IDBI Bank privatization: IDBI Bank बिकने की कगार पर! Emirates NBD की नई चाल क्या?
IDBI Bank privatization: भारत के बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सुधार, निजीकरण और पूंजी जुटाने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) का निजीकरण सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि दुबई स्थित प्रमुख बैंक Emirates NBD अब भी इस अधिग्रहण की दौड़ में मजबूती से बना हुआ है।
हाल ही में अमीरात एनबीडी ने करीब 3 बिलियन डॉलर (₹25,000 करोड़) में आरबीएल बैंक (RBL Bank) में 60% हिस्सेदारी खरीदने का बड़ा सौदा किया है। इसके बावजूद उसने IDBI Bank की खरीद प्रक्रिया से खुद को अलग नहीं किया है। इससे साफ है कि विदेशी निवेशकों के लिए IDBI Bank अब भी एक बड़ा और आकर्षक मौका बना हुआ है।
IDBI Bank आखिर निवेशकों के लिए इतना आकर्षक क्यों?
CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, IDBI Bank कई कारणों से विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बना हुआ है:
1. बड़ा ग्राहक बेस और मजबूत नेटवर्क
IDBI Bank की देशभर में शाखाएँ और व्यापक ग्राहक आधार है, जो किसी भी निवेशक के लिए स्थिर बिजनेस मॉडल बनाता है।
2. सरकारी कारोबार में गहरी पकड़
सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और वित्तीय कार्यक्रमों में बैंक की मजबूत उपस्थिति निवेशकों को भरोसा देती है।
3. LIC से मजबूत जुड़ाव
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की भागीदारी बैंक की साख और विश्वसनीयता को और बढ़ाती है।
4. विकास की संभावनाएँ
सरकारी सुधारों और प्राइवेट मैनेजमेंट आने से बैंक की स्थिति और मजबूत हो सकती है।
इन सभी कारणों से Emirates NBD समेत कई बड़े निवेशक इस बैंक में गहरी रुचि बनाए हुए हैं।
सरकार क्या चाहती है?
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि FY 2025-26 के अंत तक IDBI Bank में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री को पूरा कर लिया जाए।
फिलहाल IDBI Bank में:
- भारत सरकार की हिस्सेदारी – 45.48%
- LIC की हिस्सेदारी – 49.24%
दोनों मिलकर कुल 60.72% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहे हैं।
इसमें:
- केंद्र सरकार बेच रही है: 30.48%
- LIC बेच रही है: 30.24%
डील के बाद शेयरहोल्डिंग कैसी दिखेगी?
यदि अधिग्रहण पूरी तरह सफल होता है, तो अनुमान है कि:
- भारत सरकार के पास लगभग 15% हिस्सेदारी
- LIC के पास करीब 19% हिस्सेदारी
यानि कि सरकार पूरी तरह बाहर नहीं निकलेगी, बल्कि एक रणनीतिक हिस्सेदारी अपने पास रखेगी।
यह कदम सरकार के बैंकिंग सुधार, निजीकरण और पूंजी जुटाने के व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है।
निजीकरण की बड़ी तस्वीर: कौन-से बैंक बिक रहे हैं, कौन-से नहीं?
सरकार का बैंक निजीकरण कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। कुछ बैंकों की हिस्सेदारी बेची जा रही है, जबकि कुछ बड़े बैंकों को निजीकरण सूची से बाहर रखा गया है।
निजीकरण की प्रक्रिया में शामिल बैंक
1. IDBI Bank
SEBI की मंजूरी मिलने के बाद इसका निजीकरण अंतिम चरण में है।
2. ये बैंक भी हिस्सेदारी बेच रहे हैं:
सरकार ने इन बैंकों में QIP और OFS के जरिए हिस्सेदारी बेचने की शुरुआत कर दी है:
- यूको बैंक
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
- पंजाब एंड सिंध बैंक
- इंडियन ओवरसीज बैंक
ये पूरी तरह निजीकरण नहीं हैं, लेकिन सरकार धीरे-धीरे शेयर कम कर रही है।
ये बड़े बैंक निजीकरण से बाहर हैं
नीति आयोग ने साफ कर दिया है कि नीचे दिए गए बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाएगा:
- पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- केनरा बैंक
- भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
- इंडियन बैंक
- बैंक ऑफ बड़ौदा
ये वे बैंक हैं जिन्हें “स्ट्रेटेजिक सेक्टर” में रखा गया है और सरकार इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए ज़रूरी मानती है।
IDBI Bank डील का बड़ा प्रभाव क्या हो सकता है?
- बैंकिंग सेक्टर में बड़े विदेशी निवेश की एंट्री
- ग्राहक सेवाओं और टेक्नोलॉजी में सुधार
- अन्य बैंकों के निजीकरण के रास्ते आसान होना
- सरकार को बड़ी मात्रा में पूंजी प्राप्त होना
- बैंक को आधुनिक प्रबंधन और नए बिजनेस मॉडल का लाभ
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