Kaal Bhairav Jayanti 2025: काशी के कोतवाल से कैसे पाएं कृपा, जानिए तिथि, कथा और उपाय
Kaal Bhairav Jayanti 2025: हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती या भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव का प्राकट्य हुआ था। इस वर्ष काल भैरव जयंती 12 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जा रही है। अष्टमी तिथि 11 नवंबर की रात 11 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 12 नवंबर की रात 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।
काल भैरव कौन हैं?
काल भैरव भगवान शिव के सबसे उग्र और रौद्र स्वरूप माने जाते हैं। इन्हें “काशी का कोतवाल” (Kashi Kotwal) भी कहा जाता है क्योंकि काशी नगरी में यमराज का नहीं बल्कि काल भैरव का शासन है। माना जाता है कि वे ही पापियों को दंड देते हैं और भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं।
काल भैरव की उत्पत्ति की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु में यह विवाद हुआ कि सृष्टि में सबसे श्रेष्ठ कौन है। तभी भगवान शिव एक तेजस्वी ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और दोनों से कहा कि इस ज्योति का आदि और अंत खोजो।
विष्णु जी नीचे की ओर गए और ब्रह्मा ऊपर की ओर। लेकिन जब ब्रह्मा जी लौटे तो उन्होंने झूठ बोल दिया कि उन्होंने इस ज्योति का अंत देख लिया।
ब्रह्मा जी के इस अहंकार और असत्य से भगवान शिव क्रोधित हो गए। उसी क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। उन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट लिया, जिससे उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा।
कथा के अनुसार, दोष मुक्ति के लिए काल भैरव भिक्षाटन करते हुए काशी पहुंचे। वहां गंगा और मत्स्योदरी के संगम पर स्नान करते ही उनके हाथ से ब्रह्मा का सिर अलग हो गया। तभी से उस स्थान का नाम कपालमोचन तीर्थ पड़ा और काल भैरव वहीं के संरक्षक देवता बन गए।
Bhairav Ashtami का महत्व
इस दिन की पूजा से व्यक्ति को भय, पाप, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि “जहां काल भैरव की कृपा होती है, वहां काल (मृत्यु) भी नहीं टिकता।”
जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु या केतु दोष हो, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए। यह दिन तंत्र-मंत्र साधना के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।
Kaal Bhairav Puja
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर में सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं।
- दीपक में काली उड़द के कुछ दाने डालें।
- “ॐ ह्रीं काल भैरवाय हं फट् स्वाहा” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- इसके बाद कुत्तों को रोटी, दूध या दही-चावल खिलाएं — क्योंकि कुत्ता काल भैरव का वाहन माना जाता है।
- भैरव जी को जलेबी, नारियल और उड़द दाल के पकौड़े का भोग लगाएं।
- शाम के समय भैरव अष्टक पाठ या काल भैरव स्तोत्र का पाठ करें।
काल भैरव जयंती पर विशेष उपाय
- दीपदान करें: रात के समय सरसों के तेल का दीपक मंदिर में जलाएं, इससे भय और संकट दूर होते हैं।
- नारियल अर्पण करें: एक नारियल को अपने सिर के ऊपर से सात बार उतारकर भैरव मंदिर में अर्पित करें और उस पर कपूर जलाएं — इससे नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- दान करें: काले वस्त्र, तिल या कंबल का दान करने से ग्रह दोष और शत्रु भय से मुक्ति मिलती है।
- आंवले के पत्तों से उपाय: किसी व्यक्ति से यदि झगड़ा या तनाव हो, तो आंवले के 5 पत्तों पर उसका नाम लिखकर भैरव जी के चरणों में रखें और संबंध सुधारने की प्रार्थना करें।
काल भैरव के प्रसिद्ध मंदिर
- काशी (वाराणसी) – काल भैरव मंदिर सबसे प्रसिद्ध है, जहां उन्हें “काशी का कोतवाल” कहा जाता है।
- उज्जैन – काल भैरव मंदिर में मदिरा का भोग लगाया जाता है।
- कटरा, जम्मू – वैष्णो देवी यात्रा के दौरान भैरव मंदिर का दर्शन बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है।
यह भी पढ़े
Guru Nanak Jayanti 2025: ईश्वर एक है — गुरु नानक देव जी की यह सीख आज भी अमर है
