उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद से एक पुरानी धरोहर से जुड़ी खबर सामने आई है। यहां पाकबड़ा थाना क्षेत्र के रतनपुर कलां गांव में एक प्राचीन जैन मंदिर पाया गया है, जो लंबे समय से बंद और उपेक्षित पड़ा था। अब प्रशासन ने इस मंदिर की सफाई का कार्य शुरू कर दिया है और इसे भविष्य में स्थानीय लोगों के लाभ के लिए उपयोग में लाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
मुरादाबाद में 100 साल पुराना जैन मंदिर
रतनपुर कलां गांव में स्थित यह जैन मंदिर लगभग 100 साल पुराना है। बताया जा रहा है कि करीब 40 साल पहले इस क्षेत्र में रहने वाले जैन समाज के लोग यहां से पलायन कर गए थे। इसके बाद यह मंदिर जर्जर अवस्था में पहुंच गया और आसपास के लोगों ने इसे कूड़ा डालने की जगह बना लिया था।
हाल ही में, इस मंदिर का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें इसकी दुर्दशा को दिखाया गया। फोटो देखकर जिला प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लिया और ग्राम प्रधान को इसकी सफाई कराने का निर्देश दिया।
प्रशासन ने शुरू किया सफाई अभियान
मुरादाबाद के जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लिया और ग्राम प्रधान नजाकत अली को मंदिर की सफाई कराने के आदेश दिए। प्रधान ने कार्रवाई करते हुए वहां सालों से जमा कूड़े-कचरे को हटवाना शुरू कर दिया है। यह पहल ग्रामीणों के बीच सकारात्मक माहौल बना रही है।
ग्राम प्रधान नजाकत अली ने कहा, “इस प्रयास से हमारे गांव को सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से समृद्ध बनाने की संभावना है। इस स्थान को साफ कर इसे सामाजिक कार्यों के लिए उपयोगी बनाने की योजना है।”
जैन मंदिर को लेकर भविष्य की योजनाएं
प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर मंदिर से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इसमें लाइब्रेरी या डिस्पेंसरी बनाने की संभावना जताई जा रही है, जिससे ग्रामीणों को लाभ मिल सके। खासतौर पर बच्चों के लिए यह एक उपयोगी कदम साबित होगा।
जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने बताया, “मंदिर की स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है। जैन समाज और स्थानीय लोगों से चर्चा के बाद यहां कोई सामाजिक उपयोग की सुविधा, जैसे लाइब्रेरी या डिस्पेंसरी, बनाई जाएगी।”
ग्रामीणों के बीच उत्साह
गांव के लोग इस पहल से बेहद उत्साहित हैं। उनका मानना है कि यह प्रयास रतनपुर कलां गांव को न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी उन्नति की दिशा में ले जाएगा।मुरादाबाद का यह प्राचीन जैन मंदिर अब एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहा है। प्रशासन और ग्रामीणों की यह पहल न केवल एक धरोहर को बचाने का कार्य है, बल्कि इसे सामाजिक उपयोग में लाकर समुदाय के विकास का एक प्रयास भी है।
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