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जावेद अख्तर: जीवन, करियर और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी

जावेद अख्तर

जावेद अख्तर: जीवन, करियर और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी

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Javed Akhtar

जावेद अख्तर फिल्मो में गीतकार होने के साथ साथ एक कवी भी है। उन्होंने सीता गीता , जंजीर , दिवार और शोले जैसी सुपरहिट फिल्मो का लेखक कहा जाता है। उन्होंने कई गीत भी लिखे है जिसमे तेजाब , 1942 अ लव स्टोरी , बॉर्डर और लगान शामिल है। उन्होंने 100 से ज्यादा बॉलीबुड फिल्मो के लिए गीत लिखे है , और 36 से जदया फिल्मो के लिए पटकथाएं लिखी है।

जन्म और परिवार

जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 में ग्वालियर में हुआ। उनका जन्म मुस्लिम परिवार में ज़रूर हुआ पर उनका कहना है की वो किसी धर्म से तालुख नहीं रखते , वो नास्तिक है। उनके पिता जी का नाम जांनिसार अख्तर था वो जाने माने मशहूर शायर थे। उनकी माता सफिया अख्तर मशहूर उर्दू लेखिका और शिक्षिका थी, जावेद अख्तर काफी छोटे उम्र के थे जब उनकी माँ की मृत्यु हो गई। इसके माँ वह भोपाल में अपनी सोतैली माँ के साथ रहने लगे। जिसके बाद उनका जीवन काफी संग्रशपुर्ण रहा।
इसके बाद वोह अपने नाना -नानी के पास लखनऊ चले गए , उसके बाद उनको उनकी खाला के पास बेज दिया गया जहा उन्होंने अपनी पढ़ाई की सुरुकात करी और कुछ समय बाद वापस भोपाल आगये जहा उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करी।

जावेद की प्रेम कथा

जितनी दिलचप्स उनका जीवन है उस से कई अधिक उनकी लव स्टोरी दिलचप्स है। उन्होंने हनी ईरानी से 17 साल की कम उम्र में ही शादी करली थी जिसके बाद उनकी बेटी भी हुई जिसका नाम फरहान अख्तर है जो बॉलीबुड का जाना -माना चेहरा है। इसके बाद जावेद अख्तर ने दूसरी शादी करने का फैसला लिया। शबाना जावेद अख्तर उनकी दूसरी पत्नी है। शबाना और जावेद की पहली मुलाकात उस दौरान हुई थी, जब जावेद साहब शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी के घर कविताएं सुनाने जाया करते थे। जावेद उनकी आर्ट वर्क के दीवाने थे। लगातार कई मुलाकातों के बाद दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा। फिर जब बात शादी की आई, तो शबाना आजमी की मां इस रिश्ते के खिलाफ थीं। इसकी वजह जावेद साहब का पहले से शादीशुदा होना था। फिर शबाना जब जावेद की जिंदगी में आईं, तो जावेद अख्तर औऱ हनी ईरानी का तलाक हो गया।

गरीबी में शुरूहुई करियर की शुरुआत

बहुत ही कम उम्र में उन्होंने वह घर से दूर चले गए। 19 साल की उम्र में 27 रुपये लेकर मुंबई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उतरे। बचपन से ही उनके आखो में बड़े सपने थे उनकी ज़िन्दगी में कई कथनी आयी पर उन्होंने हार नहीं मानी। वह चार दिन तक बिना खाये रहे भी रहे थे। बॉलीबुड में काफी मुस्किलो के बाद आखिकार वह चमक ही गए। उन्होंने राइटर सलीम खान के साथ मिलकर शोले जैसी सुपरहिट फिल्म दीं। जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत सरहदी लूटेरा की थी। इस फिल्म में सलीम खान ने छोटी सी भूमिका भी अदा की थी। इसके बाद सलीम-जावेद की जोड़ी ने मिलकर हिंदी सिनेमा के लिए कई सुपर-हिट फिल्मो की पटकथाएं लिखी। इन दोनों की जोड़ी को उस दौर में सलीम जावेद की जोड़ी से जाना जाता था। इन दोनों की जोड़ी ने वर्ष 1971-1982 तक करीबन 24 फिल्मों में साथ किया जिनमे सीता और गीता, शोले, हठी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार जैसी फिल्मे शामिल हैं। उनकी 24 फिल्मों में से करीबन 20 फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी।
1987 में प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा। जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाए तो उन्हें उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया।

जावेद अख्तर से जुडी दिलचप्स बाते

-जावेद अख्तर का असली नाम जादू है. उनके पिता की कविता थी, ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’ से उनका यह नाम पड़ा था। जावेद नाम जादू से मिलता-जुलता, इसलिए उनका नाम जावेद अख्तर कर दिया।

-जावेद अख्तर 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई आए थे। उस वक्त उनके पास न खाने तक के पैसे नहीं थे. उन्होंने कई रातें सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोकर बिताईं। बाद में कमाल अमरोही के स्टूडियो में उन्हें ठिकाना मिला।

-सलीम खान के साथ जावेद अख्तर की पहली मुलाकात ‘सरहदी लुटेरा’ फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थीं। इस फिल्म में सलीम खान हीरो थे और जावेद क्लैपर बॉय। बाद में इन दोनों ने मिलकर बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में दीं।

– सलीम खान और जावेद अख्तर को सलीम-जावेद बनाने का श्रेय डायरेक्टर एसएम सागर को जाता है। एक बार उन्हें राइटर नहीं मिला था और उन्होंने पहली बार इन दोनों को मौका दिया।

-सलीम खान स्टोरी आइडिया देते थे और जावेद अख्तर डायलॉग लिखने में मदद करते थे। जावेद अख्तर उर्दू में ही स्क्रिप्ट लिखते थे, जिसका बाद में हिंदी ट्रांसलेशन किया जाता है।

– 70 के दशक में स्क्रिप्ट राइटर्स का नाम फिल्मों के पोस्टर पर नहीं दिया जाता था, लेकिन सलीम-जावेद ने बॉलीवुड में उन बुलंदियों को छू लिया था कि उन्हें कोई न नहीं कह सका और फिर तो पोस्टरों पर राइटर्स का भी नाम लिखा जाने लगा।

-सलीम-जावेद की जोड़ी 1982 में टूट गई थी. इन दोनों ने कुल 24 फिल्में एक साथ लिखीं, जिनमें से 20 हिट रहीं। जावेद अख्तर को 14 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला।इनमें सात बार उन्हें बेस्ट स्क्रिप्ट के लिए और सात बार बेस्ट लिरिक्स के लिए अवॉर्ड से नवाजा गया।जावेद अख्तर को 5 बार नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।

– जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थीं, जिनके साथ उनकी पहली मुलाकात ‘सीता और गीता’ के सेट पर हुई थी।हनी और जावेद का जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है।

-जावेद अख्तर नास्तिक हैं। उन्होंने अपने बच्चों- जोया और फरहान को भी परवरिश ऐसे की है।

-जावेद अख्तर शुरुआती दिनों में कैफी आजमी के सहायक थे। बाद में उन्हीं की बेटी शबाना आजमी के साथ उन्होंने दूसरी शादी की।

 

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