
आज माघी पूर्णिमा के अवसर पर महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ चुका है
Maghi Purnima Snan: आज माघी पूर्णिमा के अवसर पर महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ चुका है। आंकड़ों के अनुसार सुबह 6:00 तक 73 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों को देखा जाए तो प्रशासन का यह मानना है कि आज यह संख्या 2.5 करोड़ के पास जाएगी वहीं अगर मंगलवार के आंकड़ों को मिलाकर रात तक देखें तो 46 करोड लोग अभी तक महाकुंभ में संगम में स्नान कर चुके हैं। जबकि महाकुम्भ पूर्ण होने तक श्रद्धालुओं के स्नान करने की संख्या 50 से 55 करोड़ के पार होने की आशंका है।
Maghi Purnima Snan: महाकुंभ का पांचवा स्थान पर्व
माघी पूर्णिमा आज यानी 12 फरवरी को मनाई जा रही है। इस दिन महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा कहा जाता है। इसी दिन पौष पूर्णिमा से संगम की तट पर शुरू हुआ भजन पूजन और अनुष्ठान कार्य भी समाप्त हो जाता है। माघी पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद साधु संत अपने अपने मठ और मंदिरों को वापस लौट जाते हैं। इसके अलावा कल्पवासी भी माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद अपने घर को लौट जाएंगे। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस बार ग्रह नक्षत्र के मिलन का अद्भुत संयोग भी बन रहा है।
Maghi Purnima Snan: कल्पवासी घर को होंगे रवाना
अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के संरक्षण स्वामी महेशाश्रम के अनुसार सनातन धर्म में सभी पूजा का फल पूर्णाहुति में होता है। माघी पूर्णिमा के दिन कल्पवास का संकल्प भी पूरा हो जाता है। कल्पवासियों के लिए त्रिजटा स्नान के बाद घर वापसी का विधान बनाया गया है। कृष्ण स्नान का मुहूर्त 14 फरवरी को है लेकिन ज्यादातर कल्पवासी 12 फरवरी को ही माघी पूर्णिमा के दिन स्नान करके अपने घर को लौट जाएंगे।
Maghi Purnima Snan: कन्या भोज करने से पूर्ण होता है कल्पवास
जिस दिन कल्पवास पूरा होता है उस दिन सभी कल्पवासी कन्या भोज करते हैं। सर्वप्रथम गंगा जी में अपने सामर्थ्य के अनुसार भोग बनाकर अर्पित करते हैं और गंगा आरती और वंदन करते हैं। साथ ही क्षमा याचना भी करते हैं। तत्पश्चात कन्याओं को खिलाकर कल्पवास पूरा किया जाता है।
Maghi Purnima Snan: आज सभी देवी देवता होंगे विदा
माघी पूर्णिमा के दिन रात्रि जागरण करते हुए भजन करने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन देवताओं से यह प्रार्थना की जाती है कि अगर इस दौरान हमसे कोई भी गलती हुई हो तो उसके लिए हमें क्षमा करें। पूर्णिमा को इसलिए भी रात्रि जागरण किया जाता है क्योंकि इस दिन सभी देवी, देवता, किन्नर, गंधर्व, यक्ष और तीर्थ विदा होते हैं। आपको बता दें अचला सप्तमी को ऋषि विदा होते हैं और माघी पूर्णिमा को देवी, देवता, किन्नर, गंधर्व विदा किए जाते हैं।
Maghi Purnima Snan: माघी पूर्णिमा पर क्या दान करना चाहिए
स्वामी महेशाश्रम महाराज के अनुसार पौष पूर्णिया से अमावस्या तक तिल दान करना काफी शुभ माना जाता है। माघी पूर्णिमा को अक्षत अर्थात चावल का दान करना बहुत शुभ माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद चावल का दान करना आपके लिए बहुत लाभकारी होगा। पूर्णिमा के दिन त्रिदेव विदा होते हैं। इसके अलावा जो कल्पवासी है वह अन्न का दान कर सकते हैं। माघी पूर्णिमा के दिन चावल और वस्त्र का दान बेहद उत्तम माना गया है।
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