Kabul airstrike controversy: जो भारत ने किया, वही हम कर रहे हैं?” अफगान मुद्दे पर पाक आर्मी चीफ को मौलाना फजलुर्रहमान की खरी-खरी
Kabul airstrike controversy: पाकिस्तान की सियासत और फौजी नीति में एक बार फिर टकराव खुलकर सामने आ गया है। इस बार आवाज़ उठाई है देश के वरिष्ठ नेता और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फज़ल) के प्रमुख मौलाना फजलुर्रहमान ने। उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर और शहबाज शरीफ सरकार पर अफगानिस्तान के प्रति जरूरत से ज़्यादा आक्रामक नीति अपनाने का आरोप लगाया है।
मौलाना फजलुर्रहमान का कहना है कि अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान को टकराव नहीं, बल्कि समझ और अच्छे रिश्तों की ज़रूरत है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी देश की राजधानी पर हमला करने का कोई नैतिक या राजनीतिक अधिकार नहीं होता।
“जो भारत ने किया, वही हम कर रहे हैं”
कराची के ल्यारी इलाके में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए मौलाना फजलुर्रहमान ने बेहद तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान में वही नीति अपना रहा है, जो भारत ने मई महीने में पाकिस्तान के खिलाफ अपनाई थी, तो फिर भारत के उस एक्शन की आलोचना हम किस मुंह से कर सकते हैं।
मौलाना ने कहा कि भारत ने अपने ऑपरेशन के दौरान यह दावा किया था कि वह अपने दुश्मनों को निशाना बना रहा है। आज पाकिस्तान भी अफगानिस्तान में हवाई हमले कर यही तर्क दे रहा है कि वह टीटीपी जैसे दुश्मनों को खत्म कर रहा है। ऐसे में यह दोहरी नीति कैसे सही ठहराई जा सकती है?
पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव की पृष्ठभूमि
बीते कुछ समय से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकी अफगानिस्तान की ज़मीन से पाकिस्तान में हमले कर रहे हैं। इसी को आधार बनाकर पाकिस्तान ने अफगान सीमा के अंदर हवाई हमले किए।
वहीं अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इन हमलों को अपनी संप्रभुता पर हमला बताते हुए कड़ा विरोध किया है। जवाब में तालिबान ने सीमा पर पाकिस्तानी चौकियों और फौज को भी निशाना बनाया है। इस टकराव ने दोनों देशों के बीच हालात और बिगाड़ दिए हैं।
“राजधानी पर हमला, इस्लामाबाद पर हमले जैसा है”
मौलाना फजलुर्रहमान ने इस पूरे मुद्दे को बेहद सरल लेकिन असरदार उदाहरण से समझाया। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान काबुल में बमबारी करता है, तो यह ठीक वैसा ही है जैसे कोई इस्लामाबाद पर हमला करे। जब किसी देश की राजधानी पर हमला होता है, तो जवाब आना तय है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद पाकिस्तान को लगा था कि अब काबुल उसका करीबी सहयोगी होगा। लेकिन जब टीटीपी के मुद्दे पर मतभेद हुए, तो पाकिस्तान ने सीधे सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुन लिया, जो हालात को और खराब कर रहा है।
“भारत को सही ठहरा रहे हैं हम”
मौलाना फजलुर्रहमान ने आर्मी चीफ असीम मुनीर से सीधा सवाल किया कि अगर आप अफगानिस्तान में वही दलीलें दे रहे हैं, जो भारत ने पाकिस्तान में मिसाइल हमलों के समय दी थीं, तो आप अनजाने में भारत के उस एक्शन को सही साबित कर रहे हैं।
उनका कहना था कि इस तरह के बयान और कार्रवाइयाँ पाकिस्तान के अपने नैरेटिव को कमजोर करती हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की स्थिति को नुकसान पहुंचाती हैं।
अफगानिस्तान और भारत का संदर्भ
मौलाना ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में अफगानिस्तान की ज़्यादातर सरकारें भारत के प्रति नरम रुख रखती रही हैं। चाहे वह शाह के ज़माने की सरकारें हों या अशरफ गनी का दौर—काबुल अक्सर भारत के करीब रहा है। सिर्फ तालिबान को ही पाकिस्तान समर्थक माना गया, लेकिन अब उनके साथ भी रिश्ते बिगड़ चुके हैं।
समाधान क्या?
मौलाना फजलुर्रहमान का मानना है कि अफगानिस्तान के साथ मसले का हल बम और मिसाइल नहीं, बल्कि बातचीत और कूटनीति है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को पहले अपनी नीतियों पर आत्ममंथन करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि हिंसा से सिर्फ और हिंसा जन्म लेती है।
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