
Maa Kushmanda Worship: मां कुष्मांडा की आराधना का शुभ दिन, जानिए शुभ मुहूर्त, राहुकाल और योग
Maa Kushmanda Worship: शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। आज शुक्रवार, 26 सितंबर 2025 को नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है।
माना जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इन्हें सृष्टि की जननी भी कहा जाता है। इनके पूजन से साधक को आरोग्य जीवन, बल और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आज का दिन केवल नवरात्रि की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पंचांग और योगों की दृष्टि से भी खास माना जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं आज का पूरा पंचांग और पूजन का महत्व।
आज का पंचांग (26 सितंबर 2025)
- तिथि (चतुर्थी): सुबह 9:33 बजे तक
- तिथि (पंचमी): इसके बाद दिनभर और रातभर
- नक्षत्र (विशाखा): सुबह 10:09 बजे तक
- नक्षत्र (अनुराधा): इसके बाद रातभर
- योग (विष्कुम्भ): रात 10:50 बजे तक
- योग (प्रीति): इसके बाद शुरू होगा और देर रात तक रहेगा
- करण (विष्टि): सुबह 9:33 बजे तक
- करण (बव): सुबह 9:33 से रात 10:49 तक
- करण (बालव): इसके बाद रातभर
राहुकाल और दिशा शूल
- आज का राहुकाल: सुबह 10:30 बजे से 12:00 बजे तक
इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। - दिशा शूल: पश्चिम दिशा
यदि यात्रा आवश्यक हो तो गुड़ खाकर या तुलसीपत्र साथ लेकर यात्रा करें।
मां कुष्मांडा का महत्व
मां दुर्गा का चौथा स्वरूप कुष्मांडा अष्टभुजा धारी है, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। पुराणों में वर्णित है कि जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब मां कुष्मांडा ने अपनी ईषत् मुस्कान (हल्की हंसी) से पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया।
‘कुष्मांड’ शब्द का अर्थ है कुम्हड़ा (पेठा)। मां को कुम्हड़ा अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही मां को लाल रंग के फूल, मालपुआ, केले, सेव, दही और हलवा अर्पित करने से विशेष कृपा मिलती है।
धारणा है कि मां कुष्मांडा की पूजा से साधक को दीर्घायु, रोगों से मुक्ति और तेजस्विता प्राप्त होती है।
आज का शुभ मुहूर्त
- पूजा का उत्तम समय: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त से लेकर 9:30 बजे तक
- दोपहर पूजा: 12:15 बजे से 1:15 बजे तक
- संध्या पूजा: शाम 6:30 बजे से 8:00 बजे तक
इन मुहूर्तों में मां कुष्मांडा की पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
नवरात्रि के चौथे दिन की विशेषता
नवरात्रि का प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप को समर्पित होता है। चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है। यह दिन साधक के लिए स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का दिन माना जाता है।
ऐसा विश्वास है कि इस दिन की गई साधना से साधक के जीवन के सभी अंधकार दूर हो जाते हैं और जीवन में प्रकाश ही प्रकाश भर जाता है।
व्रत और पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
- मां कुष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
- मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें।
- कुम्हड़ा (पेठा) अवश्य चढ़ाएं।
- मालपुआ, फल और दही का भोग लगाएं।
- ‘ॐ देवी कुष्माण्डायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
- अंत में मां की आरती कर परिवार के कल्याण की प्रार्थना करें।
आज बनने वाले योग और उनका प्रभाव
- विष्कुम्भ योग: यह योग सामान्यतः शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता।
- प्रीति योग: रात 10:50 बजे से शुरू होने वाला यह योग बेहद मंगलकारी है। इस योग में शुरू किए गए कार्य में सफलता मिलती है और दाम्पत्य जीवन में सौहार्द बढ़ता है।
आज का विशेष संदेश
आज का दिन न केवल मां कुष्मांडा की आराधना के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि जब जीवन में अंधकार और निराशा छा जाए, तब एक मुस्कान और सकारात्मक सोच से भी नया मार्ग बनाया जा सकता है।
मां कुष्मांडा की पूजा से साधक को यही प्रेरणा मिलती है—हर कठिनाई में धैर्य, ऊर्जा और आशा बनाए रखना।
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