काशी तमिल संगमम 3.0 का आयोजन 15 फरवरी से 25 फरवरी 2025 तक वाराणसी में किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्घाटन 15 फरवरी को नमो घाट पर होने की संभावना है, वही जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के शामिल होने की उम्मीद है।
काशी तमिल संगमम 3.0:योगी आदित्यनाथ कर सकते हैं शुभ आरंभ
काशी तमिल संगमम 3.0:बता दें की इस 10 दिवसीय आयोजन का मुख्य उद्देश्य उत्तर भारत और दक्षिण भारत की संस्कृतियों के बीच गहरे संबंधों को उजागर करना है। इस वर्ष की थीम ऋषि अगस्त्य और महाकुंभ पर आधारित है, जो तमिल और वैदिक संस्कृतियों के संगम का प्रतीक है। वही दौरान काशी में लगभग डेढ़ हजार पर्यटकों के आने की संभावना है। आयोजन का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करना है, जिससे दोनों क्षेत्रों के लोग एक-दूसरे की परंपराओं और विरासत को बेहतर तरीके से समझ सकें।
काशी तमिल संगमम 3.0:लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा रहा है कार्यक्रम
इतना हे नहीं बल्कि काशी में बसे तमिल समुदाय को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने स्थानीय तमिल कलाकारों से अपनी प्रस्तुतियों की सूची जमा करने का अनुरोध किया है, ताकि उन्हें संगमम के दौरान अपनी कला प्रदर्शन का अवसर मिल सके। इससे उत्तर भारत में रहने वाले तमिलनाडु के लोगों को अपनी संस्कृति को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने का मंच मिलेगा।
काशी तमिल संगमम 3.0:कार्यक्रम में तमिलनाडु से विभिन्न समूहों के 1200 प्रतिनिधि शामिल होंगे,
1. छात्र, शिक्षक और लेखक2. किसान और कारीगर
3. पेशेवर और उद्यमी4. स्वयं सहायता समूह, मुद्रा ऋण लाभार्थी और प्रचारक5. स्टार्ट-अप, इनोवेशन, शिक्षा तकनीक और अनुसंधान6. केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्र
काशी तमिल संगमम 3.0:जिलाधिकारी ने कहा
वही जिलाधिकारी ने कहा कि इस बार कार्यक्रम की थीम ऋषि अगस्त्य और महाकुंभ 2025 है। तमिल से आने वालों को ऋषि अगस्त्य की जन्मस्थली अगस्त्य कुंडा ले जाया जाएगा। नमोघाट पर काशी और तमिल के कुल 75 स्टॉल लगाए जाएंगे। एकेडमिक कार्यक्रम काशी हिंदू विश्वविद्यालय में होंगे। ये कार्यक्रम आईआईटी बीएचयू और आईआईटी मद्रास के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है। इस कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गई है।
इस आयोजन का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जिससे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूती मिलेगी।