पहली बार किसी ने इंसानी शव की जगह प्लास्टिक का मैनीक्विन चिता पर रखकर अंतिम संस्कार करने की कोशिश की
गंगा किनारे अंतिम संस्कार के दृश्य आम हैं, लेकिन गुरुवार दोपहर ब्रजघाट पर जो हुआ, उसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को हैरान कर दिया। पहली बार किसी ने इंसानी शव की जगह प्लास्टिक का मैनीक्विन चिता पर रखकर अंतिम संस्कार करने की कोशिश की। जब चादर हटाई गई तो सामने जो सच आया, उससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। मामला निकलकर आया 50 लाख की insurance fraud की बड़ी साजिश का।
चार युवक पहुंचे, चिता सजवाई, रस्मों का सामान खरीदा
गुरुवार दोपहर दिल्ली नंबर (HR) की i20 कार में चार युवक ब्रजघाट पहुंचे। श्मशान घाट कर्मी नितिन के अनुसार, सब कुछ सामान्य लग रहा था। लकड़ियाँ खरीदीं, घी लिया और चिता सजाने को कहा।
लेकिन शक तब गहराया जब युवकों ने शव को चादर में लिपटा ही रखा और उसे चिता पर लिटाने की कोशिश करने लगे।
नितिन ने जब शव दिखाने को कहा, युवक टालमटोल करने लगे। उनके व्यवहार से लोगों को संदेह हुआ और दबाव बढ़ा। काफी हंगामे के बाद चादर हटवाई गई। चादर हटते ही लोगों के पैर जम गए। क्योंकि सामने एक प्लास्टिक का पुतला निकला!
पुलिस पहुंची, दो युवक पकड़े गए, दो मौके से फरार
सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची। चार में से दो युवक भीड़ का फायदा उठाकर भाग निकले, जबकि दो को धर लिया गया।
पकड़े गए दोनों की पहचान कमल सोमानी और आशीष खुराना, दोनों दिल्ली के कपड़ा व्यापारी, के रूप में हुई। कार से दो और प्लास्टिक के पुतले भी बरामद हुए।
50 लाख के बीमा क्लेम के लिए रची गई ‘फर्जी मौत’ की कहानी
कड़ाई से पूछताछ में कमल ने कबूल किया कि वह 50 लाख रुपए के कर्ज में डूबा हुआ था। कर्ज चुकाने के लिए उसने एक जान-पहचान वाले युवक अंशुल को निशाना बनाया।
कमल की insurance fraud की पूरी प्लानिंग
अंशुल के दस्तावेज किसी बहाने से ले लिए
करीब एक साल पहले उसके नाम से टाटा AIA का 50 लाख का लाइफ इंश्योरेंस कराया
खुद को नॉमिनी बनाया
प्रीमियम समय पर भरा, ताकि कंपनी को शक न हो
योजना थी कि मैनीक्विन को अंशुल का शव दिखाकर अंतिम संस्कार कराया जाए
फिर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर 50 लाख का क्लेम लिया जाए
कमल ने बताया कि उसने पुतला अपनी दुकान से उठाया था और ब्रजघाट उसे जलाने के उद्देश्य से पहुंचा था।
श्मशान कर्मी की सतर्कता ने बचाया बड़ा फ्रॉड
नितिन ने बताया कि शव को ढका हुआ देख उसे शक हुआ। युवक लगातार बातें गोल-मोल कर रहे थे। जब उसने लोगों को बुलाकर दबाव बनाया, तभी पूरे खेल का पर्दाफाश हुआ।
नितिन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिससे बीमा कंपनी को करोड़ों का नुकसान और एक बड़ा धोखाधड़ी रैकेट होने से बच गया।
वीडियो कॉल पर जिंदा मिला ‘मरा हुआ’ अंशुल
पुलिस ने मौके पर मिले मोबाइल से अंशुल को कॉल लगाया। वीडियो कॉल पर अंशुल सही-सलामत मिला। वह वर्तमान में प्रयागराज स्थित अपने घर में रह रहा था। अंशुल ने बताया कि उसे नहीं पता था कि उसके नाम से बीमा कराकर उसकी “झूठी मौत” का खेल रचा जा रहा था।
insurance fraud कैसे होती है? यह केस क्यों खतरनाक था
जीवन बीमा ठगी में अक्सर कई तरीके अपनाए जाते हैं। किसी और के दस्तावेज लेकर बीमा कराना, खुद को नॉमिनी बनाकर ‘फर्जी मौत’ दिखाना, नकली पोस्टमॉर्टम/डेथ सर्टिफिकेट बनवाना, कंपनी को गलत मेडिकल जानकारी देना, दुर्घटना दिखाकर क्लेम लेना।
ब्रजघाट का मामला भारत में सामने आए सबसे अजीब तरीकों में से एक है, जहां ‘शव’ के नाम पर प्लास्टिक का पुतला जला दिया जाता!
बीमा धारकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी: ऐसी insurance fraud से कैसे बचें?
किसी को अपने दस्तावेज बिना जरूरत न दें
आधार, पैन, बैंक और फोटो कॉपी कई बार गलत हाथों में जाकर बीमा सहित बड़ी धोखाधड़ी करा सकती है।
बीमा कंपनी की OTP / कन्फर्मेशन कॉल को नजरअंदाज न करें
अगर आपके नाम पर बीमा कराया जा रहा हो, तो कंपनी हमेशा वेरिफिकेशन करती है।
अगर आपने बीमा नहीं कराया, तुरंत मना करें और कंपनी को शिकायत दें।
नॉमिनी और पॉलिसी डिटेल्स समय-समय पर चेक करते रहें।
ईमेल/SMS अलर्ट को इग्नोर न करें। कई लोग सालों तक ध्यान नहीं देते और उनके नाम से छुपकर पॉलिसी चलती रहती है।
बीमा एजेंट से हमेशा लिखित और प्रमाणिक जानकारी लें नकली एजेंट धोखाधड़ी का बड़ा माध्यम होते हैं।
किसी भी मौत/दुर्घटना पर बीमा कंपनी खुद जांच करती है
पोस्टमॉर्टम, पुलिस रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र, शव परीक्षण
इन सभी की कड़ी जांच के कारण कंपनियाँ ऐसी फर्जी क्लेम रोक पाती हैं।






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