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भारत का अपना समय: ‘एक राष्ट्र, एक समय’ की ओर बड़ा कदम

भारत का अपना समय: 'एक राष्ट्र, एक समय' की ओर बड़ा कदम

भारत का अपना समय: 'एक राष्ट्र, एक समय' की ओर बड़ा कदम

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भारत के वैज्ञानिकों ने ‘एक देश, एक समय’ की अवधारणा को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस नई पहल के तहत भारत का अपना सटीक समय होगा, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा। यह समय व्यवस्था न केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी बल्कि विदेशी प्रणालियों पर हमारी निर्भरता को भी पूरी तरह खत्म कर देगी। इस परियोजना को नेविगेशन विद इंडियन कंसटलेशन (NavIC) और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) के संयुक्त प्रयास से साकार किया गया है।

क्या है ‘एक राष्ट्र, एक समय’ परियोजना?

वर्तमान में भारत में भारतीय मानक समय (IST) का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसकी सटीकता के लिए देश अब तक विदेशी जीपीएस सैटेलाइट्स पर निर्भर था। ये जीपीएस सिग्नल कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) से जुड़े होते हैं, जो मिलीसेकंड तक सटीक होते हैं। लेकिन अब, भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘NavIC’ और ‘NPL‘ को जोड़कर एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जिससे भारत को अपनी सटीक समय व्यवस्था मिलेगी। यह प्रणाली न केवल समय की सटीकता बढ़ाएगी, बल्कि इसे विभिन्न क्षेत्रों में लागू करके देश की तकनीकी क्षमता को भी नया आयाम देगी।

यह प्रणाली कैसे काम करेगी?

‘एक राष्ट्र, एक समय’ व्यवस्था के तहत कई तकनीकी कदम उठाए गए हैं।

  1. NavIC से सिग्नल प्राप्त करना: NavIC सैटेलाइट्स से समय के सटीक संकेत (सिग्नल) प्राप्त किए जाएंगे।
  2. NPL का योगदान: इन सिग्नल्स को राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) फरीदाबाद में प्रोसेस किया जाएगा।
  3. एटॉमिक घड़ियों की तैनाती: इस समय को एटॉमिक घड़ियों के माध्यम से चार बड़े केंद्रों—अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और गुवाहाटी—तक पहुंचाया जाएगा।
  4. डिजिटल उपकरणों पर प्रभाव: इसके बाद देशभर के सभी डिजिटल उपकरण, जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य घड़ियां, इस स्वदेशी सटीक समय के साथ समन्वयित हो जाएंगी।

एटॉमिक घड़ियां: समय की सटीकता का आधार

इस परियोजना की सबसे बड़ी खासियत एटॉमिक घड़ियों का उपयोग है। एटॉमिक घड़ियां समय की सटीकता को मिलीसेकंड के भी आगे, नैनोसेकंड तक सुधार सकती हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर डिजिटल डिवाइस पर दिखने वाला समय एक समान और पूरी तरह सटीक होगा।

किन क्षेत्रों में होगा फायदा?

‘एक राष्ट्र, एक समय’ परियोजना से देश के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लाभ मिलेगा:

  1. पावर ग्रिड्स: बिजली आपूर्ति में सटीकता बढ़ेगी, जिससे ब्लैकआउट जैसी समस्याओं को रोका जा सकेगा।
  2. टेलीकम्युनिकेशन: मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाओं में सुधार होगा।
  3. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र: डिजिटल भुगतान और वित्तीय लेनदेन अधिक सुरक्षित और सटीक हो जाएंगे।
  4. रक्षा क्षेत्र: सामरिक और सैन्य अभियानों के लिए बेहतर समय प्रबंधन होगा।
  5. रेलवे और परिवहन: ट्रेनों और वाहनों की समय सारिणी अधिक सटीक बनेगी।

क्यों है यह कदम खास?

इस पहल के जरिए भारत तकनीकी रूप से और मजबूत बनेगा। अब तक समय प्रबंधन के लिए विदेशी सैटेलाइट्स और प्रणालियों पर निर्भरता थी। लेकिन ‘NavIC’ और ‘NPL’ के संयुक्त प्रयास से अब भारत अपने समय के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। यह कदम भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है।

दूरगामी प्रभाव

इस परियोजना का प्रभाव न केवल तकनीकी क्षेत्रों तक सीमित रहेगा, बल्कि यह देश के आर्थिक और सामरिक विकास को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। ‘एक राष्ट्र, एक समय’ व्यवस्था से न केवल राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय बढ़ेगा, बल्कि भारत वैश्विक स्तर पर भी अपनी तकनीकी ताकत का प्रदर्शन करेगा।

भारत के वैज्ञानिकों को सलाम

यह पहल भारतीय वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और उच्च स्तरीय तकनीकी क्षमता का परिणाम है। चांद, मंगल और सूर्य मिशनों की सफलता के बाद, यह नई प्रणाली भारत को विज्ञान और तकनीक की दुनिया में और अधिक मजबूत बनाएगी। अब सही मायनों में कहा जा सकता है—अपना टाइम आ गया।

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