Lebanon Pager Explosion: मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में हिज़बोल्लाह क्यों कर रहे हैं पेजर का उपयोग?

17 सितंबर, 2024 को, Lebanon Pager Explosion ने तबाही मचा दी, जिसमें कम से कम नौ लोग मारे गए और 2,700 से अधिक लोग घायल हुए। इन लोगो में तेहरान का राजदूत भी शामिल था।

Lebanon Pager Explosion

ईरान-समर्थित चरमपंथी समूह हिजबुल्ला ने इस हमले के लिए इस्राइल को जिम्मेदार ठहराया। फिलहाल, इस्राइल ने इस घटना पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। इस हमले ने यह उजागर किया कि आज के आधुनिक युग में हिज़बोल्लाह पेजर का उपयोग कर रहे हैं जो कि एक पुराना कम्युनिकेशन डिवाइस है।

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Pager क्या है?

Pager, जिसे बीपर भी कहा जाता है, एक संक्षिप्त, बैटरी-संचालित रेडियो रिसीवर है जो एक विशिष्ट सिग्नल प्राप्त होने पर ध्वनि या वाइब्रेशन के माध्यम से उपयोगकर्ता को सूचित करता है। आधुनिक स्मार्टफोन के विपरीत, पेजर में GPS या ब्लूटूथ जैसी सुविधाएं नहीं होती हैं। ये सामान्यतः संख्यात्मक संदेश जैसे फोन नंबर या बहुत संक्षिप्त संदेश प्रदर्शित करते हैं। पेजर का प्रचलन 1980 के दशक के अंत से लेकर 1990 के दशक तक था, लेकिन 2000 के दशक में सस्ते सेल फोन के आने के साथ इसका उपयोग कम हो गया।

Pager मुख्यतः दो प्रकार होती हैं:

वन-वे Pager: ये केवल संदेश प्राप्त कर सकते हैं।

टू-वे Pager: ये संदेश भेजने और प्राप्त करने दोनों की क्षमता रखते हैं।

Pager एक समय में स्वास्थ्य देखभाल और आपातकालीन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक महत्वपूर्ण थे, जहां सेल नेटवर्क की समस्याएँ हो सकती थीं। हालांकि इनका उपयोग घटा है, लेकिन पेजर अभी भी महत्वपूर्ण संचार परिस्थितियों में उपयोग किए जाते हैं।

Lebanon Pager Explosion: तंत्र और प्रभाव

17 सितंबर का हमला हाल के इतिहास का सबसे चौंकाने वाला एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशन है। सूत्रों के अनुसार, इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्ला के आतंकवादियों को निष्क्रिय करने के लिए एक अत्याधुनिक योजना का कार्यान्वयन किया। मोसाद ने कथित तौर पर हजारों पेजरों के अंदर विस्फोटक सामग्री प्लांट की, जो बाद में दूर से सक्रिय की गई। कयासों के अनुसार, विस्फोटक सामग्री, संभवतः PETN, पेजर बैटरी को दूर से गर्म करके ट्रिगर की गई। एक अन्य कयास यह है कि एक एरर संदेश ने सभी पेजरों को वाइब्रेट किया।  वाइब्रेशन के कारण हिज़बोल्लाह वालो ने पेजर का बटन दबाया जिस से विस्फोट हो गया।

इस पेजर शिपमेंट का आर्डर हिज़बोल्लाह ने  दिया था और ये मूलतः बुडापेस्ट में BAC कंसल्टिंग द्वारा भेजे गए थे, हालांकि कंपनी ने निर्माण में किसी भी तरह का हाथ होने से मना किया है। ये पेजर ताइवान स्थित गोल्ड अपोलो ने बनाये है। जिससे इस योजना में एक अंतर्राष्ट्रीय पहलु भी जुड़ गया।

हिज़्बुल्लाह क्यों कर रहे पेजर का उपयोग

इस्राइल की उन्नत निगरानी और खुफिया-संग्रह प्रौद्योगिकियों के जवाब में, हिजबुल्ला ने पहले अपने सदस्यों के बीच सेल फोन पर प्रतिबंध लगा दिया था। अत्याधुनिक संचार माध्यमों को हिज़्बुल्लाह समूह ने पेजर और कूरियर से रीप्लेस कर दिया। तकनीकी रूप से इस कम स्तर के इन उपकरणों के उपयोग के पीछे का उद्देश्य इस्राइल की अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणालियों को बायपास करना था, जिसमें सेल फोन और कंप्यूटर में हैकिंग शामिल है। हिजबुल्ला के नेता सैयद हसन नसरल्लाह ने इन तरीकों को “ब्लाइंड” इस्राइल कह।

हिजबुल्ला का पेजरों का उपयोग, जो एक पुराने युग का उपकरण है, एक रणनीतिक चाल थी जिससे उनकी पहचान छुपाने की कोशिश की गई थी। हालांकि, यह रणनीति  मोसाद के इस अवसर का फायदा उठाया तो पूरी तरह से विफल हो गई।

मोसाद का Lebanon Pager Explosion ऑपरेशन और इसका परिणाम

17 सितंबर के Lebanon Pager Explosion मोसाद के ऑपरेशन का परिणाम थे जिसने हिजबुल्ला की पेजरों पर निर्भरता का फायदा उठाया। हमले ने हिजबुल्ला के लड़ाकों में हड़बड़ी पैदा कर दी।  नौ लोग मारे गए हैं और हजारो लोग घायल हो गए जिसमें ईरानी अधिकारी भी शामिल हैं।
हमले का समय और इसके प्रभाव ने हिजबुल्ला को इस्राइल के खिलाफ प्रतिशोध की धमकी देने पर मजबूर कर दिया है।
Lebanon Pager Explosion पुराने तकनीक और आधुनिक युद्ध के बीच एक नाटकीय परिदृश्य को दर्शाता है। मोसाद का ऑपरेशन केवल खुफिया और काउंटर-इंटेलिजेंस अभियानों की प्रभावशीलता को ही नहीं दर्शाता, बल्कि यह भी दिखाता है कि हिजबुल्ला जैसे समूह अपनी पहचान छुपाने के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं।

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