Kamini Kaushal death: 98 साल की उम्र में कामिनी कौशल ने कहा अलविदा ,वो जिन्होंने सालों तक बॉलीवुड पर राज किया
Kamini Kaushal death: हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री कामिनी कौशल अब इस दुनिया में नहीं रहीं। बुधवार की सुबह 98 साल की उम्र में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है। सात दशक तक फैले उनके शानदार करियर ने उन्हें हिंदी सिनेमा की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में शामिल किया, जिनकी छाप आज भी दिलों में जिंदा है।
कामिनी कौशल सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि एक ऐसी कलाकार थीं जिन्होंने अपने काम से भारतीय फिल्मों को नई दिशा दी। 1940 के दशक में जब महिलाएं फिल्मों में आने से हिचकिचाती थीं, तब उन्होंने न सिर्फ मुख्य भूमिका निभाई बल्कि एक से बढ़कर एक यादगार किरदार किए।
शुरुआत जिसने बना दी पहचान
कामिनी कौशल का असली नाम उमा कश्यप था। उनका जन्म 16 जनवरी 1927 को लाहौर में हुआ था। पढ़ाई-लिखाई के दौरान ही वह रंगमंच से जुड़ गईं। अभिनय में उनकी रुचि इतनी गहरी थी कि जल्द ही निर्देशक चेतन आनंद की नज़र उन पर पड़ी और उन्हें अपनी फिल्म ‘नीचा नगर’ (1946) में मुख्य भूमिका मिल गई।
यह फिल्म इतिहास बन गई। ‘नीचा नगर’ ने कान फिल्म फेस्टिवल में पामे डी’ओर जीता। इस फिल्म ने कामिनी कौशल को रातों-रात पहचान दिलाई और वह बॉलीवुड की पहली ऐसी अभिनेत्रियों में शामिल हो गईं जिनका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।
शानदार करियर और हिट फिल्में
कामिनी कौशल ने 1946 से लेकर 1963 तक मुख्य नायिका के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने कई बड़ी और यादगार फिल्मों में अभिनय किया—
- दो भाई (1947)
- शहीद (1948)
- नदिया के पार (1948)
- ज़िद्दी (1948)
- आरजू (1950)
- आबरू (1953)
- गोदान (1963)
1954 में आई बिराज बहू उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार मिला। उनकी अभिनय शैली सरल, प्राकृतिक और भावपूर्ण थी। यही वजह थी कि वे दर्शकों की पसंद बनी रहीं।
दिलीप कुमार से जुड़ा किस्सा
कामिनी कौशल और दिलीप कुमार की ऑन-स्क्रीन कैमिस्ट्री आज भी दर्शक याद करते हैं। उन्होंने कई फिल्मों में एक साथ काम किया और खबरों के अनुसार दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा “द सबस्टांस एंड द शैडो” में लिखा कि कामिनी कौशल उनकी पहली मोहब्बत थीं।
हालाँकि कामिनी कौशल ने हमेशा अपनी निजी ज़िंदगी को पर्दे से दूर रखा और अपने काम पर ध्यान दिया।
विवाह और निजी जीवन
कामिनी कौशल दो भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटी थीं। बचपन में ही पिता के निधन ने उन्हें मजबूत बना दिया। उन्होंने अपने पति के साथ मुंबई बसने के बाद भी फिल्मों में काम जारी रखा—जो उस दौर में अत्यंत दुर्लभ था। उनके तीन बेटे हुए—राहुल, विदुर और श्रवण।
चरित्र भूमिकाओं का सफर
1963 के बाद कामिनी कौशल मुख्य भूमिका से हटकर चरित्र भूमिकाओं में नजर आने लगीं। लेकिन उनकी चमक फीकी नहीं पड़ी। उन्होंने माँ, भाभी और महत्वपूर्ण सहायक किरदारों में बेहतरीन अभिनय किया।
विशेषकर मनोज कुमार की फिल्मों में उनकी उपस्थिति हमेशा यादगार रही—
- शहीद
- उपकार
- पूरब और पश्चिम
- शोर
- रोटी कपड़ा और मकान
- दस नम्बरी
इसके अलावा उन्होंने राजेश खन्ना की फिल्मों जैसे प्रेम नगर (1974) और महा चोर (1976) में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।
कामिनी कौशल की विरासत
कामिनी कौशल का जीवन सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं था। वे एक अनुशासित, सादगी पसंद और मजबूत व्यक्तित्व वाली महिला थीं। अभिनेत्री होने के साथ-साथ वह एक उदाहरण भी थीं कि कैसे एक महिला शादी और परिवार के बाद भी अपना करियर जारी रख सकती है।
उन्होंने भारतीय सिनेमा को जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। उनकी अदाकारी, संवाद अदायगी, और अपने किरदारों को जीवंत करने की क्षमता आज भी अद्वितीय मानी जाती है।
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