
Kalashtami 20-2025 सनातन धर्म में भैरव देवता की बहुत मानता है। ऐसी मानता है कि भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। भैरव देवता की पूजा अर्चना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और तंत्र से छुटकारा मिलता है। काल भैरव हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए खड़े रहते हैं।
Kalashtami 20-2025: जानिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार कल अष्टमी का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा आराधना करने का विशेष महत्व है। व्रत तिथि 21 जनवरी को दोपहर 12:39 से शुरू होगी और 21 जनवरी को दोपहर 3:18 तक रहेगी।
हालांकि कालाष्टमी 21 जनवरी को ही मनाई जाएगी ऐसा इसीलिए क्योंकि कालाष्टमी की पूजा हमेशा शाम के समय अर्थात सूर्यअस्त के बाद ही करी जाती है।
Kalashtami 20-2025: कालाष्टमी का महत्व
शिव पुराण के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था, इसीलिए हर साल कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना विशेष रूप से की जाती है, और इसे कालाष्टमी का नाम दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा आराधना करता है और नियम पूर्वक व्रत रखता है, तो स्वयं काल भैरव उनकी रक्षा करते हैं। इस दिन व्रत रखने से सारी काली शक्तियों जैसे तंत्र-मंत्र या जादू टोने से जुड़ी समस्याओं से निवारण मिलता है। ज्योतिष दृष्टि से देखा जाए, तो काल भैरव की पूजा करने से नवग्रह के अशोक प्रभाव भी खत्म होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Kalashtami 20-2025: कालाष्टमी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार की बात है जब त्रिदेवों के बीच विवाद हुआ की उन तीनों में से सबसे श्रेष्ठ कौन है। भगवान विष्णु, भगवान महादेव और भगवान ब्रह्मा जी ने इस प्रश्न का हल निकालने के लिए एक सभा का आयोजन किया , जिसमें समस्त देवी देवताएं मौजूद थे। सभी देवी देवताओं के बीच गहरा विचार विमर्श हुआ । इसके बाद उन्होंने अपना फैसला सब कुछ सुनाया। समस्त देवी देवताओं के फैसले से सभी संतुष्ट हुए लेकिन भगवान ब्रह्मा जी और संतुष्ट थे। इसीलिए उन्होंने भगवान शिव का अपमान करने का प्रयास कर जिसके कारण भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए।
महादेव के क्रोधित होने पर उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया जिससे काल भैरव की उत्पत्ति हुई। काल भैरव एक काले कुत्ते पर सवार थे और उनके हाथों में हथियार के रूप में दंड था। उन्होंने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी के सर को धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद भगवान ब्रह्मा जी ने महादेव से क्षमा याचना करी जिस कारण महादेव का क्रोध शांत हुआ।
Kalashtami 20-2025: वाराणसी में उन्हें डंडाधिपति कहां गया।
महादेव के रूद्र रूप में ब्रह्मा जी का सर काट दिया था, जिस कारण महादेव पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा। ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए महादेव कई स्थानों पर गए जहां पर उन्हें इसका निवारण नहीं मिला। कई जगहों पर भड़काने के बाद महादेव वाराणसी पहुंचे जहां उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली। वाराणसी में उन्हें काल भैरव और महाकालेश्वर का नाम दिया गया। वाराणसी में उन्हें “डंडाधिपति” के नाम से पूजा जाता है क्योंकि उन्हें वहां दंड से मुक्ति मिली थी।
Kalashtami 20-2025: पूजा विधि
- कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे।
- घर की साफ सफाई करें। मंदिर को भी स्वच्छ करें।
- घर में एवं मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- मंदिर में एक चौकी रखें।
- काल भैरव जी को सफेद चंदन का तिलक लगाए।
- काल भैरव और शिवजी की पूजा आराधना करें। महादेव की पूजा आराधना इसी लिए करें क्योंकि महादेव का ही रूप काल भैरव को कहा जाता है।
- भगवान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं।
- इस दिन काले कुत्ते को रोटी जरूर खिलाएं।
Kalashtami 20-2025: 108 बार इस मंत्र का जाप करें
- ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ll
- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों ह्रीं ह्रों क्षं क्षेत्रपालाय कालभैरवाय नमः ll
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