दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दो बड़े नेताओं, मल्लिकार्जुन खरगे और सैम पित्रोदा के बयानों ने पार्टी को एक बार फिर विवादों में डाल दिया है। ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब पार्टी को अपनी छवि सुधारने और चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है।
खरगे का बयान और विवाद
प्रयागराज में गृहमंत्री अमित शाह के महाकुंभ स्नान पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “भाजपा के नेताओं में कैमरे के सामने डुबकी लगाने की होड़ मची है। क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी खत्म हो जाएगी या पेट भर जाएगा?”
उनके इस बयान पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। बीजेपी ने इसे हिंदू आस्था पर हमला बताया। हालांकि, विवाद बढ़ता देख खरगे ने माफी मांगते हुए कहा, “मेरा मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। अगर किसी को बुरा लगा हो तो मैं माफी मांगता हूं।”
अरे भाई गंगा में डुबकी लगाने से ग़रीबी दूर होती है क्या, क्या आपको पेट में खाना मिलता है?
मैं किसी की आस्था को कोई ठेस नहीं पहुँचाना चाहता। अगर किसी को दुःख हुआ तो मैं माफ़ी चाहता हूँ।
लेकिन आप बताइए कि जब बच्चा भूखा मर रहा है, बच्चा स्कूल में नहीं जा रहा है, मजदूरों को… pic.twitter.com/tQlf8XqBSI
— Mallikarjun Kharge (@kharge) January 27, 2025
कांग्रेस का बचाव: दलित कार्ड का सहारा
खरगे के बयान पर हुए विवाद के बीच कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलते हुए कहा, “बीजेपी की दिक्कत खरगे जी के दलित होने से है।” कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि खरगे ने सिर्फ सच दिखाया है।
सैम पित्रोदा का बयान और नया विवाद
खरगे के बयान का मामला थमा भी नहीं था कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने अवैध प्रवासियों को लेकर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा, “अगर वे (अवैध प्रवासी) भारत आना चाहते हैं, तो उन्हें आने देना चाहिए। हमें सबको साथ लेकर चलना चाहिए, भले ही इससे थोड़ा कष्ट हो।”
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने की कार्रवाई तेज है। बीजेपी ने इसे गैरजिम्मेदाराना और देश के लिए खतरनाक बताया।
पिछले बयानों से भी बढ़ चुकी हैं कांग्रेस की दिक्कतें
यह पहली बार नहीं है जब सैम पित्रोदा के बयान ने कांग्रेस को मुश्किल में डाला हो। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों की तुलना चीनी, उत्तर के लोगों की गोरे और दक्षिण के लोगों की अफ्रीकी लोगों से की थी। यह बयान भी उस समय बड़ा विवाद बना था।
क्या ऐसे बयान कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे?
कांग्रेस के नेताओं के विवादित बयान अक्सर पार्टी के लिए परेशानी का कारण बनते रहे हैं। चुनावी समय में ऐसे बयान विपक्ष को मुद्दा उठाने का मौका देते हैं। सवाल यह है कि क्या इस बार भी कांग्रेस को इन विवादों का खामियाजा उठाना पड़ेगा?
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