Indian food side effects: क्या वाकई इंडियन होममेड फूड हेल्दी नहीं है? दाल-चावल, रोटी-सब्जी खाने वालों के लिए जरूरी सच
Indian food side effects: भारतीय घरों में अक्सर यह कहा जाता है— “घर का खाना सबसे हेल्दी होता है।”
दाल-चावल, रोटी-सब्जी और थोड़ी सी दही… हमें लगता है कि इससे बेहतर और क्या हो सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोज़ यही खाना खाने के बावजूद आज इतनी बीमारियाँ क्यों बढ़ रही हैं?
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अक्षय केवलानी की हालिया बातों ने इसी सोच को झकझोर दिया है। उनका कहना है कि घर का खाना साफ, ताजा और सुरक्षित तो है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि वह बैलेंस्ड और हेल्दी भी हो।
Dal rice health effects
डॉ. अक्षय के मुताबिक, समस्या हमारे खाने की संरचना (composition) में है, न कि उसके घर में बनने में। आईसीएमआर के एक सर्वे के अनुसार:
- भारतीय लोग ज़रूरत से 50% ज्यादा नमक खा रहे हैं
- रोज़ाना जरूरी कैलोरी से 60% ज्यादा कैलोरी ले रहे हैं
- यह अतिरिक्त कैलोरी ज़्यादातर गेहूं और चावल जैसे कार्बोहाइड्रेट से आती है
यानी हमारा खाना दिखने में सिंपल है, लेकिन पोषण के मामले में असंतुलित है।
कार्बोहाइड्रेट का ओवरडोज
हम में से ज्यादातर लोगों का खाना इस तरह होता है:
- नाश्ता: पोहा, डोसा या पराठा
- लंच: दाल-चावल या रोटी-सब्जी
- डिनर: फिर वही रोटी या चावल
डॉ. अक्षय बताते हैं कि ऐसे खाने में 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कार्बोहाइड्रेट का होता है। यही वजह है कि शरीर को जरूरत से ज्यादा शुगर मिलती है, जो धीरे-धीरे बीमारियों का कारण बनती है।
बढ़ती बीमारियों की असली वजह
भारत को पहले ही दुनिया की डायबिटिक कैपिटल कहा जाता है। इसके अलावा:
- हाई ब्लड प्रेशर
- हार्ट डिजीज
- फैटी लिवर
- मोटापा
इन सबके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग हैरान रहते हैं कि “घर का खाना खाते हैं, फिर भी बीमार क्यों पड़ रहे हैं?” असल वजह है— कम प्रोटीन और ज्यादा कार्ब्स, तेल और नमक।
प्रोटीन की भारी कमी
डॉ. अक्षय के अनुसार, हमारे शरीर को रोज़ाना हर 1 किलो वजन पर 1 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, अगर आपका वजन 60 किलो है, तो आपको रोज़ 60 ग्राम प्रोटीन चाहिए।
लेकिन हकीकत यह है कि भारतीय डाइट में प्रोटीन बहुत कम होता है। दाल को हम प्रोटीन मानते जरूर हैं, लेकिन उसकी मात्रा काफी नहीं होती, खासकर तब जब कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा हो।
तो क्या घर का खाना छोड़ दें?
बिल्कुल नहीं। डॉ. अक्षय साफ कहते हैं कि घर का खाना छोड़ने की जरूरत नहीं है, बस उसे समझदारी से बदलने की जरूरत है।
क्या जोड़ें अपने खाने में?
- हर मील में एक प्रोटीन सोर्स जरूर शामिल करें
- वेज: दाल, पनीर, दही, चना, राजमा, सोया
- नॉन-वेज: अंडा, मछली, चिकन
- कच्ची और स्टीम की हुई सब्जियां ज्यादा खाएं
- सलाद को प्लेट का हिस्सा बनाएं
क्या कम या हटाएं?
- ज्यादा तेल
- ज्यादा नमक
- बार-बार चावल और गेहूं
क्या हो सकता है बेहतर विकल्प?
डॉ. अक्षय सलाह देते हैं कि:
- गेहूं और चावल की जगह मिलेट्स अपनाएं
- बाजरा
- रागी
- ज्वार
ये अनाज फाइबर, मिनरल्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं और ब्लड शुगर को भी कंट्रोल में रखते हैं।
निष्कर्ष
घर का खाना बुरा नहीं है, लेकिन अधूरा है।
अगर हम उसमें प्रोटीन बढ़ाएं, कार्ब्स कम करें और सब्जियों व मिलेट्स को जगह दें, तो वही घर का खाना हमें बीमारियों से बचा भी सकता है।
याद रखिए—
हेल्दी खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, शरीर को सही पोषण देने के लिए होता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख डॉक्टर द्वारा साझा की गई जानकारी पर आधारित है। किसी भी बड़े डाइट बदलाव से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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