
Last Sawan Monday 2025: 4 अगस्त को करें उद्यापन, तभी मिलेगा व्रत का पूर्ण फल!
Last Sawan Monday 2025: सावन का पवित्र महीना अपने अंतिम चरण में है। 11 जुलाई 2025 से शुरू हुआ सावन, अब 9 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। इस महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लाखों श्रद्धालुओं ने सोमवार का व्रत रखा। खास बात यह है कि इस साल सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है। इसलिए जो भक्त व्रत का संकल्प लेकर इस पूरे महीने व्रत कर रहे थे, उनके लिए यह दिन उद्यापन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
उद्यापन क्या है और क्यों जरूरी है?
उद्यापन का अर्थ होता है व्रत या संकल्प की पूर्णता। जब कोई व्यक्ति किसी विशेष संकल्प के साथ व्रत रखता है—जैसे 4 सोमवार, 5 सोमवार या 16 सोमवार—तो उस व्रत का सही फल तभी मिलता है, जब अंत में उसका विधिवत उद्यापन किया जाए।
अगर आपने बिना संकल्प के व्रत किए हैं, तब भी अंतिम सोमवार को उद्यापन करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि बिना उद्यापन के व्रत अधूरे माने जाते हैं।
इस बार कब करें उद्यापन?
सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। इसलिए जिन लोगों ने सावन के चारों सोमवार व्रत रखे हैं, वे 4 अगस्त को उद्यापन कर सकते हैं।
यदि किसी ने 16 सोमवार का संकल्प लिया है, तो उसे 16वें सोमवार को ही उद्यापन करना चाहिए।
उद्यापन के लिए जरूरी सामग्री
उद्यापन के दिन पूजा सामग्री पहले से जुटा लेना अच्छा होता है। नीचे दी गई चीजें आपको चाहिए होंगी:
- शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र
- लकड़ी की चौकी और उस पर बिछाने के लिए लाल कपड़ा
- केले का पत्ता, आम के पत्ते, पान के पत्ते
- फल, सफेद मिठाई (जैसे पेड़ा या मावे की बर्फी)
- पंचामृत के लिए सामग्री: गाय का कच्चा दूध, दही, घी, शहद और शक्कर
- रोली, अक्षत (चावल), सुपारी, छोटी इलायची, लौंग, कुंकुम
- धूपबत्ती और दीपक
- फूल-माला, अगरबत्ती, चंदन
- दक्षिणा और दान के लिए वस्त्र या खाद्य सामग्री
उद्यापन की संपूर्ण पूजा विधि
- स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। - पूजा स्थान की सफाई करें।
गंगाजल या शुद्ध जल से पूजा स्थान को पवित्र करें। - चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- हाथ में जल लेकर यह शुद्धिकरण मंत्र बोलें –
“ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥”
इसके बाद जल को अपने ऊपर छिड़क लें। - दीपक और धूप जलाएं।
- शिवजी को चंदन और अक्षत लगाएं, माता पार्वती को रोली चढ़ाएं।
- फूल, माला, फल, मिठाई, पंचामृत चढ़ाएं।
- शिव चालीसा, शिव पंचाक्षरी मंत्र (“ॐ नमः शिवाय”), महामृत्युंजय मंत्र आदि का जाप करें।
- शिवजी की आरती करें और अंत में सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
- प्रसाद वितरित करें और व्रत पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
- गरीबों को दान करें – अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, दक्षिणा या भोजन का दान करें।
क्या नहीं करना चाहिए उद्यापन के दिन?
- उद्यापन अधूरी श्रद्धा या जल्दबाजी में न करें।
- व्रत का फल तभी मिलता है जब भावना और भक्ति सच्ची हो।
- झूठ, छल या अपवित्रता से दूर रहें।
उद्यापन से मिलने वाला फल
मान्यता है कि उद्यापन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इससे व्यक्ति को सुख, शांति, संतान सुख, वैवाहिक सुख और आर्थिक उन्नति मिलती है। विशेषकर अगर व्रती कन्या हो तो उसे उत्तम वर की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाएं इस व्रत से अपने पति की दीर्घायु और गृह सुख की कामना करती हैं।
सावन सोमवार का व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। इस व्रत को विधिपूर्वक और सच्चे मन से करने के बाद अगर अंतिम दिन उसका उद्यापन भी पूरी श्रद्धा से किया जाए, तो भगवान शिव की कृपा अवश्य मिलती है।
तो इस 4 अगस्त को सावन के अंतिम सोमवार पर, अगर आपने व्रत किया है तो उद्यापन जरूर करें और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद पाएं।
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