SCO Summit Islamabad: आज से पाकिस्तान के इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन का आगाज़ हो रहा है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए विभिन्न देशों के शीर्ष नेता पहुँच चुके हैं। भारतीय विदेश मंत्री Jaishankar भी इस दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज पाकिस्तान पहुँच रहे हैं।
SCO Summit Islamabad लगभग नौ सालों में पहला मौका है जब कोई भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान की धरती पर कदम रख रहे हैं। दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद को लेकर संबंधों में तनाव बना हुआ है, लेकिन इसके बावजूद जयशंकर का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस्लामाबाद में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
SCO Summit Islamabad की तैयारियों के तहत पाकिस्तान में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। खासतौर पर इस्लामाबाद और रावलपिंडी में महत्वपूर्ण मार्गों को बंद कर दिया गया है और तीन दिनों की सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की गई है। शहर में सेना और पुलिस के जवान तैनात हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। इसके अलावा, इस सम्मेलन के दौरान राजनीतिक उथल-पुथल और आतंकवादी घटनाओं की आशंका को ध्यान में रखते हुए सख्त सुरक्षा नियम लागू किए गए हैं।
पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने “रेड जोन” की सुरक्षा की जिम्मेदारी सेना को सौंपी है, जिसमें संसद भवन, राजनयिक क्षेत्र और सम्मेलन के प्रमुख स्थल शामिल हैं।
SCO Summit Islamabad के मुख्य बिंदु
इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा मंगलवार को रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया जाएगा। बुधवार को सम्मेलन के आधिकारिक कार्यक्रम की शुरुआत होगी, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का उद्घाटन भाषण, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर, और समापन बयानों के साथ मीडिया को संबोधित किया जाएगा। इसके बाद एक आधिकारिक भोज का आयोजन भी किया जाएगा।
यह शिखर सम्मेलन तब हो रहा है जब पाकिस्तान ने हाल ही में SCO की अध्यक्षता ग्रहण की है। SCO का गठन 2001 में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा शंघाई में किया गया था। भारत और पाकिस्तान को 2017 में SCO के स्थायी सदस्य के रूप में जोड़ा गया था।
चीन के प्रधानमंत्री का दौरा
सम्मेलन से पहले, चीन के प्रधानमंत्री ली चियांग सोमवार को इस्लामाबाद पहुँचे, जो पिछले 11 वर्षों में किसी चीनी प्रधानमंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा है। उनकी यात्रा चार दिनों तक चलेगी, जिसमें वे प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा, ली चियांग ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन भी करेंगे, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत तैयार हुआ है।
Jaishankar की यात्रा का महत्व
Jaishankar की पाकिस्तान यात्रा को भारत के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता निर्धारित नहीं है, और जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य SCO सम्मेलन में भाग लेना है। हालांकि, इस यात्रा को भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार की संभावना के तौर पर देखा जा रहा है।
हाल ही में Jaishankar ने एक भाषण में कहा था, “किसी भी पड़ोसी की तरह, भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा। लेकिन यह सीमा पार आतंकवाद की अनदेखी करके और अवास्तविक सोच में लिप्त होकर नहीं हो सकता।”
पाकिस्तान की स्थिति और SCO की भूमिका
यह SCO Summit Islamabad ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान को आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवादी घटनाएं और आर्थिक संकट पाकिस्तान को घेरते रहे हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान ने इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी की ज़िम्मेदारी उठाई है और इसका उद्देश्य SCO के सदस्य देशों के साथ व्यापार, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करना है।
जयशंकर की यह यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्तों को पुनर्जीवित करने का एक अवसर भी हो सकती है, हालांकि इसमें मुख्य बाधा आतंकवाद और कश्मीर मुद्दा है। पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए कुछ सकारात्मक संकेतों के बावजूद, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में SCO शिखर सम्मेलन
SCO Summit Islamabad ऐसे समय में हो रहा है जब रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संघर्ष ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे में SCO जैसे बहुपक्षीय संगठन का महत्व और बढ़ गया है। यह मंच सदस्य देशों को व्यापार, पर्यावरण और सांस्कृतिक सहयोग पर चर्चा करने का अवसर देता है, जो कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत आवश्यक है।
जयशंकर की SCO सम्मेलन में भागीदारी और पाकिस्तान की यात्रा को भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए अध्याय के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच कई कठिन मुद्दे अभी भी हल नहीं हुए हैं, लेकिन यह यात्रा संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकती है।
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