तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक Humayun Kabir 6 दिसंबर को विवादित ढांचे के विध्वंस की बरसी पर मस्जिद की आधारशिला रख रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में शनिवार को Babri Mosque की नींव रखने को लेकर भारी राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल जारी है। तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक Humayun Kabir 6 दिसंबर को विवादित ढांचे के विध्वंस की बरसी पर मस्जिद की आधारशिला रख रहे हैं। सुबह से ही उनके समर्थक सिर पर ईंट लेकर कार्यक्रम स्थल की ओर जाते नजर आए। पूरे इलाके को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इस कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग से जुड़ी याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसके बाद प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाते हुए बेलडांगा और रानीनगर थाना क्षेत्रों में केंद्रीय बलों, रैपिड एक्शन फोर्स, बीएसएफ और पुलिस सहित 3,000 से अधिक जवान तैनात कर दिए।
Humayun Kabir की घोषणा और राजनीतिक विवाद
25 नवंबर को Humayun Kabir ने घोषणा की थी कि वे 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखेंगे। इसके बाद TMC ने दूरी बनाते हुए Humayun Kabir 4 दिसंबर को निलंबित कर दिया। पार्टी नेताओं का कहना है कि Humayun Kabir ने चुनावी टिकट पाने की रणनीति के तहत विवाद खड़ा किया है। वहीं कबीर ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा “यह मेरा निजी निर्णय है, मैं मस्जिद का शिलान्यास जरूर करूंगा।”
Humayun Kabir ने यह भी दावा किया है कि 22 दिसंबर को वे अपनी नई पार्टी की घोषणा करेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे।
कार्यक्रम की भव्य तैयारी, 3 लाख लोगों की भीड़ की उम्मीद
बेलडांगा का कार्यक्रम बेहद बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है। Humayun Kabir के अनुसार 25 बीघा क्षेत्र में आयोजन, 150 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा मंच, 400 विशेष अतिथियों के लिए बैठक व्यवस्था, 3 लाख लोगों की उपस्थिति की संभावना, 60,000 से अधिक बिरयानी पैकेट की तैयारी, 3,000 से ज्यादा वॉलंटियर्स तैनात। हुमायूं ने यह भी बताया कि सऊदी अरब से धार्मिक नेता भी कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं।
कार्यक्रम स्थल NH-12 के करीब होने से प्रशासन ने ट्रैफिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया है।
भाजपा ने आरोप लगाया मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति
भाजपा नेता दिलीप घोष ने कार्यक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “आज शौर्य दिवस है, संहति दिवस नहीं। Babri Mosque ढांचे को हटाना विदेशी आक्रांताओं के निशान मिटाने की प्रक्रिया थी। अब जब कोर्ट के आदेश से भव्य राम मंदिर बन चुका है, ऐसे कार्यक्रम मुस्लिम वोट बैंक साधने का प्रयास हैं।”
घोष ने आरोप लगाया कि TMC और कबीर दोनों के बीच “समझदारी का खेल” चल रहा है।
बेलडांगा में माहौल: पोस्टर, भीड़ और सुरक्षा घेरे
जिले के कई हिस्सों में Babri Mosque शिलान्यास के पोस्टर लगे हैं। मालदा सहित अन्य जिलों से निर्माण सामग्री लदे वाहन आ रहे हैं। हजारों की भीड़ स्थल पर जुटने लगी है। कोलकाता पुलिस की कई टीमें भी तैनात हैं।
तारीखों और विवादों की पृष्ठभूमि
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में Babri Mosque ढांचा गिराए जाने के बाद यह मुद्दा दशकों तक अदालतों और राजनीति में छाया रहा। संबंधित घटनाक्रम की टाइमलाइन
1992 — विवादित ढांचा ध्वस्त
2003 — ASI ने मंदिरनुमा संरचना होने का दावा किया
2010 — इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया
2019 — सुप्रीम कोर्ट ने भूमि रामलला की घोषित की, मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन दी
2020 — प्रधानमंत्री ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया
2024 — रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई
6 साल बाद भी प्रस्तावित Babri Mosque का निर्माण ठप
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद धन्नीपुर में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के अनुसार, मस्जिद और सामुदायिक ढांचे के प्रस्तावित निर्माण को अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) की मंजूरी नहीं मिली है। यानी NOC नहीं मिलने के कारण निर्माण शुरू नहीं हो सका।






