जेल में बंद जेडीयू प्रत्याशी Anant Singh ने बड़ी जीत दर्ज कर ली है, लेकिन अब चर्चा इस बात की है कि वह विधायक पद की शपथ कैसे और कब लेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव में मोकामा सीट एक बार फिर सुर्खियों का केंद्र बनी हुई है। हत्या जैसे गंभीर मामले में आरोपी और जेल में बंद जेडीयू प्रत्याशी Anant Singh ने बड़ी जीत दर्ज कर ली है, लेकिन अब चर्चा इस बात की है कि वह विधायक पद की शपथ कैसे और कब लेंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही उनके समर्थक नारा लगा रहे हैं “जेल के ताले टूटेंगे, अनंत भाई छूटेंगे” लेकिन वास्तविकता यह है कि शपथ ग्रहण के लिए उन्हें कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
बीते चुनाव की तरह इस बार भी स्थिति बिल्कुल अलग नहीं है। 2020 में भी अनंत सिंह जेल में रहते हुए विजयी हुए थे और कोर्ट से अनुमति लेकर शपथ ली थी। अब एक बार फिर वही प्रक्रिया उनके सामने है।
संविधान क्या कहता है? जानिए शपथ की कानूनी बाध्यता
भारतीय संविधान का आर्टिकल 188 स्पष्ट रूप से यह प्रावधान करता है कि विधानसभा या विधान परिषद का हर सदस्य पद संभालने से पहले राज्यपाल या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी के समक्ष निर्धारित प्रारूप में शपथ लेगा तथा उस पर हस्ताक्षर करेगा। यह एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जिसके बिना सदस्य सदन की गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकता।
जेल में बंद उम्मीदवार शपथ कैसे लेते हैं?
यदि कोई विजयी उम्मीदवार जेल में बंद है, तो उसके पास दो विकल्प होते हैं। जमानत पर रिहाई और कोर्ट द्वारा दी गई पैरोल। इसी रास्ते का इस्तेमाल 2020 में Anant Singh ने भी किया था। इस बार भी संभव है कि उन्हें अदालत से अस्थायी राहत मिले ताकि वह विधानसभा जाकर औपचारिक रूप से शपथ ले सकें।
ऐसे मामलों की मिसालें नई नहीं हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में इंजीनियर रशीद और अमृतपाल सिंह ने भी इसी प्रक्रिया के तहत जेल से बाहर आकर शपथ ग्रहण किया था।
क्या शपथ के लिए कोई अंतिम समय-सीमा है?
ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी निर्वाचित विधायक के लिए शपथ लेने की कोई कठोर समय-सीमा तय नहीं है। परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि 6 महीने के भीतर शपथ लेनी आवश्यक है, क्योंकि बिना शपथ लिए लंबे समय तक सदन की कार्यवाही से दूर रहना व्यावहारिक नहीं है। हालाँकि, एक दूसरी शर्त भी है। किसी भी सदस्य का लगातार 59 दिनों से अधिक सदन से अनुपस्थित रहना नियमों के विरुद्ध माना जाता है। इसलिए Anant Singh को अपनी अनुपस्थिति की औपचारिक सूचना विधानसभा सचिवालय को देनी होगी।
क्या सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले पाएंगे Anant Singh?
शपथ लेने के बाद भी जेल में बंद होने के कारण Anant Singh सदन की बैठकों में नियमित हिस्सा नहीं ले सकेंगे। हर बार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उन्हें कोर्ट से अलग-अलग अनुमति लेनी होगी, वरना अनुपस्थिति के नियम उन पर लागू होंगे।
मोकामा में Anant Singh की एकतरफा जीत
कानूनी चुनौतियाँ अपनी जगह हैं, लेकिन चुनावी नतीजे बताते हैं कि मोकामा में उनका प्रभाव अभी भी बरकरार है। उन्होंने इस बार 28,206 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की।
Anant Singh को मिले 91,416 वोट
उनकी नजदीकी प्रतिद्वंद्वी वीणा देवी को मिले 63,210 वोट। वहीं जन सुराज समर्थित प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी, जिन्हें दुलारचंद यादव का समर्थन माना जा रहा था, केवल 19,365 वोट ही हासिल कर पाए।
