मध्य प्रदेश, 17 दिसंबर 2024: प्रदेश में एक अनोखा अपराध सामने आया है, जहां चार कॉलेज छात्रों ने एक गिरोह से मिलकर लोगों को “digital arrest” के नाम पर ठगने में मदद की। इन छात्रों ने अपने बैंक खातों की जानकारी इस गिरोह को दी, बदले में उन्हें अपराध से हुई कमाई में कमीशन मिलता था। पुलिस ने इस मामले में चारों छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से जुड़ी हुई है, जहां एक 59 वर्षीय महिला को ₹1.60 करोड़ का ठग लिया गया था।
कैसे काम करता था ‘digital arrest‘ गिरोह?
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह लोगों को “डिजिटल गिरफ्तारी” का डर दिखा कर उन्हें धोखा देता था। “डिजिटल गिरफ्तारी” का मतलब था कि गिरोह अपने शिकार को यह विश्वास दिलाता था कि उनके खिलाफ कोई ऑनलाइन अपराध हो गया है और अगर वे पैसा नहीं देंगे, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस प्रकार का फर्जी दबाव बनाकर गिरोह लोगों से बड़ी राशियाँ ऐंठ लेता था।
इसी गिरोह ने एक 59 वर्षीय महिला को ₹1.60 करोड़ का शिकार बना लिया था। महिला को गिरोह ने यह डर दिखाया कि यदि उसने तुरंत पैसे नहीं दिए, तो उसकी गिरफ्तारी हो जाएगी। डर के कारण महिला ने गिरोह के कहे अनुसार पैसे ट्रांसफर कर दिए।
छात्रों का क्या रोल था?
गिरोह ने इन कॉलेज छात्रों को अपने बैंक खातों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया। इन छात्रों ने अपना खाता गिरोह के साथ साझा किया और बदले में उन्हें उस रकम का कुछ प्रतिशत कमीशन मिलता था, जो गिरोह अपनी धोखाधड़ी से कमाता था। ये छात्र इस अवैध गतिविधि में शामिल थे और उन्हें इस बात का पूरा ज्ञान था कि वे कानून के खिलाफ काम कर रहे हैं।
पुलिस ने इन छात्रों की पहचान की, जो सभी कॉलेज के विद्यार्थी थे। शाक्य और राठौर सेhore के निवासी थे, जबकि गोरेले और त्रिपाठी भोपाल के रहने वाले थे। इनमें से एक छात्र बी.टेक (कंप्यूटर विज्ञान) का छात्र था, जबकि बाकी तीन छात्र बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) के विद्यार्थी थे।
कैसे पकड़े गए छात्र?
पुलिस ने शाक्य के बैंक खाते में संदिग्ध लेन-देन पाया, जिसमें ₹5 लाख की ट्रांजैक्शन ने उनकी जांच को प्रेरित किया। शाक्य से पूछताछ के बाद, उसने स्वीकार किया कि उसके खाते का उपयोग गिरोह द्वारा किया जा रहा था। इसके बाद पुलिस ने शाक्य से तीन और छात्रों का नाम लिया, जो इस नेटवर्क का हिस्सा थे।
शाक्य के खाते में गिरोह ने ₹15 लाख का लेन-देन किया था, जिसमें से ₹10 लाख पहले ही निकाले जा चुके थे। शाक्य के खाते से संदिग्ध लेन-देन की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और पूरे मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने शाक्य के बैंक खाते में होने वाली सभी लेन-देन को अब रोक दिया है।
बैंक खाता कैसे होता था गिरोह के हाथ?
पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने बैंक खातों का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में किया। गिरोह के सदस्य पहले छात्रों के बैंक खातों की जानकारी हासिल करते थे और फिर इन खातों के माध्यम से धोखाधड़ी की कमाई ट्रांसफर कर देते थे। गिरोह के सदस्य बैंक खातों पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लेते थे, और जिन लोगों के नाम पर ये खाते खोले जाते थे, उन्हें यह तक नहीं पता चलता था कि उनके खातों में किस प्रकार की लेन-देन हो रही है।
डीसीपी राजेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, “गिरोह के सदस्य बैंक खातों पर पूरी तरह से नियंत्रण करते थे। यहां तक कि जिन लोगों के नाम पर ये खाते खोले गए थे, उन्हें यह भी नहीं पता चलता था कि उनके खातों में क्या लेन-देन हो रहा था।”
पुलिस की तत्परता और कार्रवाई
मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की और गिरोह के चार छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि यह गिरफ्तारी अन्य छात्रों और युवाओं के लिए एक चेतावनी है कि वे इस तरह के अपराधों से दूर रहें, क्योंकि यह न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि उनकी भविष्य की जिंदगी को भी दांव पर लगा सकता है।
पुलिस ने यह भी कहा कि इस मामले में उन्होंने अन्य गिरोह के सदस्यों की पहचान करने के लिए जांच तेज कर दी है और जल्द ही इस अपराध के अन्य पहलुओं का भी खुलासा होगा।
कैसे बचें डिजिटल धोखाधड़ी से?
यह घटना एक बड़ा संदेश देती है कि हमें डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए। इस प्रकार के धोखाधड़ी के मामलों में आमतौर पर अपराधी किसी प्रकार के फर्जी भय का निर्माण करते हैं, जैसे कि गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई का डर। ऐसे मामलों में कभी भी किसी अनजान व्यक्ति को पैसे न दें, और हमेशा अपने बैंक खातों की सुरक्षा का ख्याल रखें।
इसके अलावा, यदि आपको किसी प्रकार का डिजिटल धोखाधड़ी का शिकार बनने का संदेह हो, तो तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें और अपनी जानकारी साझा करें।
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