है। इससे सेंसेक्स और निफ्टी पर भारी दबाव बना हुआ है।
- डॉलर की मजबूती और रुपये में गिरावट: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को ऊंचा रखने के फैसले के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर भाग रहे हैं, जिससे डॉलर मजबूत हुआ है और रुपया कमजोर पड़ रहा है।
- भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप: रुपये को गिरने से रोकने के लिए आरबीआई ने सोमवार को 4 बिलियन डॉलर बेचकर रुपये को स्थिर करने की कोशिश की। लेकिन यह कदम सिर्फ अस्थायी राहत दे सकता है।
- घरेलू आर्थिक सुस्ती: भारत में बेरोजगारी दर बढ़ रही है, औद्योगिक उत्पादन धीमा पड़ रहा है, और महंगाई दर अब भी आम आदमी को परेशान कर रही है। इन सब कारणों से निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार से उठता जा रहा है।
6 दिनों में 3,000 अंकों की गिरावट, निवेशकों के पैसे डूबे
बीते छह कारोबारी दिनों में सेंसेक्स करीब 3,000 अंक लुढ़क चुका है। अकेले सोमवार को यह 1,100 अंक गिरा था और मंगलवार को बाजार खुलने के दो घंटे के भीतर ही 750 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
दिनांक | सेंसेक्स में गिरावट (अंकों में) |
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6 फरवरी | -750 अंक (सुबह 11 बजे तक) |
5 फरवरी | -1,100 अंक |
2 फरवरी | -500 अंक |
1 फरवरी | -450 अंक |
31 जनवरी | -300 अंक |
30 जनवरी | -400 अंक |
इस भारी गिरावट के चलते निवेशकों को 250 बिलियन डॉलर (करीब 20.75 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है।
रुपया 88 के करीब, क्या 100 के पार जाएगा?
भारतीय रुपये की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपया कुछ दिन पहले 87.90 के स्तर तक गिर गया था। हालात बिगड़ते देख आरबीआई ने 4 बिलियन डॉलर बेचकर रुपये को स्थिर करने की कोशिश की, जिससे यह 86.61 के स्तर पर आ गया।
लेकिन सवाल यह है कि आरबीआई कब तक डॉलर बेचकर रुपये को संभाल सकता है? अगर विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकालते रहे और सरकार की आर्थिक नीतियां ठोस नहीं रहीं, तो रुपया जल्द ही 100 के स्तर को पार कर सकता है।
आगे क्या होगा?
- शेयर बाजार में गिरावट जारी रह सकती है, क्योंकि विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं।
- रुपया दबाव में बना रहेगा और अगर आरबीआई का हस्तक्षेप बंद हुआ, तो यह और गिर सकता है।
- ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना – महंगाई को काबू में लाने के लिए आरबीआई आगे चलकर ब्याज दरें बढ़ा सकता है, जिससे लोन महंगे हो जाएंगे।
- सरकार को जल्द कड़े फैसले लेने होंगे ताकि बाजार में स्थिरता आए और निवेशकों का भरोसा बहाल हो।
क्या आपको लगता है कि भारतीय बाजार इस संकट से उबर पाएगा? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में बताएं! Aarambh News पर पढ़ते रहें लेटेस्ट अपडेट्स।
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