
Anna University sexual assault: मद्रास हाईकोर्ट ने गठित की महिला आईपीएस अधिकारियों की SIT, पीड़िता को 25 लाख का मुआवजा
Anna University sexual assault: तमिलनाडु के अन्ना विश्वविद्यालय में एक छात्रा के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले ने देशभर में सनसनी मचा दी है। इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने गंभीर कदम उठाते हुए महिला आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। यह SIT इस मामले की जांच करेगी और साथ ही FIR लीक होने की घटना की भी गहन जांच करेगी। इसके साथ ही, अदालत ने राज्य सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया और यह सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में किसी भी यौन उत्पीड़न से संबंधित FIR लीक न हो। इस मामले में पुलिस के प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने पर भी अदालत ने कड़ी टिप्पणी की है, जिसे बिना अनुमति के किया गया था।
Anna University sexual assault: घटना का विवरण और न्यायपालिका की प्रतिक्रिया
इस घटना में अन्ना विश्वविद्यालय की एक दूसरी वर्ष की छात्रा को 23 दिसंबर को विश्वविद्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। घटना के बाद, एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया था। हालांकि, इस मामले में गंभीर मोड़ तब आया जब FIR लीक हो गई, और पुलिस द्वारा मामले की जानकारी मीडिया में साझा की गई, जिससे पीड़िता की पहचान सार्वजनिक हो गई। इसने न केवल पीड़िता के लिए मानसिक दबाव बढ़ाया, बल्कि न्यायिक प्रणाली और पुलिस की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए।
मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में सक्रियता दिखाते हुए पुलिस अधिकारियों की ओर से बिना अनुमति के प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने को गैरकानूनी करार दिया। अदालत ने पुलिस से पूछा कि किस आधार पर बिना सरकार की अनुमति के इस तरह का प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया। इसके साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह यौन अपराधों में पीड़ितों की पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करे और FIR लीक होने जैसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त कदम उठाए।
महिला आईपीएस अधिकारियों की SIT का गठन
मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है, जिसमें केवल महिला आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। यह SIT मामले की जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि पीड़िता के अधिकारों का उल्लंघन न हो। SIT की प्रमुख सदस्य के रूप में एस. नेहा प्रिय, ऐमैन जमाल और बृंदा को नियुक्त किया गया है। इन अधिकारियों का चयन इस उद्देश्य से किया गया है कि महिला संबंधित मामलों की संवेदनशीलता और गहराई से जांच की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि भविष्य में कोई भी FIR लीक न हो, विशेष रूप से महिला और बच्चों से संबंधित मामलों में।
पीड़िता को 25 लाख का मुआवजा और अन्य सहायता
मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में पीड़िता के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उसे 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि अन्ना विश्वविद्यालय पीड़िता को मुफ्त शिक्षा, होस्टल सुविधा और काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करेगा, ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके और मानसिक रूप से इस हादसे से उबर सके। यह कदम इस बात की ओर इशारा करता है कि अदालत पीड़िता के अधिकारों के संरक्षण और उसे न्याय दिलाने के लिए तत्पर है।
राज्य सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी
अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को इस मामले में कड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। कोर्ट ने विशेष रूप से तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (DGP) से यह सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों में FIR लीक नहीं हो और पीड़िता की पहचान की सुरक्षा की जाए। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी निर्देशित किया कि महिला और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में FIR लीक होने की कोई भी घटना पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का कारण बनेगी।
इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि क्यों पुलिस को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की अनुमति नहीं ली गई थी, जबकि इस प्रकार की जानकारी को गोपनीय रखना एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके साथ ही, पुलिस ने यह भी बताया कि आरोपियों की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया गया था, बल्कि केवल एक अधिकारी के बयान से यह जानकारी बाहर आई थी।
अन्ना विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
अन्ना विश्वविद्यालय ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए पीड़िता को काउंसलिंग और अन्य सहायक सेवाएं प्रदान की हैं। विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि वह पीड़िता और उसके परिवार के संपर्क में है और उनके मानसिक शांति के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने एक समिति गठित की है, जो विश्वविद्यालय परिसर में महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा उपायों की समीक्षा करेगी।
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