भारत की घरेलू उड़ान बाजार पर लगभग 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो इन दिनों एक अभूतपूर्व ऑपरेशनल संकट से गुजर रही है। बीते चार दिनों में एयरलाइन की लगभग 1300 से अधिक उड़ानें या तो रद्द हुईं या देरी से चलीं, जिससे हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे हुए है
Indigo Airlines crisis: भारत की घरेलू उड़ान बाजार पर लगभग 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो इन दिनों एक अभूतपूर्व ऑपरेशनल संकट से गुजर रही है। बीते चार दिनों में एयरलाइन की लगभग 1300 से अधिक उड़ानें या तो रद्द हुईं या देरी से चलीं, जिससे हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे हुए है। यात्रियों की बढ़ती परेशानी और एयरलाइन की कमजोरी को देखते हुए नियामक DGCA को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी स्थिति आई क्यों? इंडिगो से कहां गलती हुई और यात्रियों को राहत कब मिल सकती है? आइए इस संकट की परतें समझते हैं।
FDTL के नए नियम और इंडिगो की तैयारी की कमी
इस पूरे संकट की जड़ 1 नवंबर से लागू हुए FDTL (Flight Duty Time Limitations) के दूसरे चरण से मानी जा रही है। नए नियमों के तहत पायलटों के अनिवार्य साप्ताहिक आराम को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिया गया। रात में लैंडिंग की सीमा भी घटाकर अधिकतम दो कर दी गई। नियमों का उद्देश्य पायलट थकान नियंत्रित करना और उड़ान सुरक्षा बढ़ाना था।
जबकि इंडिगो जैसे बड़े ऑपरेटर से अपेक्षा थी कि वह इस बदलाव के लिए पर्याप्त तैयारी करेगा, लेकिन नियामक के सामने किए गए उसके बयानों से पता चलता है कि एयरलाइन इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं थी। इंडिगो ने स्वीकार किया कि वह पायलटों और केबिन क्रू के शेड्यूलिंग को सही समय पर अपडेट नहीं कर पाया। नए नियमों को लागू होने से पहले एयरलाइन अपना रोस्टरिंग सिस्टम और स्टाफ व्यवस्था संशोधित नहीं कर पाई, जबकि अन्य एयरलाइंस बिना किसी बड़े संकट के अपने संचालन को संतुलित करती रहीं।
चूंकि इंडिगो के बेड़े में 2200 से अधिक दैनिक उड़ानें हैं और उनमें से बड़ी संख्या रात के समय परिचालित होती है, नए नियम का असर उस पर सबसे अधिक पड़ा। पायलटों की उपलब्धता की कमी और रोस्टरिंग की चूक के चलते नवंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर की शुरुआत तक कई सौ उड़ानें अचानक रद्द होती रहीं।
यात्रियों और एयरलाइन दोनों को भारी झटका
दिल्ली, मुंबई और अन्य प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों के लिए स्थिति मुश्किल हो गई। कई दिन तक उड़ान बैच पूरी तरह रद्द होने से हजारों लोग फंसे रहे। टिकट रिफंड, रीशेड्यूलिंग और यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। इंडिगो के राजस्व में भारी गिरावट आई और इसका असर शेयर बाजार पर भी दिखाई दिया।
संकट इतना बढ़ गया कि संसद के शीतकालीन सत्र में भी इस मुद्दे ने जगह पाई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार को इंडिगो संकट के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए ‘एकाधिकार मॉडल’ का परिणाम बताया। वहीं राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा ने कहा कि नए FDTL नियमों के चलते एयरलाइन को अधिक पायलटों की जरूरत थी, लेकिन पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि नियम यात्रियों और सुरक्षा के हित में बनाए गए हैं।
Indigo Airlines crisis par DGCA की सख्त चेतावनी और अस्थायी राहत
स्थिति बिगड़ती देख DGCA ने एक बार की राहत देते हुए रात की उड़ानों पर लागू सीमाओं में अस्थायी छूट दी। हालांकि उसके साथ ही उसने सख्त रुख अपनाते हुए इंडिगो प्रबंधन को तलब किया और विस्तृत सुधार योजना प्रस्तुत करने को कहा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से भी बयान आया कि यात्रियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता है।
मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि इंडिगो के पास तैयारी का पर्याप्त समय था पर वह तैयारी कमजोर रही। एयरलाइन को निर्देश दिया गया कि संचालन जल्द सामान्य किया जाए और किराया बढ़ाने जैसी कोई कार्रवाई न की जाए। तेज दबाव और लगातार शिकायतों के बीच DGCA ने पायलटों के वीकली रेस्ट से जुड़े अपने आदेश में संशोधन किया और उसे फिलहाल वापस लेने का फैसला किया, ताकि उड़ान संचालन धीरे-धीरे पटरी पर लौट सके।
इंडिगो ने मांगी 10 फरवरी तक छूट
DGCA ने बताया कि इंडिगो ने 10 फरवरी 2026 तक नए FDTL नियमों से आंशिक छूट देने की मांग की है, ताकि एयरलाइन अपने बेड़े की योजना और स्टाफिंग को स्थिर कर सके। इंडिगो ने आश्वासन दिया है कि तब तक उसका संचालन सामान्य हो जाएगा। वर्तमान में एयरलाइन प्रतिदिन लगभग 200 उड़ानें रद्द कर रही है।
हालांकि दूसरी ओर पायलट एसोसिएशन ने DGCA को चेताया है कि आराम समय नियमों में ढील जोखिमपूर्ण साबित हो सकती है और एयरलाइन की प्लानिंग व ट्रेनिंग कमियों की भी उन्होंने आलोचना की। उनका कहना है कि उड़ान शेड्यूल मंजूर करते समय पायलट उपलब्धता जैसे मूल मुद्दों पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
एयरलाइन की स्वीकारोक्ति और माफी
लगातार आलोचनाओं और दबाव के बाद इंडिगो ने अपनी चूक को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। एयरलाइन ने माना कि संकट “गलत आकलन और प्लानिंग की कमियों” के कारण आया। CEO ने संदेश जारी कर ग्राहकों से माफी मांगी और यह भरोसा दिया कि संचालन सामान्य करना प्राथमिकता है। रद्द उड़ानों का रिफंड देने और कुछ रूट्स पर उड़ानें अस्थायी रूप से कम करने की घोषणा भी की गई।
वैश्विक तुलना: Indigo Airlines crisis पहली घटना नहीं
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसी घटनाएं पहले सामने आती रही हैं।
- अमेरिकी एयरलाइन साउथवेस्ट (2022) — शेड्यूलिंग सिस्टम फेल होने से हजारों उड़ानें रद्द हुईं।
- यूरोप की रायनएयर — रोस्टर विवाद और हड़तालों के कारण 30,000 तक उड़ानें रद्द होने की नौबत आई।
- ऑस्ट्रेलिया की क्वांटास एयरवेज — स्टाफ तनाव और विवादों की वजह से कई बार ऑपरेशंस प्रभावित हुए।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि बड़े एयरलाइन सिस्टम में रोस्टरिंग त्रुटियां, स्टाफिंग अनुपात और प्रबंधन त्रुटियां कभी-कभी संचालन को ठप कर सकती हैं।
आगे का रास्ता: क्या Indigo Airlines crisis से यात्रियों को राहत मिलेगी?
तकनीकी और नियामकीय विश्लेषकों के मुताबिक इस संकट के पीछे कई कारण एक साथ जिम्मेदार हैं — बहुत अधिक उड़ानें, तुलनात्मक रूप से कम स्टाफ, नए नियमों का कड़ा ढांचा और उसके लिए अपर्याप्त तैयारी। DGCA के हस्तक्षेप, अस्थायी छूट और सुधार योजनाओं के चलते उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में स्थिति सुधरेगी। लेकिन इंडिगो को अपनी शेड्यूलिंग प्रणाली, मानव संसाधन योजना और सुरक्षा मानकों के बीच संतुलन पर गंभीर काम करना होगा।







